लंदन में महात्मा गांधी की प्रतिमा से तोड़फोड़ (तस्वीर क्रेडिट@margdata8705)

लंदन में महात्मा गांधी की प्रतिमा से तोड़फोड़,भारतीय उच्चायोग ने जताया आक्रोश

नई दिल्ली,30 सितंबर (युआईटीवी)- लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा से तोड़फोड़ किए जाने की घटना ने भारतीय समुदाय के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी है। यह घटना ऐसे समय हुई है,जब पूरी दुनिया 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के साथ अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने की तैयारी कर रही है। अहिंसा और सत्याग्रह के प्रतीक गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाना न केवल एक आपराधिक कृत्य है,बल्कि यह उनके विचारों और विरासत पर हमला माना जा रहा है। भारतीय उच्चायोग ने इस घटना पर कड़ा आक्रोश जताते हुए इसे शर्मनाक बताया है और तुरंत जांच की माँग की है।

यह घटना सोमवार को हुई और इसकी जानकारी मिलते ही भारतीय उच्चायोग ने स्थानीय अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की माँग की। उच्चायोग ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “भारत उच्चायोग लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ हुई इस शर्मनाक तोड़फोड़ पर गहरा दुख व्यक्त करता है और इसकी कड़ी निंदा करता है। यह सिर्फ तोड़फोड़ नहीं है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस से कुछ दिन पहले अहिंसा के विचार और महात्मा गांधी की विरासत पर एक हिंसक हमला है।”

भारतीय उच्चायोग ने यह भी बताया कि उनकी टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुँच गई और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रतिमा को उसके मूल स्वरूप में पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि मामले की गंभीर जाँच की जा रही है और जिम्मेदार लोगों को कानून के कठघरे में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएँगे।

महात्मा गांधी की यह प्रतिमा साल 1968 में स्थापित की गई थी। इसे इंडिया लीग की मदद से तैयार किया गया था और यह कांस्य से बनी है। यह प्रतिमा विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह गांधीजी के उन दिनों की याद दिलाती है,जब वे लंदन में अध्ययनरत थे। गांधी ने लंदन में वकालत की पढ़ाई की थी और वहीं से उनके जीवन में सत्य और न्याय के मूल्यों ने गहराई से स्थान लिया। इस प्रतिमा का स्थान भी प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ पर हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर भारतीय समुदाय और स्थानीय लोग एकत्र होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

गांधी जयंती को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता दी है। ऐसे में प्रतिमा के पास हर साल पुष्प अर्पित किए जाते हैं और गांधीजी की पसंद के भजन व गीत गाए जाते हैं। यह आयोजन न केवल भारतीय समुदाय के लिए बल्कि वैश्विक नागरिकों के लिए भी गांधीजी की प्रासंगिकता को याद करने और उनके विचारों से प्रेरणा लेने का अवसर होता है। इस वर्ष भी कार्यक्रम की तैयारियाँ चल रही थीं,लेकिन प्रतिमा से तोड़फोड़ की घटना ने सभी को गहरा आहत किया है।

भारत सरकार और भारतीय उच्चायोग ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी घटनाओं को किसी भी रूप में सहन नहीं किया जाएगा। यह सिर्फ भारत के राष्ट्रीय नेता की विरासत पर हमला नहीं है,बल्कि पूरी दुनिया को संदेश देने वाले गांधी के विचारों पर भी सीधा प्रहार है। उच्चायोग ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन से अपील की है कि दोषियों की पहचान कर उन्हें जल्द-से-जल्द सजा दी जाए।

स्थानीय भारतीय समुदाय में भी इस घटना को लेकर गुस्सा और निराशा दिखाई दे रही है। लोगों का कहना है कि गांधीजी केवल भारत के नहीं,बल्कि पूरी दुनिया के हैं। उन्होंने अपने विचारों से उपनिवेशवाद,नस्लवाद और अन्याय के खिलाफ शांति और सत्य के रास्ते पर चलकर संघर्ष करने की सीख दी थी। उनकी प्रतिमा को नुकसान पहुँचाना उन सार्वभौमिक मूल्यों का अपमान है,जो आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं।

ब्रिटेन में पहले भी भारतीय नेताओं और प्रतीकों से जुड़ी मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएँ हो चुकी हैं। हालाँकि,इस बार यह घटना अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस से ठीक पहले हुई है,इसलिए इसे प्रतीकात्मक रूप से और भी गंभीर माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे कृत्य केवल द्वेष फैलाने की कोशिश हैं,जिनसे भारत और ब्रिटेन के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध प्रभावित नहीं होंगे।

महात्मा गांधी की प्रतिमा से तोड़फोड़ की इस घटना ने एक बार फिर दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आज भी अहिंसा और शांति के विचार कितने प्रासंगिक हैं। जब दुनिया के कई हिस्सों में हिंसा और असहिष्णुता बढ़ रही है,तब गांधी के सिद्धांत और भी आवश्यक हो जाते हैं। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का महत्व हर वर्ष और बढ़ जाता है।

लंदन की इस घटना ने भले ही क्षणिक रूप से आहत किया हो,लेकिन यह गांधीजी की विरासत को और भी मजबूत करेगी। उनकी प्रतिमा को पुनर्स्थापित किया जाएगा और उनके विचारों को मिटाने की कोशिश करने वाले कभी सफल नहीं हो पाएँगे। गांधी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं,जितने अपने समय में थे और उनकी प्रतिमा पर हुआ यह हमला उनके विचारों की चमक को कम नहीं कर सकता।

यह घटना न केवल ब्रिटेन और भारत के लिए चिंता का विषय है,बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक भी है कि अहिंसा और शांति के प्रतीक को निशाना बनाना मानवता पर हमला है। भारतीय उच्चायोग और स्थानीय प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और महात्मा गांधी की प्रतिमा फिर से उसी गरिमा के साथ खड़ी होगी,जिस गरिमा के साथ वह पिछले पाँच दशकों से लंदन में लोगों को प्रेरित कर रही है।