अम्मान,17 दिसंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिडिल ईस्ट की अपनी अहम यात्रा के बाद जॉर्डन से अफ्रीकी देश इथियोपिया के लिए प्रस्थान कर लिया है। जॉर्डन यात्रा के समापन पर उन्हें विदा करने खुद क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय पहुँचे,जो इस दौरे की गर्मजोशी और दोनों देशों के बीच गहराते संबंधों का प्रतीक माना जा रहा है। खास बात यह रही कि रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अम्मान स्थित ‘द जॉर्डन म्यूजियम’ का दौरा किया,जहाँ क्राउन प्रिंस हुसैन ने स्वयं कार ड्राइव कर प्रधानमंत्री को संग्रहालय तक पहुँचाया। यह दृश्य कूटनीतिक शिष्टाचार से कहीं आगे जाकर भारत-जॉर्डन रिश्तों में आपसी सम्मान और भरोसे को दर्शाता है।
जॉर्डन म्यूजियम को देश की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षक माना जाता है। यह संग्रहालय जॉर्डन के लगभग 15 लाख साल पुराने इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है और दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जब संग्रहालय पहुँचे तो वहाँ उन्हें जॉर्डन म्यूजियम की वाइस-चेयर एचआरएच प्रिंसेस सुमाया बिंत अल हसन ने विशेष टूर कराया। इस दौरान भारत और जॉर्डन के बीच साझा सभ्यतागत कनेक्शन,ऐतिहासिक व्यापार मार्गों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने गेस्ट बुक में अपने विचार भी दर्ज किए,उस वक्त क्राउन प्रिंस हुसैन उनके साथ मौजूद थे,जो इस यात्रा के व्यक्तिगत और मैत्रीपूर्ण पहलू को और मजबूत करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस दौरे की तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि यह यात्रा केवल विकास और निवेश तक सीमित नहीं रही,बल्कि विरासत और साझा इतिहास को भी नई दृष्टि से देखने का अवसर बनी। प्रवक्ता के अनुसार,पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस हुसैन ने भारत और जॉर्डन के सदियों पुराने संबंधों पर विचार किया और इस बात पर सहमति जताई कि आधुनिक साझेदारी की नींव ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव पर ही टिकी होती है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया-जॉर्डन बिजनेस फोरम को संबोधित किया,जहाँ दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा देने पर जोर दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा समय में भारत जॉर्डन के निवेशकों के लिए अवसरों का विशाल केंद्र बन चुका है। उन्होंने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि भारत में निवेश करने से उन्हें दीर्घकालिक और स्थिर रिटर्न मिल सकता है। प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया,मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इकोसिस्टम और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए जॉर्डन के उद्योगपतियों को साझेदारी के लिए आमंत्रित किया।
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने भी इस मंच से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते वर्षों में असाधारण विकास किया है और आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है। किंग अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि जॉर्डन भारत के साथ अपनी आर्थिक साझेदारी को और ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बिजनेस फोरम भारत और अम्मान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अहम माध्यम बनेगा और इससे निवेश,व्यापार तथा तकनीकी सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
जॉर्डन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और किंग अब्दुल्ला के बीच हुई बातचीत में ऊर्जा,शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यटन और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि बदलते वैश्विक हालात में भारत और जॉर्डन जैसे देशों का सहयोग न केवल द्विपक्षीय बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। पश्चिम एशिया में शांति,सुरक्षा और विकास को लेकर दोनों देशों के दृष्टिकोण में काफी समानता देखी गई।
जॉर्डन यात्रा पूरी करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अब अफ्रीकी देश इथियोपिया के लिए रवाना हो गए हैं,जो उनकी तीन देशों की विदेश यात्रा का अगला और महत्वपूर्ण पड़ाव है। इथियोपिया को अफ्रीका के इतिहास में एक विशेष स्थान प्राप्त है,क्योंकि यह ऐसा देश है जिस पर कभी किसी यूरोपीय शक्ति ने औपनिवेशिक शासन स्थापित नहीं किया। इसे ‘उत्पत्ति की मनमोहक भूमि’ भी कहा जाता है और यह मानव सभ्यता के प्रारंभिक इतिहास से जुड़ा हुआ माना जाता है।
आबादी के लिहाज से भी इथियोपिया अफ्रीका का एक बड़ा देश है। वर्ष 2024 के आँकड़ों के अनुसार, यहाँ की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ 21 लाख है,जिससे यह नाइजीरिया के बाद महाद्वीप का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनता है। भौगोलिक रूप से उत्तर-पूर्वी अफ्रीका में स्थित इथियोपिया रणनीतिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। भारत और इथियोपिया के बीच ऐतिहासिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं और दोनों देशों के बीच शिक्षा,कृषि,स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी की इथियोपिया यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों को नई गति मिलने की उम्मीद है। अफ्रीका को लेकर भारत की नीति में इथियोपिया एक अहम साझेदार माना जाता है और इस दौरे के दौरान विकास सहयोग,निवेश,तकनीकी साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है। जॉर्डन के बाद इथियोपिया पहुँचकर प्रधानमंत्री मोदी न केवल भारत की वैश्विक कूटनीति को आगे बढ़ाएँगे,बल्कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अवधारणा को भी मजबूती प्रदान करेंगे।
जॉर्डन से इथियोपिया तक प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की सक्रिय और संतुलित विदेश नीति को दर्शाती है,जिसमें सभ्यता,संस्कृति,व्यापार और रणनीति—सभी को समान महत्व दिया जा रहा है।
