उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र चुनाव में राहुल गांधी के ‘मैच फिक्सिंग’ आरोप पर शिवसेना का हमला,बीजेपी-चुनाव आयोग गठजोड़ पर सवाल,लोकतंत्र की हत्या का आरोप

मुंबई,10 जून (युआईटीवी)- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘मैच फिक्सिंग’ वाले बयान ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। अब इस पर शिवसेना (ठाकरे गुट) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक तीखे संपादकीय के माध्यम से सीधे-सीधे आरोप लगाया कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को तोड़ा जा रहा है और चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संस्था न रहकर,सत्ता के इशारे पर काम करने वाला उपकरण बन चुका है।

राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धाँधली करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि यह एक “मैच फिक्सिंग” जैसा था। अब शिवसेना ने उनकी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने एक गंभीर सच्चाई को उजागर किया है,जो आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए बेहद खतरनाक है।

शिवसेना ने कहा कि राहुल गांधी अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं,जो एक संवैधानिक पद है। जब मोदी और शाह सत्ता में थे,तब कांग्रेस को यह पद देने से मना कर दिया गया था,लेकिन अब जनता ने राहुल गांधी को ताकत दी है और उनकी आवाज़ को दबाना मुश्किल हो गया है।

शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ताधारी पार्टी में अब एक खतरनाक राक्षस ‘अगिया वेताल’ प्रवेश कर चुका है,जो लोकतंत्र को निगल रहा है। यह राक्षस न केवल चुनावों को प्रभावित कर रहा है,बल्कि जनता की आकांक्षाओं और भरोसे को भी खा रहा है।

संपादकीय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निशाने पर लेते हुए कहा गया कि राहुल गांधी के आरोपों ने उनका ‘मेकअप’ पूरी तरह से उतार दिया है। पहले दूसरों पर दोषारोपण करने वाले नेताओं को अब खुद आईने में अपना चेहरा देखना चाहिए।

शिवसेना ने कहा कि चुनाव आयोग को राहुल गांधी की आपत्तियों पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए था,क्योंकि वे अब संवैधानिक पद पर हैं,लेकिन इसके बजाय आयोग भाजपा के नेताओं की तरह व्यवहार कर रहा है और राहुल गांधी से लिखित शिकायत माँग रहा है। यह एक तरह से अपनी छवि पर लगी कीचड़ को हटाने की कायरतापूर्ण कोशिश है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने महाराष्ट्र चुनावों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार के कहने पर मनपसंद पैनल बनाए। मतदाता सूची में 60 से 70 लाख मतदाताओं की वृद्धि,शाम 5 बजे के बाद मतदान जारी रहना और सीसीटीवी फुटेज की गोपनीयता जैसे मुद्दे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हैं।

राहुल गांधी की माँग बहुत साधारण लेकिन महत्वपूर्ण है। वे चाहते हैं कि एक संयुक्त डिजिटल और मशीन-पठनीय मतदाता सूची बनाई जाए,जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा,उन्होंने यह भी माँग की कि महाराष्ट्र के सभी मतदान केंद्रों के शाम 5 बजे के बाद के सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक किए जाएँ। शिवसेना ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग इस पारदर्शिता के लिए तैयार है या वह सरकार के एजेंडे को ही आगे बढ़ाता रहेगा?

शिवसेना ने यह भी व्यंग्य किया कि राहुल गांधी ने जब चुनावों की अनियमितताओं पर एक लेख लिखा,तो मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी जवाब में एक लेख लिखा और उर्दू शायरी का सहारा लिया। संपादकीय में तंज करते हुए लिखा गया कि जब चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठते हैं और लोकतंत्र की हत्या होती है,तब भाजपा नेता शायरी करते हैं,यह गंभीर मामला है,मज़ाक नहीं।

संपादकीय में यह भी कहा गया कि अमित शाह ने सत्ता पाने की लालसा में दो बड़े क्षेत्रीय दलों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तोड़ा। चुनाव आयोग ने बिना दलबदल विरोधी कानून की 10वीं अनुसूची का पालन किए हुए एकनाथ शिंदे को शिवसेना और अजीत पवार को एनसीपी सौंप दी,यह पूरी तरह से असंवैधानिक था।

यह निर्णय न केवल राजनीतिक साजिश का हिस्सा था,बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का अपमान भी है। धनुष-बाण जैसे प्रतिष्ठित चुनाव चिन्ह को शिंदे जैसे ‘बाहरी’ व्यक्ति को सौंपना और शरद पवार के रहते हुए एनसीपी को छीन लेना यह चुनावी डकैती का हिस्सा था,जिसमें चुनाव आयोग शामिल था।

शिवसेना के अनुसार,राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में जो भी बातें कही हैं,वे सिर्फ राजनीतिक आरोप नहीं हैं,बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर चेतावनी हैं। महाराष्ट्र में जिस तरह से सत्ता का समीकरण बदला गया और विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए चुनाव प्रक्रिया को तोड़ा-मरोड़ा गया,वह आने वाले समय में बिहार और अन्य राज्यों के चुनावों के लिए भी एक चिंताजनक संकेत है।

अगर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था भी सरकार के नियंत्रण में आ जाए और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे,तो लोकतंत्र की आत्मा पर हमला होता है। आज जो सवाल राहुल गांधी और शिवसेना उठा रहे हैं,उन्हें सिर्फ राजनीतिक चश्मे से देखने की बजाय,एक जागरूक नागरिक के नज़रिए से समझना होगा।

यदि इन सवालों को समय रहते नहीं सुना गया और लोकतंत्र की संस्थाओं को मजबूत नहीं किया गया,तो आने वाले समय में भारत की चुनावी व्यवस्था पर लोगों का भरोसा डगमगा सकता है और यही लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा।