एच-1बी वीज़ा

एच-1बी वीजा नियमों में बड़ा बदलाव: अब ज्यादा कुशल और उच्च वेतन वाले पेशेवरों को मिलेगी प्राथमिकता

वाशिंगटन,24 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले लाखों विदेशी पेशेवरों के लिए एच-1बी वर्क वीजा सबसे बड़ा माध्यम माना जाता है,लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर लंबे समय से उठती आलोचनाओं और कथित दुरुपयोग के आरोपों के बीच अब अमेरिकी प्रशासन ने बड़े स्तर पर सुधारों की शुरुआत कर दी है। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम के लिए नया नियम जारी कर दिया है,जो अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के जरिए लागू होगा। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों के रोजगार अवसर,वेतन संरचना और कामकाजी परिस्थितियों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना बताया जा रहा है।

अब तक एच-1बी वीजा चयन प्रक्रिया पूरी तरह से रैंडम लॉटरी सिस्टम पर आधारित थी। हर साल लाखों आवेदन आते थे और कंप्यूटर आधारित इस लॉटरी में किसे वीजा मिलेगा,यह लगभग किस्मत पर निर्भर माना जाता था। इस प्रक्रिया को लेकर लगातार यह आरोप लगते रहे कि कई अमेरिकी नियोक्ता कम लागत पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए एक ही उम्मीदवार के नाम पर कई पंजीकरण करवाते थे, जिससे चयन की संभावना कृत्रिम रूप से बढ़ जाती थी। परिणामस्वरूप कई बार उन उम्मीदवारों को भी अवसर मिल जाता था,जिनका कौशल और वेतन संरचना अमेरिकी मानकों के अनुरूप नहीं होती थी,जबकि वास्तव में ज्यादा योग्य उम्मीदवार पीछे रह जाते थे।

डीएचएस ने अब इस प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए लॉटरी सिस्टम को समाप्त करने और उसकी जगह वेटेड सेलेक्शन प्रोसेस लागू करने की घोषणा की है। नए नियम के तहत आवेदकों का चयन केवल संयोग पर निर्भर नहीं रहेगा,बल्कि उनकी योग्यता,कौशल स्तर और प्रस्तावित वेतन संरचना के आधार पर प्राथमिकता तय की जाएगी। अर्थात उच्च कौशल वाले और ज्यादा वेतन श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों के चयन की संभावना पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगी। साथ ही अमेरिकी नियोक्ताओं को भी बेहतर प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

यूएससीआईएस के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रैगेसर ने स्पष्ट किया कि पुराना रैंडम सिस्टम कांग्रेस के मूल उद्देश्य—उच्च कौशल वाले पेशेवरों को अवसर उपलब्ध कराना को पूरा नहीं कर पा रहा था। उनके अनुसार नया नियम न केवल चयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगा,बल्कि एच-1बी वीजा के वास्तविक मकसद को भी मजबूत करेगा। इससे अमेरिकी कंपनियों को नवाचार,शोध और उच्च तकनीक क्षेत्रों में विश्व स्तर की प्रतिभा उपलब्ध होगी,जो अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त कायम रखने में मददगार साबित होगी।

महत्वपूर्ण बात यह है कि एच-1बी वीजा की कुल संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले की तरह हर साल 65,000 एच-1बी वीजा जारी किए जाएँगे,जबकि अमेरिका की विश्वविद्यालयों से उच्च डिग्री हासिल करने वाले आवेदकों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा आरक्षित रहेंगे,लेकिन चयन के तरीके में हुए इस बदलाव के कारण अब अवसरों का झुकाव स्वाभाविक रूप से उन उम्मीदवारों की ओर जाएगा, जो ज्यादा कुशल,अनुभवी और ऊँचे वेतन वाले प्रोफाइल प्रस्तुत करेंगे। हालाँकि,डीएचएस का कहना है कि सभी वेतन स्तरों के लिए अवसर बने रहेंगे और प्रक्रिया किसी खास वर्ग को पूरी तरह बाहर नहीं करेगी,बल्कि प्राथमिकता क्रम को तार्किक बनाया जाएगा।

इस सुधार के पीछे एक और बड़ा तर्क अमेरिकी श्रमिकों के हितों की सुरक्षा है। आलोचकों का मानना था कि कंपनियाँ सस्ते श्रम के लिए विदेशी पेशेवरों का इस्तेमाल करती हैं,जिससे स्थानीय कर्मचारियों की नौकरियों पर दबाव पड़ता है और वेतन वृद्धि की संभावनाएँ घटती हैं। नया नियम कंपनियों को यह संदेश देता है कि यदि उन्हें विदेश से विशेषज्ञ लाना है,तो उन्हें उसके कौशल के अनुरूप उचित वेतन देना होगा। इससे न केवल कम वेतन पर भर्ती की प्रवृत्ति सीमित होगी,बल्कि अमेरिकी और विदेशी—दोनों कर्मचारियों के लिए अधिक न्यायसंगत माहौल तैयार होगा।

नियम के समर्थकों का यह भी तर्क है कि तकनीक,स्वास्थ्य,अनुसंधान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अमेरिका को लगातार उच्च कौशल वाली प्रतिभा की जरूरत रहती है। इसलिए यह जरूरी है कि वीजा कार्यक्रम उन आवेदकों को प्राथमिकता दे,जो इन उद्योगों में नई ऊर्जा और ज्ञान लेकर आ सकें। वहीं आलोचक यह आशंका भी जता रहे हैं कि छोटे और मध्यम स्तर के नियोक्ताओं के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन देना कठिन हो सकता है,जिससे बड़े कॉरपोरेट समूहों को अधिक लाभ मिल जाएगा। इस बहस के बावजूद डीएचएस का दावा है कि नया मॉडल संतुलित है और पारदर्शिता के साथ अवसरों का विवेकपूर्ण वितरण सुनिश्चित करेगा।

नया नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होगा और वित्त वर्ष 2027 की एच-1बी कैप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में प्रभावी माना जाएगा। इसका अर्थ है कि आवेदकों और नियोक्ताओं के पास अपनी रणनीति,कागजी प्रक्रिया और वेतन प्रस्तावों को पुनर्गठित करने के लिए पर्याप्त समय होगा। कई आव्रजन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इसके परिणाम स्पष्ट रूप से देखने को मिलेंगे—चयनित उम्मीदवारों के औसत वेतन स्तर में वृद्धि और समग्र कौशल गुणवत्ता में सुधार के रूप में।

दिलचस्प यह है कि इस सुधार को ट्रंप प्रशासन की एच-1बी सुधार नीति की निरंतरता के रूप में भी देखा जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “अमेरिका फर्स्ट” के नारे के तहत विदेशी श्रम पर निर्भरता कम करने और अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा पर जोर दिया था। हालांकि मौजूदा नियम अपेक्षाकृत संतुलित और तकनीकी दृष्टि से उन्नत ढाँचा प्रस्तुत करते हैं,जो वैश्विक प्रतिभा को पूरी तरह बंद करने के बजाय उसे अधिक सुव्यवस्थित और निष्पक्ष बनाने की दिशा में कदम माना जा रहा है।

एच-1बी वीजा में यह बड़ा बदलाव न केवल अमेरिका के श्रम बाजार के लिए अहम साबित हो सकता है,बल्कि उन लाखों विदेशी पेशेवरों के लिए भी निर्णायक होगा जो अपने करियर का भविष्य अमेरिका में देखते हैं। अब उनकी सफलता सिर्फ किस्मत पर नहीं,बल्कि कौशल,योग्यताओं और प्रतिस्पर्धी वेतन प्रस्ताव पर अधिक निर्भर करेगी। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि यह नया मॉडल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, कंपनियों और वैश्विक प्रतिभा—तीनों के लिए कितना कारगर साबित होता है।