सिडनी में यहूदी समुदाय पर हमले से दुनिया स्तब्ध (तस्वीर क्रेडिट@AnilYadavmedia1)

सिडनी में यहूदी समुदाय पर हमले से दुनिया स्तब्ध,इजरायल ने जताया आक्रोश,मृतकों की संख्या 12 पहुँची

तेल अवीव,15 दिसंबर (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर की गई ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। रविवार रात बॉन्डी बीच इलाके में हुए इस हमले में अब तक कम-से-कम 12 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है,जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला उस समय हुआ,जब यहूदी समुदाय के लोग चानुका पर्व के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। घटना के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं,जिनमें इजरायल की ओर से कड़ी निंदा और ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर गंभीर आरोप शामिल हैं।

इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने इस हमले को “यहूदी समुदाय पर बर्बर आतंकवादी हमला” बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। राष्ट्रपति हर्जोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि सिडनी में उनके यहूदी भाई-बहनों पर उस समय हमला किया गया,जब वे चानुका की पहली मोमबत्ती जलाने के लिए एकत्र हो रहे थे। उन्होंने इसे न केवल यहूदी समुदाय पर,बल्कि मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।

इसाक हर्जोग ने आगे बताया कि उन्होंने न्यू साउथ वेल्स यहूदी बोर्ड ऑफ डेप्युटीज के अध्यक्ष डेविड ओसिप से फोन पर बात की और इस भयावह घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। डेविड ओसिप इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे,जहाँ हमला हुआ। राष्ट्रपति ने कहा कि इजरायल इस कठिन समय में सिडनी और पूरे ऑस्ट्रेलिया के यहूदी समुदाय के साथ खड़ा है और पीड़ितों के लिए प्रार्थना कर रहा है। उनके शब्दों में,यह घटना इस बात का दर्दनाक उदाहरण है कि किस तरह यहूदी-विरोधी भावना हिंसा में बदलती जा रही है।

इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने भी इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सिडनी में हनुकाह उत्सव के दौरान हुई गोलीबारी से वह स्तब्ध हैं। विदेश मंत्री ने इसे ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर पिछले दो वर्षों से बढ़ती यहूदी-विरोधी हिंसा का नतीजा बताया। गिदोन सार ने आरोप लगाया कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार को इस खतरे को लेकर अनगिनत चेतावनियाँ दी गई थीं,लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार को “होश में आना” चाहिए और यहूदी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

इस बीच,न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर क्रिस मिन्स ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि रविवार रात बॉन्डी बीच पर हुई गोलीबारी में कम-से-कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने इसे राज्य के लिए एक “अत्यंत दुखद और शर्मनाक” घटना बताया। इससे पहले न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने स्थानीय मीडिया के हवाले से मृतकों की संख्या 10 बताई थी,लेकिन बाद में यह आँकड़ा बढ़कर 12 हो गया। प्रशासन ने आशंका जताई है कि घायलों की स्थिति को देखते हुए मौत का आँकड़ा और बढ़ सकता है।

घटना के बाद सिडनी और आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ हमले के पीछे की मंशा और हमलावरों की पहचान की जाँच में जुटी हैं। शुरुआती जाँच में यह हमला सुनियोजित प्रतीत हो रहा है,जिससे यहूदी समुदाय के बीच भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। स्थानीय यहूदी संगठनों ने कहा है कि वे लंबे समय से यहूदी-विरोधी घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर सरकार को आगाह कर रहे थे,लेकिन उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया।

डेविड ओसिप ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि यह हमला उस यहूदी-विरोधी लहर का परिणाम है,जो हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई समाज में तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक समुदाय पर हमला नहीं है,बल्कि ऑस्ट्रेलिया की बहुसांस्कृतिक और सहिष्णु पहचान पर सीधा प्रहार है। ओसिप ने कहा कि यहूदी समुदाय ने बार-बार सरकार से कार्रवाई की माँग की,ताकि नफरत और हिंसा को रोका जा सके,लेकिन यह दुखद घटना दर्शाती है कि चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया।

इस हमले ने ऑस्ट्रेलिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और यहूदी-विरोधी हिंसा के बढ़ते मामलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर टिकी हैं कि वह इस त्रासदी के बाद क्या ठोस कदम उठाती है। इजरायल की ओर से आए कड़े बयान यह संकेत देते हैं कि यह मुद्दा केवल एक देश तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक असहिष्णुता और आतंकवाद के खिलाफ बहस को और तेज करेगा।

सिडनी की इस घटना ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि धार्मिक नफरत से उपजी हिंसा कितनी भयावह हो सकती है। निर्दोष लोगों की जान जाने से न केवल पीड़ित परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूटा है,बल्कि समाज के सामने यह चुनौती भी खड़ी हो गई है कि वह नफरत और कट्टरता के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो।