नई दिल्ली,23 अक्टूबर (युआईटीवी)- दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों में से एक,आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन इस वर्ष 26 से 28 अक्टूबर तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में किया जा रहा है। इस 47वें आसियान समिट की मेजबानी मलेशिया कर रहा है,जो इस बार ‘समावेशीपन और स्थिरता’ की थीम पर आधारित होगा। इस शिखर सम्मेलन में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लगभग 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष शामिल होंगे,जिनमें अमेरिका,चीन,जापान,दक्षिण कोरिया,ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे प्रमुख साझेदार देशों के नेता भी शामिल होने की संभावना है। हालाँकि,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार मलेशिया नहीं जाएँगे,बल्कि वर्चुअल माध्यम से इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, “मेरे प्रिय मित्र,मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ गर्मजोशी भरी बातचीत हुई। उन्हें मलेशिया की आसियान अध्यक्षता के लिए बधाई दी और आगामी शिखर सम्मेलनों की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं। मैं आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल होने और आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए उत्सुक हूँ।”
प्रधानमंत्री मोदी का वर्चुअल रूप से शामिल होने का निर्णय मुख्यतः भारत में दीपावली के उत्सव और बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों के कारण लिया गया है। बिहार में आगामी चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होने हैं,जिसके चलते प्रधानमंत्री की व्यस्त चुनावी गतिविधियों के बीच विदेश यात्रा संभव नहीं हो पाई। यह दूसरा मौका है,जब प्रधानमंत्री मोदी आसियान समिट में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो रहे हैं। इससे पहले 2022 में हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी उन्होंने समिट में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया था।
दूसरी ओर,मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भी ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वह भारत के इस कदम का सम्मान करते हैं। उन्होंने लिखा, “कल रात मुझे भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक करीबी सहयोगी का फोन आया। हमारी चर्चा में मलेशिया-भारत द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक रणनीतिक और व्यापक स्तर पर मजबूत करने के प्रयासों पर विचार किया गया। प्रौद्योगिकी,शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग के अलावा,भारत व्यापार और निवेश के क्षेत्र में मलेशिया का एक महत्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है।”
अनवर इब्राहिम ने आगे कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ आगामी आसियान शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि मोदी ने उन्हें सूचित किया कि वे दीपावली उत्सव के कारण समिट में वर्चुअल रूप से हिस्सा लेंगे। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं उनके इस निर्णय का सम्मान करता हूँ और उन्हें तथा भारत के सभी नागरिकों को दीपावली की शुभकामनाएँ देता हूँ। मलेशिया,भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और एक शांतिपूर्ण व समृद्ध क्षेत्र के निर्माण की दिशा में आसियान-भारत सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।”
मलेशिया की 2025 की आसियान अध्यक्षता की थीम ‘समावेशीपन और स्थिरता’ रखी गई है। इस वर्ष का सम्मेलन क्षेत्रीय शांति,आर्थिक लचीलापन,सतत विकास और सामाजिक समावेशन पर केंद्रित रहेगा। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में आसियान देशों के बीच व्यापार,सुरक्षा,प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। साथ ही,आसियान और उसके प्रमुख संवाद साझेदारों के बीच सामरिक सहयोग को और गहरा करने पर भी बल दिया जाएगा।
इस बार के सम्मेलन की एक और खासियत यह है कि इसका समापन 28 अक्टूबर को होगा और उसी दिन मलेशिया औपचारिक रूप से आसियान अध्यक्षता फिलीपींस को सौंपेगा। यह हस्तांतरण दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन की निरंतरता और क्षेत्रीय सहयोग की परंपरा को आगे बढ़ाएगा।
आसियान-भारत संबंधों की बात करें तो,दोनों के बीच 1992 में संवाद साझेदारी की शुरुआत हुई थी। वर्ष 2012 में इसे रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित किया गया, और 2022 में दोनों पक्षों ने इसे व्यापक रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया। भारत और आसियान देशों के बीच व्यापारिक,सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध बेहद गहरे हैं। भारत ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने रिश्ते लगातार मजबूत कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत-आसियान सहयोग कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ा है,विशेषकर डिजिटल अर्थव्यवस्था,समुद्री सुरक्षा,आपदा प्रबंधन,शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में। भारत ने आसियान देशों के लिए 1 बिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन भी उपलब्ध कराई है,ताकि कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का वर्चुअल रूप से शामिल होना भारत की प्रतिबद्धता को कम नहीं करता,बल्कि यह दिखाता है कि भारत इस मंच को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए कितना महत्वपूर्ण मानता है। विशेषज्ञों के अनुसार,भारत की प्राथमिकता इस मंच के माध्यम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग, सुरक्षा और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है।
मलेशिया इस सम्मेलन के लिए जोर-शोर से तैयारियाँ कर रहा है। कुआलालंपुर कन्वेंशन सेंटर में इस आयोजन के लिए सुरक्षा और आतिथ्य की विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं। सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों के प्रमुखों के बीच कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें भी होने की संभावना है। अमेरिका,चीन और जापान जैसे देशों के नेताओं के साथ आसियान सदस्य देशों की मुलाकातें वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के वर्चुअल भागीदारी के बावजूद,भारत की उपस्थिति इस सम्मेलन में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मलेशिया और भारत दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में बढ़ता आर्थिक और रणनीतिक सहयोग आसियान क्षेत्र में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
अंततः, 47वां आसियान शिखर सम्मेलन न केवल क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में एक और कदम है,बल्कि यह दक्षिण-पूर्व एशिया की बदलती राजनीति,अर्थव्यवस्था और सुरक्षा संरचना को भी परिभाषित करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल भागीदारी भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है,जो एक समावेशी,स्थिर और समृद्ध एशिया के निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत है।