जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का गुजरात दौरा (तस्वीर क्रेडिट@EvaVijay)

‘कश्मीर से केवड़िया’ यात्रा पर उमर अब्दुल्ला ने दिया एकता का संदेश,पीएम मोदी ने की तारीफ

नई दिल्ली,1 अगस्त (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इन दिनों गुजरात के दौरे पर हैं। इस दौरे के दौरान उन्होंने देश की सबसे ऊँची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का दौरा किया और अपनी यात्रा को सामाजिक सौहार्द,पर्यटन और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम बताया। उमर अब्दुल्ला की यह यात्रा न केवल कश्मीर से बाहर उनके जुड़ाव को दर्शाती है,बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों की आपसी सांस्कृतिक और भावनात्मक एकजुटता की भी मिसाल बन गई है।

मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने गुजरात के केवड़िया स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा किया। उन्होंने लिखा कि उन्हें यह देखकर बेहद प्रसन्नता हुई कि सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा,जिन्हें ‘आयरन मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाता है,इतनी भव्य और प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा न केवल स्वतंत्र भारत की नींव रखने वाले नेताओं को श्रद्धांजलि है,बल्कि यह ‘नए भारत’ की पहचान और प्रेरणा भी है।

मुख्यमंत्री ने इस यात्रा के दौरान सुबह के समय साबरमती रिवरफ्रंट पर दौड़ते हुए अपने कुछ पल साझा किए। उन्होंने लिखा कि यह उन सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है,जहाँ उन्होंने दौड़ने का अनुभव किया और इतने सारे अन्य धावकों तथा पैदल यात्रियों के साथ इसे साझा करना उनके लिए एक आनंददायक अनुभव रहा। उन्होंने अटल फुट ब्रिज के पास से दौड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पूरे वातावरण को और भी प्रभावशाली बनाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला के इस दौरे पर खुशी जताई और सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा, “कश्मीर से केवड़िया। उमर अब्दुल्ला को साबरमती रिवरफ्रंट पर दौड़ते और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा करते देखकर बहुत अच्छा लगा। उनकी यह यात्रा एकता का एक महत्वपूर्ण संदेश देती है और देशवासियों को भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगी।” प्रधानमंत्री की इस प्रतिक्रिया ने इस यात्रा को एक राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया।

इस बीच,उमर अब्दुल्ला ने अपने गुजरात दौरे के दौरान एक अहम मुद्दे की ओर भी ध्यान खींचा। उन्होंने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकवादी हमले के बाद राज्य का पर्यटन उद्योग काफी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से पर्यटन पर असर पड़ा है,लेकिन उद्योग से जुड़े लोग इस संकट से घबराए नहीं हैं और समाधान की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं।

अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि कश्मीर पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है और घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में अब भी बड़ी गिरावट नहीं आई है। उन्होंने कहा कि लाखों श्रद्धालु अभी भी माता वैष्णो देवी और अमरनाथ यात्रा के लिए कश्मीर आ रहे हैं और हम चाहते हैं कि यह सिलसिला आगे भी चलता रहे। उन्होंने गुजरात में लोगों से अपील की कि वे जम्मू-कश्मीर की सुंदरता और मेहमाननवाजी का अनुभव लेने के लिए घाटी की यात्रा करें और राज्य की अर्थव्यवस्था और सामाजिक एकता को मजबूती दें।

यह दौरा उमर अब्दुल्ला के लिए केवल पर्यटन प्रचार भर नहीं था,बल्कि इसने राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक सकारात्मक संदेश दिया है। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि कश्मीर भी देश के बाकी हिस्सों से उतना ही जुड़ा है,जितना कोई अन्य राज्य। यह दौरा दर्शाता है कि एक जनप्रतिनिधि के तौर पर वे देश की एकता,अखंडता और विकास के लिए न केवल राजनीतिक मंच पर,बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी सक्रिय हैं।

इस प्रकार,उमर अब्दुल्ला की गुजरात यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत दौरे तक सीमित रही,बल्कि यह यात्रा एकता,सहअस्तित्व और सांस्कृतिक संवाद का प्रतीक बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से मिले समर्थन ने इसे एक राष्ट्रीय संदेश में बदल दिया है,एक ऐसा संदेश जो बताता है कि भारत की विविधता में ही उसकी असली ताकत छिपी है।