नई दिल्ली,4 दिसंबर (युआईटीवी)- कर्नाटक में 8 दिसंबर को प्रस्तावित सर्वदलीय बैठक को स्थगित कर दिया गया है। इस संबंध में राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बुधवार को विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि बैठक के लिए चुनी गई तारीख केंद्र और राज्य के कई शीर्ष नेताओं के व्यस्त कार्यक्रमों से टकरा रही थी। इसलिए अब इसे आगे बढ़ाकर जल्द ही नई तारीख घोषित की जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि यह बैठक कर्नाटक के हित के लिए बेहद महत्वपूर्ण है,इसलिए इसमें सभी का उपस्थित होना आवश्यक है,चाहे वे विपक्ष के नेता हों या केंद्र के मंत्री।
डीके शिवकुमार ने कहा कि उन्हें केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और वी. सोमन्ना से यह सूचना मिली कि 8 दिसंबर को उनकी रिव्यू मीटिंग निर्धारित है,जिसकी वजह से दोनों बैठक में शामिल नहीं हो पाएँगे। इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी उसी दिन संसद में एक महत्वपूर्ण बिल पेश करने जा रही हैं,जिससे उनका शामिल होना संभव नहीं होगा। इस संदर्भ में बात करते हुए शिवकुमार ने कहा, “मैंने खुद प्रह्लाद जोशी से फोन पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं और उन्हें उसमें शामिल होना है। ऐसे में,उनके लिए कर्नाटक की सर्वदलीय बैठक में शामिल होना संभव नहीं होगा।”
उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस बैठक का उद्देश्य किसी एक दल की राजनीति नहीं है,बल्कि कर्नाटक के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी राजनैतिक दलों,सांसदों,विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों को एक ही मंच पर लाना है। उन्होंने कहा कि राज्य के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं,जिन पर मजबूत और सामूहिक नेतृत्व के साथ केंद्र के समक्ष पक्ष रखना आवश्यक है। इसी वजह से यह बैठक तभी सार्थक होगी,जब सभी नेताओं की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कर्नाटक के सभी नेता एक ही आवाज में बात करें। यह बैठक राज्य की भलाई के लिए हमारी सामूहिक तैयारी का हिस्सा है।”
इस बीच,केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी बुधवार को बयान दिया कि संसद के शीतकालीन सत्र के चलते सरकारी कामकाज के बोझ में अचानक भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा बुलाई गई इस बैठक में शामिल होना उनके लिए कठिन है। उनके अनुसार,संसद सत्र के दौरान विधायी कार्यों में व्यस्तता बढ़ जाती है और कई अहम फाइलों और प्रस्तावों पर तत्काल निर्णय लेने पड़ते हैं।
डीके शिवकुमार ने आगे बताया कि नई बैठक में सांसदों को उन मुद्दों की पूरी जानकारी दी जाएगी,जिन्हें उन्हें दिल्ली में मजबूत तरीके से उठाना है। साथ ही,हर प्रमुख विषय के लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी,ताकि सभी मोर्चों पर प्रभावी ढंग से पैरवी की जा सके। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के हितों को लेकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं की जानी चाहिए,बल्कि सभी को मिलकर रणनीति बनानी चाहिए।
इस दौरान विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचना पर भी शिवकुमार ने प्रतिक्रिया दी। भाजपा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की घड़ी की कीमत को लेकर सवाल उठाए थे और दावा किया था कि वह 43 लाख रुपए की है। इस पर उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यह जानकारी गलत है। उन्होंने कहा, “किसने कहा कि घड़ी 43 लाख की है? जब मैंने यह घड़ी सात–आठ साल पहले खरीदी थी,तब इसकी कीमत करीब 24 लाख रुपए थी। अब यह 43 लाख की कैसे हो सकती है? जिस दिन ब्रेकफास्ट मीटिंग थी,उसी दिन हमें बाद में पता चला कि हम दोनों ने एक ही कंपनी की घड़ियाँ पहनी हुई हैं।”
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या राज्य सरकार के भीतर चल रहे मतभेद खत्म हो गए हैं,तो शिवकुमार ने संक्षिप्त और स्पष्ट जवाब दिया कि कभी कोई भ्रम या कन्फ्यूजन था ही नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह एकजुट है और सभी मंत्री अपने-अपने विभागों में जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं।
कर्नाटक की राजनीति में यह घटनाक्रम बताता है कि राज्य सरकार और विपक्ष दोनों ही चाहते हैं कि कर्नाटक के प्रमुख मुद्दों—चाहे वह वित्तीय अनुदान हो,जल विवाद हो या अन्य विकास संबंधी परियोजनाएँ को लेकर केंद्र के समक्ष एक समन्वित और प्रभावी रणनीति प्रस्तुत की जाए। इसी दिशा में सर्वदलीय बैठक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। हालाँकि,तारीख आगे बढ़ गई है,लेकिन सरकार इस बैठक को जल्द आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है।
नई तारीख की घोषणा अगले कुछ दिनों में होने की उम्मीद है और सभी की निगाहें इसी पर टिकी हैं कि कर्नाटक की यह सर्वदलीय एकजुटता केंद्र के सामने राज्य के हितों की रक्षा के लिए कितनी प्रभावी साबित होती है।

