उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत (तस्वीर क्रेडिट@BhanuNand)

उन्नाव रेप केस में कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत,उम्रकैद की सजा पर रोक,हाईकोर्ट से जमानत, लेकिन जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे

नई दिल्ली,24 दिसंबर (युआईटीवी)- 2017 के बहुचर्चित उन्नाव रेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी कानूनी राहत देते हुए उनकी उम्रकैद की सजा पर रोक लगा दी है और उन्हें जमानत भी दे दी है। हालाँकि, यह राहत फिलहाल सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगी,क्योंकि पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में भी सेंगर दोषी ठहराए जा चुके हैं और उस सजा के चलते उन्हें जेल से बाहर नहीं आ पाएँगे। हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर उन्नाव केस को चर्चा के केंद्र में ला दिया है,जो पिछले कई वर्षों से न्याय,राजनीति और कानून व्यवस्था से जुड़े सवालों का प्रतीक बना हुआ है।

दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच,जिसमें जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर शामिल थे,ने मंगलवार को यह आदेश पारित किया। अदालत ने सेंगर की उस अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया,जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अपील लंबित रहने तक सजा को निलंबित किया जाता है और आरोपी को सशर्त जमानत दी जाती है।

दरअसल,ट्रायल कोर्ट ने दिसंबर 2019 में कुलदीप सिंह सेंगर को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2017 में सेंगर ने उसका अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया। यह मामला सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था और इसे सत्ता के दुरुपयोग तथा पीड़िता को न्याय न मिलने के उदाहरण के तौर पर देखा गया था।

हाईकोर्ट ने जमानत देते समय कई सख्त शर्तें भी लगाई हैं। अदालत ने साफ किया है कि कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपये का मुचलका भरना होगा। इसके अलावा,उन्हें पीड़िता के पाँच किलोमीटर के दायरे में आने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जमानत की अवधि के दौरान सेंगर को दिल्ली में ही रहना होगा और हर सोमवार संबंधित पुलिस थाने में हाजिरी देनी होगी। इसके साथ ही उन्हें अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि कुलदीप सिंह सेंगर किसी भी तरह से पीड़िता या उसके परिवार को धमकाने,प्रभावित करने या संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन किया गया,तो उनकी जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी। अदालत ने कहा कि यह जमानत केवल तब तक प्रभावी रहेगी,जब तक उनकी अपील पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता।

हालाँकि,इस आदेश के बावजूद कुलदीप सिंह सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएँगे। इसकी वजह यह है कि पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में भी सेंगर को दोषी ठहराया जा चुका है। उस मामले में उन्हें अलग से सजा सुनाई गई थी,जो अब भी प्रभावी है। इसलिए कानूनी रूप से भले ही रेप केस में उन्हें जमानत मिल गई हो,लेकिन व्यवहारिक रूप से उनकी रिहाई संभव नहीं है।

उन्नाव रेप केस देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में से एक रहा है। 2017 में जब पीड़िता ने पहली बार आरोप लगाए थे,तब लंबे समय तक पुलिस और प्रशासन पर मामले को दबाने के आरोप लगे। पीड़िता के पिता की गिरफ्तारी और फिर हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने इस मामले को और गंभीर बना दिया था। इसके बाद पीड़िता और उसके परिवार ने न्याय के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया,जिसके आदेश पर सेंगर की गिरफ्तारी हुई।

मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार से जुड़े चारों मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि इन मामलों की सुनवाई रोजाना के आधार पर की जाए और 45 दिनों के भीतर फैसला सुनाया जाए। इसके बाद दिल्ली की निचली अदालत ने तेजी से सुनवाई करते हुए दिसंबर 2019 में कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई।

दिल्ली हाईकोर्ट के ताजा फैसले के बाद जहाँ एक ओर कानूनी बहस तेज हो गई है,वहीं दूसरी ओर पीड़िता के पक्ष में खड़े संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगाहें अब अपील पर अंतिम फैसले पर टिकी हैं। उनका कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति के अपराध का नहीं,बल्कि सत्ता और कानून के रिश्ते का भी है। ऐसे में अंतिम फैसला न केवल पीड़िता के लिए,बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता के लिए भी बेहद अहम होगा।

फिलहाल,हाईकोर्ट के इस आदेश ने कुलदीप सिंह सेंगर को आंशिक राहत जरूर दी है,लेकिन उन्नाव रेप केस की कानूनी लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। आने वाले समय में उनकी अपील पर होने वाली सुनवाई यह तय करेगी कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और न्याय का अंतिम स्वरूप क्या होगा।