मुंबई,17 जून (युआईटीवी)- कनाडाई पॉप स्टार जस्टिन बीबर एक बार फिर अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर सामने आए हैं। बीबर ने इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए अपने टूटे हुए मन और गुस्से से जूझने की बात स्वीकार करते हुए एक बेहद भावुक पोस्ट साझा की,जिसने उनके प्रशंसकों को झकझोर कर रख दिया है।
अपनी पोस्ट में जस्टिन ने लिखा,”लोग मुझे ठीक होने के लिए कहते रहते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि अगर मैं खुद को ठीक कर सकता,तो अब तक कर नहीं लिया होता? मुझे पता है कि मैं टूटा हुआ हूँ। मुझे पता है कि मुझे गुस्से की समस्या है।”
जस्टिन की यह स्वीकारोक्ति ना सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जद्दोजहद को उजागर करती है,बल्कि उन अनगिनत लोगों की कहानी भी कहती है,जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से गुजरते हैं और अक्सर ‘ठीक हो जाने’ की सामाजिक अपेक्षाओं से दबाव महसूस करते हैं।
View this post on Instagram
उन्होंने यह भी कहा कि जीवन भर उन्होंने उन लोगों की तरह बनने की कोशिश की, जिन्होंने उन्हें यह बताया कि उन्हें कैसे ठीक होना चाहिए,लेकिन यह प्रक्रिया उन्हें और भी अधिक थका देती है और गुस्से से भर देती है।
अपने पोस्ट में जस्टिन ने यह भी लिखा,”मैं जितना अधिक आगे बढ़ने की कोशिश करता हूँ,उतना ही अधिक मैं खुद पर ध्यान केंद्रित करता हूँ। यीशु ही एकमात्र व्यक्ति हैं,जो मुझे प्रेरित करते हैं कि मैं अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगाऊँ,क्योंकि ईमानदारी से कहूँ तो मैं खुद के बारे में सोचते हुए थक चुका हूँ।”
यह वाक्य उनकी आंतरिक लड़ाई और थकान को दर्शाता है। जहाँ ग्लैमर और प्रसिद्धि की दुनिया से वह करोड़ों लोगों के चहेते हैं,वहीं दूसरी ओर वह अंदर से बेहद अकेले और थके हुए महसूस करते हैं।
View this post on Instagram
बीबर ने एक अन्य इंस्टाग्राम पोस्ट में उन लोगों से आग्रह किया जो लगातार उनकी स्थिति के बारे में पूछते हैं। उन्होंने लिखा,”मुझसे यह पूछना बंद करो कि मैं ठीक हूँ या नहीं। मुझसे यह पूछना बंद करो कि मैं कैसा कर रहा हूँ। मैं तुमसे ऐसा नहीं करता क्योंकि मुझे पता है कि जिंदगी हम सबके लिए कठिन है।”
यह बात मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी उस जटिलता को दर्शाती है,जिसमें लोग अक्सर बिना समझे सवाल करते हैं और ऐसा करते हुए किसी के दर्द को और बढ़ा देते हैं।
उन्होंने कहा, “आइए हम अपने लोगों को प्रोत्साहित करें,न कि अपनी असुरक्षाओं को एक-दूसरे पर थोपें। आपकी चिंता देखभाल के रूप में सामने नहीं आती,यह अजीब और दबावपूर्ण लगती है।”
यह बयान उन सामाजिक अपेक्षाओं और सतही सहानुभूतियों पर भी करारा व्यंग्य है, जो लोगों को और अधिक असहज बना सकती हैं।
हाल ही में जस्टिन बीबर का एक वीडियो वायरल हुआ,जिसमें उन्हें कैलिफोर्निया के मालिबू स्थित एक रेस्तरां के बाहर पैपराजी से बहस करते देखा गया। वीडियो में वह कैमरे से छिपने की कोशिश करते हुए गुस्से में नजर आए। यह घटना भी उनकी हालिया मानसिक स्थिति और मीडिया से मिल रहे दबाव की ओर इशारा करती है।
जस्टिन बीबर का यह खुलासा दिखाता है कि ग्लैमर और शोहरत के पीछे भी एक आम इंसान होता है,जिसकी परेशानियाँ और मानसिक संघर्ष उतने ही वास्तविक होते हैं,जितने किसी सामान्य व्यक्ति के जीवन में होते हैं।
बीबर की ये पोस्ट उस ग्लोबल डायलॉग का हिस्सा बनती जा रही हैं,जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बात करना जरूरी माना जा रहा है।
जैसे ही बीबर की पोस्ट सामने आई, सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसकों और मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने उनका समर्थन किया और उनकी ईमानदारी व साहस के लिए उनकी खुलकर सराहना की तथा मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जस्टिन बीबर की यह भावनात्मक स्वीकारोक्ति हमें यह याद दिलाती है कि किसी के चमकते चेहरे के पीछे कितनी गहरी पीड़ा छुपी हो सकती है। वह अकेले नहीं हैं,दुनिया भर में लाखों लोग मानसिक संघर्षों से जूझ रहे हैं,लेकिन हर कोई उनके जैसे खुलकर बोल नहीं पाता।
उनकी आवाज उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है,जो मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चुप हैं। उनके शब्द हमें यह भी सिखाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य कोई कमजोरी नहीं,बल्कि एक ऐसी स्थिति है,जिसे समझने और समर्थन देने की जरूरत है,न कि प्रश्नों और उम्मीदों से दबाने की।