अंतरिक्ष से लौटे लखनऊ के वीर शुभांशु शुक्ला लौटे गृह नगर (तस्वीर क्रेडिट@suryakantvsnl)

अंतरिक्ष से लौटे लखनऊ के वीर शुभांशु शुक्ला लौटे गृह नगर,हुआ ऐतिहासिक स्वागत,बच्चों से पाई परेड की सलामी,उमड़ा जनसैलाब

लखनऊ,25 अगस्त (युआईटीवी)- लखनऊ ने आज एक ऐसा क्षण देखा,जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। अंतरिक्ष की नई ऊँचाइयों को छूकर लौटे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जब अपने गृह जनपद पहुँचे,तो राजधानी की सड़कों पर मानो इतिहास रच गया। जिस धरती से उन्होंने उड़ान भरी थी,उसी धरती पर लौटकर उन्होंने अपने लोगों का दिल जीत लिया। उनके स्वागत में लखनऊ ने अपने आंचल को पुष्पवर्षा से सजाया और जयकारों से गूँज उठा।

शुभांशु शुक्ला का आगमन जैसे ही लखनऊ एयरपोर्ट पर हुआ,वहाँ मौजूद लोगों की आँखें गर्व से भर उठीं। खास बात यह रही कि उनके स्वागत में वही सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के नन्हें-मुन्ने छात्र खड़े थे,जहाँ से उनकी शिक्षा की शुरुआत हुई थी। छोटे-छोटे कदमों से परेड करते इन बच्चों ने अपने पूर्व छात्र को सलामी दी और यह क्षण सभी के लिए भावुक कर देने वाला साबित हुआ। अंतरिक्ष से लौटे इस वीर सपूत का अभिनंदन केवल राजधानी ही नहीं,बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गया।

एयरपोर्ट पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक विशेष रूप से मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश ही नहीं,बल्कि पूरा देश खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। एक्सिओम मिशन-4 के मिशन पायलट के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर तिरंगा फहराने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला वास्तव में नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत का मान-सम्मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है और आने वाली पीढ़ियाँ लंबे समय तक इस पल को याद रखेंगी।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने भी शुभांशु के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि जिस प्रकार उन्होंने अंतरिक्ष में देश का नाम रोशन किया है,वह आने वाले समय में भारत की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक बनेगा। उनके स्वागत में एयरपोर्ट से लेकर गोमती नगर तक एक विजय परेड का आयोजन किया गया। इस परेड को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे,जिन पर पुष्पमालाओं और झंडों से शहर को सजाया गया था। हर चौराहे पर बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए थे,जिन पर शुभांशु का स्वागत संदेश लिखा हुआ था। लखनऊ मानो किसी पर्व-त्योहार की तरह उत्सव के रंगों में रंग गया था।

समारोह की शुरुआत एयरपोर्ट पर ही हुई,जहाँ सीएमएस की प्रबंधक प्रो. गीता गांधी किंगडन स्वयं छात्रों के साथ मौजूद रहीं। बच्चों ने बैंड प्रस्तुति दी और अपने गौरवशाली पूर्व छात्र का माल्यार्पण किया। इसके बाद जब शुभांशु खुले वाहन में शोभायात्रा पर निकले,तो उनके पीछे हजारों लोग ‘जय हिंद’ और ‘जय जगत’ के नारों के साथ चल पड़े। लहराते तिरंगे और गगनभेदी नारों ने वातावरण को देशभक्ति की भावना से भर दिया।

जी-20 चौराहे पर तो यह दृश्य और भी रोमांचक हो गया। यहाँ हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने तालियों और पुष्पवर्षा के बीच उनका स्वागत किया। शुभांशु भी बड़ी विनम्रता से हाथ हिलाकर सबका अभिवादन कर रहे थे। यह नजारा देखकर हर आँख नम और हर दिल गर्व से भरा हुआ था।

इस शोभायात्रा में न केवल विशिष्ट अतिथि और राजनीतिक नेता शामिल थे,बल्कि शुभांशु का पूरा परिवार भी इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बना। उनके माता-पिता, बहनें,पत्नी और पुत्र गर्व और भावनाओं से भरे हुए नजर आए। मंच पर शुभांशु के चेहरे पर जो विनम्रता और संतोष झलक रहा था,वह उनकी उपलब्धियों का सच्चा प्रतिबिंब था।

39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला ने अपने 18 दिवसीय अंतरिक्ष मिशन से लौटकर जो कीर्तिमान रचा है,उसने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई दिशा दी है। उनका यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा,बल्कि इसने दुनिया को यह संदेश भी दिया कि भारत अब अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

सीएमएस की प्रबंधक प्रो. गीता गांधी किंगडन ने इस अवसर पर कहा कि शुभांशु की यह उपलब्धि केवल विद्यालय की नहीं,बल्कि हर भारतीय की है। उन्होंने विद्यालय के आदर्श वाक्य ‘जय जगत’ को साकार किया है और आज पूरा देश उन पर गर्व महसूस कर रहा है। वहीं संस्थापिका-निर्देशिका डॉ. भारती गांधी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि शुभांशु राष्ट्र का गौरव हैं और उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

लखनऊ की सड़कों पर उमड़े जनसैलाब,लहराते झंडों का सागर और चारों ओर गूँजते नारों ने इस स्वागत समारोह को अभूतपूर्व बना दिया। यह नजारा न केवल लखनऊवासियों के लिए,बल्कि पूरे देशवासियों के लिए ऐतिहासिक स्मृति बन गया। शुभांशु शुक्ला का यह गौरवशाली स्वागत इस बात का प्रतीक है कि जब कोई भारतीय अपनी कर्मभूमि से उठकर अंतरिक्ष की ऊँचाइयों को छूता है,तो उसका स्वागत केवल व्यक्ति का नहीं बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और उपलब्धियों का होता है।

भारत के इस जांबाज अंतरिक्ष यात्री ने यह साबित कर दिया है कि यदि सपनों को जुनून और मेहनत के साथ जोड़ा जाए,तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। आज लखनऊ ने न केवल अपने बेटे का स्वागत किया,बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश भी दिया कि अगर सपने बड़े हों और इरादे मजबूत हों,तो आसमान भी आपकी पहुँच से दूर नहीं।