नई दिल्ली,2 मई (युआईटीवी)- नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान ने एक बार फिर से फायरिंग कर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। वह अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और लगातार हो रही फायरिंग के चलते क्षेत्र में तनाव तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हो रहा है। भारतीय सेना ने संयम के साथ लेकिन सटीक तरीके से इन कार्रवाइयों का जवाब दिया है।
भारतीय सेना के मुताबिक,पाकिस्तान की सेना ने एक और दो मई की रात को नियंत्रण रेखा के पार से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा,बारामूला,पुंछ,नौशेरा और अखनूर क्षेत्रों में अकारण और उकसावे के बिना गोलीबारी की। पाकिस्तानी चौकियों से छोटे हथियारों का इस्तेमाल करते हुए यह फायरिंग की गई। भारतीय सेना ने संयमित ढंग से लेकिन सटीक जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें मुँहतोड़ जवाब दिया और सीमाई सुरक्षा को बनाए रखा।
यह लगातार आठवां दिन है जब पाकिस्तानी सेना ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। सेना सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से यह कार्रवाई पिछले शुक्रवार से जारी है और इसका उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना और भारत की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना हो सकता है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले में 25 निर्दोष पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर फायरिंग की घटनाएँ बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि ये घटनाएँ जानबूझकर भारत को उकसाने के लिए की जा रही हैं।
इन घटनाओं के बीच अमेरिका ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने गुरुवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बातचीत की और पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए मासूम नागरिकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
पीट हेगसेथ ने कहा, “अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में उसके साथ खड़ा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता का पक्षधर है और आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इस बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि पाकिस्तान एक बार फिर वैश्विक आतंकवाद का पोषक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वह आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और फंडिंग देता रहा है। यह देश अब एक धूर्त राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है,जो जानबूझकर क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।”
राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह अब आतंकवाद पर आँखें मूँद कर न रहे और ऐसे जघन्य आतंकी हमलों की स्पष्ट व कड़ी निंदा करे। उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता है,ताकि आतंकवाद को जड़ से समाप्त किया जा सके।
लगातार फायरिंग की घटनाओं ने सीमावर्ती गाँवों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। कुपवाड़ा,उरी और अखनूर जैसे क्षेत्रों में नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। कुछ स्थानों पर अस्थायी बंकर बनाए गए हैं और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन भारतीय सेना के साथ मिलकर स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।
इस बीच भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार की उकसावे की कार्रवाई का माकूल जवाब दिया जाएगा और सीमाई सुरक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “हम संयम बरत रहे हैं, लेकिन यदि पाकिस्तान ने अपनी हरकतें जारी रखीं,तो हम इसका मजबूती से जवाब देंगे।”
भारत ने अमेरिका के साथ हुई बातचीत के अलावा संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ सबूतों के साथ अपना पक्ष रखना शुरू कर दिया है। भारत का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका अब किसी से छिपी नहीं है और उसे वैश्विक बिरादरी से अलग-थलग किया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति दर्शाती है कि सीमा पर हालात नाजुक होते जा रहे हैं। पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रही गोलीबारी और पहलगाम जैसे आतंकी हमले भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं। हालाँकि,अमेरिका जैसे देशों का समर्थन भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है।
जहाँ एक ओर भारत की सैन्य तैयारियाँ चाक-चौबंद हैं,वहीं दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति भी तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि क्या पाकिस्तान इस अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकता है या अपनी नीतियों में बदलाव करता है। फिलहाल यह स्पष्ट है कि भारत किसी भी स्थिति का सामना करने को तैयार है,चाहे वह सीमा पर हो या कूटनीति के मैदान में।