नासिक, 21 मई (युआईटीवी)- महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स,इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर (एमएसीसीआईए) की एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक हाल ही में नासिक में संपन्न हुई, जहाँ देश की सुरक्षा,आतंकवाद के बढ़ते खतरे और राष्ट्रहित के मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। इस बैठक का केंद्र बिंदु आतंकवाद के विरुद्ध एक संगठित और नैतिक प्रतिक्रिया देना था,जिसमें पाकिस्तान,तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों के उत्पादों के पूर्ण बहिष्कार का ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
बैठक में उपस्थित सभी व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया कि “आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते”। यह वक्तव्य केवल एक नारा नहीं बल्कि एक ठोस नीति के रूप में सामने आया,जिसका उद्देश्य उन देशों को आर्थिक स्तर पर सबक सिखाना है,जो भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं या पाकिस्तान जैसे आतंक समर्थक राष्ट्र का परोक्ष समर्थन कर रहे हैं।
इस बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार,महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स अब इन तीन देशों –पाकिस्तान,तुर्की और अजरबैजान से आने वाले सभी उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार करेगा। न केवल संगठन स्वयं इस निर्णय को लागू करेगा,बल्कि राज्यभर के व्यापारियों,आयातकों और व्यापार संघों से अपील करेगा कि वे इन देशों से आयात को तुरंत बंद करें। यह निर्णय न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है,बल्कि इसे एक नैतिक,राष्ट्रहित और सामूहिक चेतना के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।
बैठक में राज्य के विभिन्न संगठनों और व्यापार संघों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि उपस्थित थे,जिनमें क्रेडाई सचिव तुषार संकलेचा,हार्डवेयर एवं पेंट्स मर्चेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मुस्तगीर मोगरावाला,राजीव कर्णावट,एनआईएमए उपाध्यक्ष मनीष रावल,कार्यकारिणी सदस्य रणजीत सिंह आनंद,दीपाली चांडक,सोनल दगड़े,श्रीधर व्यवहारे,संदीप सोमवंशी, मोहनलाल लोढ़ा, वेदाशु पाटिल, प्रशांत जोशी,सलाहकार दिलीप सालवेकर और सहायक सचिव अविनाश पाठक शामिल थे।
इन सभी व्यापारिक प्रतिनिधियों ने एकमत होकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे देशभक्ति की भावना और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया।
इस बहिष्कार का प्राथमिक उद्देश्य भारत की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्राथमिकता देना है। जिन देशों के उत्पादों को बहिष्कृत किया गया है,वे या तो आतंकवाद को प्रोत्साहन देते हैं या भारत विरोधी रुख अपनाते हैं। ऐसे में व्यापारिक समुदाय ने यह सशक्त संदेश देने की कोशिश की है कि “राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं होगा,चाहे इसके लिए किसी भी आर्थिक सुविधा को त्यागना पड़े।”
इस बहिष्कार के माध्यम से भारतीय व्यापारिक समुदाय न केवल आंतरिक स्तर पर एकजुटता प्रदर्शित कर रहा है,बल्कि वैश्विक मंच पर भी यह संदेश दे रहा है कि भारत अब आतंकवाद के किसी भी रूप को सहन नहीं करेगा,चाहे वह हथियारों से हो या व्यापारिक साझेदारियों से।
इस निर्णय को व्यापारिक समुदाय द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और राष्ट्रभक्ति की भावना से प्रेरित कदम माना जा रहा है। प्रतिनिधियों का मानना है कि यह पहल न केवल देश के हित में है,बल्कि इससे देश की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति भी मजबूत होगी। भारत को एक जिम्मेदार,आत्मनिर्भर और दृढ़ राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करने में इस तरह की पहलें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स,इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर का यह प्रस्ताव आर्थिक से अधिक एक नैतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कदम है। व्यापारिक समुदाय द्वारा लिए गए इस निर्णय ने यह साफ कर दिया है कि भारत का उद्यमी वर्ग अब केवल लाभ की दृष्टि से नहीं बल्कि राष्ट्रहित की भावना से भी निर्णय लेता है। आतंकवाद के खिलाफ यह संगठित बहिष्कार न केवल तत्काल प्रभाव डालेगा,बल्कि भविष्य में भारत के व्यापारिक दृष्टिकोण को और अधिक सशक्त व संवेदनशील बनाएगा।
यह पहल आने वाले समय में अन्य राज्यों के व्यापारिक संगठनों और राष्ट्रीय स्तर के वाणिज्यिक संगठनों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।