जो रूट (तस्वीर क्रेडिट@old_cricketer)

जो रूट की नाबाद 138 रनों की पारी,इंग्लैंड 334 पर ऑलआउट; ब्रिसबेन टेस्ट में अब गेंदबाजों से उम्मीदें

ब्रिसबेन,5 दिसंबर (युआईटीवी)- ब्रिसबेन में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन इंग्लैंड की पहली पारी 334 रनों पर सिमट गई। मैच के पहले दिन इंग्लैंड ने जिस तरह मजबूत शुरुआत की थी,खासकर जो रूट के शतक ने जिस तरह टीम को सँभाला था,उससे उम्मीदें थीं कि टीम 350 से ऊपर का स्कोर खड़ा करेगी,लेकिन दूसरे दिन पहले सत्र में टीम केवल 9 रन और जोड़ सकी और 334 रनों पर ऑलआउट हो गई। इंग्लैंड ने अपनी पारी 9 विकेट पर 325 रन से आगे बढ़ाई थी,लेकिन दसवें विकेट के रूप में जोफ्रा आर्चर 38 रन बनाकर आउट हो गए। इसी के साथ इंग्लैंड की पारी का अंत हुआ, बकि रूट नाबाद 138 रन पर लौटे।

दूसरे दिन सुबह जब खेल शुरू हुआ,इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर जिम्मेदारी थी कि वे टीम को 350-375 के सम्मानजनक और प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुँचाएं,लेकिन ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों,खासकर मिचेल स्टार्क की धारदार गेंदबाजी ने इंग्लैंड को ज्यादा देर टिकने नहीं दिया। आर्चर ने 36 गेंदों में 2 चौकों और 2 छक्कों की मदद से तेज-तर्रार 38 रन बनाए और रूट के साथ मिलकर दसवें विकेट के लिए 70 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की,लेकिन जैसे ही यह साझेदारी टूटी,पारी भी खत्म हो गई।

इस मैच में जो रूट का प्रदर्शन खास रहा। उन्होंने न केवल इंग्लैंड की डगमगाती पारी को सँभाला,बल्कि दर्शकों को एक यादगार शतक भी देखने को मिला। रूट ने अपनी पारी में 206 गेंदों का सामना किया और 15 चौकों तथा 1 छक्के की बदौलत 138 रन बनाए। यह शतक उनके करियर का 40वां टेस्ट शतक है,जिससे वे दुनिया के उन चुनिंदा बल्लेबाजों की सूची में शामिल हो गए हैं,जिन्होंने 40 या उससे अधिक टेस्ट शतक बनाए हैं। इस सूची में उनसे पहले सचिन तेंदुलकर,रिकी पोंटिंग और जैक्स कैलिस जैसे महान बल्लेबाज शामिल हैं। साथ ही यह शतक ऑस्ट्रेलियाई धरती पर रूट का पहला टेस्ट शतक भी है,जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाएगा।

रूट की यह पारी शुरू से ही धैर्य और कौशल की मिसाल रही। उन्होंने शुरुआती साझेदारी में भले ही ज्यादा योगदान न दिया हो,लेकिन तीसरे विकेट के लिए जैक क्रॉली के साथ 97 रन की मजबूत साझेदारी कर इंग्लैंड के स्कोर को सँभाल दिया। क्रॉली भी शानदार लय में दिखे और 93 गेंदों पर 76 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली। उनके प्रदर्शन ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर दबाव बनाया और इंग्लैंड को शुरुआती संघर्ष से उबारने में अहम भूमिका निभाई। चौथे विकेट के लिए रूट ने हैरी ब्रूक के साथ 54 रन की साझेदारी की,जिससे इंग्लैंड की पारी को और मजबूती मिली। लेकिन मध्यक्रम के बल्लेबाजों की विफलता ने टीम को बड़ा स्कोर बनाने से रोक दिया।

इंग्लैंड की बल्लेबाजी में सबसे बड़ी चिंता रही कि टीम के चार बल्लेबाज—बेन डकेट,ओली पोप,जेमी स्मिथ और ब्रायडन कार्स,जिन्होंने एक भी रन नहीं बनाए। इस तरह की बल्लेबाजी की कमजोरी बड़े मैचों में टीम की मुश्किलें बढ़ा देती है। अगर इन बल्लेबाजों में से कोई भी एक बड़ा योगदान देता,तो इंग्लैंड आसानी से 375-400 तक पहुँच सकता था,लेकिन निराशाजनक रूप से इन चारों के ‘डक’ पर आउट होने से टीम दबाव में आ गई और रूट की शानदार पारी भी स्कोर को अधिक आगे नहीं बढ़ा सकी।

ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी की बात करें,तो मिचेल स्टार्क एक बार फिर इंग्लैंड की बल्लेबाजी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने। उन्होंने 20 ओवर में 75 रन देकर 6 विकेट झटके। उनकी गेंदबाजी में ना केवल गति रही,बल्कि स्विंग भी शानदार रही,जिससे इंग्लैंड के बल्लेबाज लगातार परेशान होते रहे। माइकल नासेर,स्कॉट बोलैंड और ब्रैंडन डॉगेट ने एक-एक विकेट लेकर स्टार्क का साथ दिया और इंग्लैंड को 334 पर रोकने की रणनीति सफल की।

अब मैच की दिशा इंग्लैंड की गेंदबाजी पर निर्भर करेगी। यदि इंग्लैंड को इस टेस्ट मैच पर पकड़ बनानी है,तो उसे ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में जल्दी विकेट लेने होंगे। ब्रिसबेन की पिच दूसरे दिन गेंदबाजों को मदद दे सकती है,खासकर शुरुआती ओवरों में। इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों को नई गेंद से स्विंग निकालकर ऑस्ट्रेलियाई शीर्ष क्रम को जल्द दबाव में लाना होगा। अगर वे ऐसा करने में सफल रहते हैं तो मैच में इंग्लैंड की वापसी की उम्मीदें जीवित रहेंगी। वहीं,अगर ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी इंग्लैंड के 334 रनों को पीछे छोड़ने में सफल रहती है,तो इंग्लैंड के लिए यह टेस्ट चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।

रूट की शतकीय पारी और आर्चर की उपयोगी पारी ने इंग्लैंड को सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचा दिया है। अब आगे की कहानी गेंदबाज लिखेंगे और यह ब्रिसबेन टेस्ट का अगला चरण तय करेगा कि बढ़त किसके पास रहने वाली है।