नई दिल्ली,20 दिसंबर (युआईटीवी)- मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता,फिल्ममेकर और लेखक श्रीनिवासन का शनिवार को 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और शनिवार सुबह उन्होंने केरल के एर्नाकुलम जिले के थ्रिप्पुनिथुरा तालुक अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आते ही पूरी मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रशंसकों से लेकर फिल्मी हस्तियां तक,सभी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
कन्नूर के रहने वाले श्रीनिवासन मलयालम सिनेमा के उन चुनिंदा कलाकारों में शामिल थे,जिन्होंने अभिनय, खन और निर्देशन—तीनों ही क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनके परिवार में उनकी पत्नी विमला और दो बेटे हैं—विनीत श्रीनिवासन और ध्यान श्रीनिवासन—जो खुद भी मलयालम सिनेमा के जाने-माने अभिनेता और निर्देशक हैं। पिता के निधन से पूरा परिवार गहरे शोक में है और इंडस्ट्री भी इस अपूरणीय क्षति को महसूस कर रही है।
श्रीनिवासन को खासतौर पर 1990 के दशक के बेहतरीन अभिनेताओं और लेखकों में गिना जाता है। उन्होंने अपने लंबे और शानदार करियर में दर्शकों को न सिर्फ हँसाया,बल्कि समाज पर गहरी टिप्पणी करने वाली कहानियों से सोचने पर भी मजबूर किया। उनका ह्यूमर साधारण नहीं था,बल्कि उसमें समाज की विसंगतियों, मध्यमवर्गीय जीवन की उलझनों और मानवीय कमजोरियों पर तीखा व्यंग्य छिपा होता था। यही वजह थी कि उनके किरदार और लिखी गई कहानियाँ आम दर्शक से गहराई से जुड़ती थीं।
करीब 48 साल के फिल्मी करियर में श्रीनिवासन ने 200 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और कई यादगार फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखी। उन्होंने सिर्फ कॉमेडी तक खुद को सीमित नहीं रखा,बल्कि सामाजिक मुद्दों,पारिवारिक रिश्तों और इंसानी संवेदनाओं को भी बड़े सधे हुए अंदाज में पर्दे पर उतारा। उनकी फिल्मों को आज भी मलयालम सिनेमा के स्वर्णिम दौर की पहचान माना जाता है।
श्रीनिवासन ने निर्देशन के क्षेत्र में भी अपनी अलग छाप छोड़ी। मलयालम फिल्म ‘चिंताविष्ठयाया श्यामला’ और 1989 में आई ब्लैक कॉमेडी ‘वडाकुनोक्कियंत्रम’ का निर्देशन उन्होंने खुद किया था। खासतौर पर ‘वडाकुनोक्कियंत्रम’ को आज भी मलयालम सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है। इस फिल्म में उन्होंने पुरुष अहंकार,असुरक्षा और दांपत्य जीवन की जटिलताओं को हास्य और व्यंग्य के जरिए बेहद प्रभावी ढंग से दिखाया था।
उनके अभिनय करियर की शुरुआत साल 1977 में आई फिल्म ‘मणिमुजक्कम’ से हुई थी,जिसमें उन्होंने हैरी नाम के एक युवक का किरदार निभाया। इसके बाद 1980 के दशक में उन्होंने लगातार कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया और मलयालम इंडस्ट्री में अपनी मजबूत जगह बना ली। अभिनय के साथ-साथ उन्होंने लेखन में भी खुद को साबित किया। साल 1984 में आई फिल्म ‘ओडारुथमवा अलारियाम’ की स्क्रिप्ट लिखकर उन्होंने बतौर लेखक भी खूब सराहना बटोरी।
हाल के वर्षों में भी श्रीनिवासन फिल्मों से जुड़े रहे। आखिरी बार वह 15 जून 2025 को रिलीज हुई मलयालम कॉमेडी-ड्रामा फिल्म ‘नैंसी रानी’ में नजर आए थे,जिसमें अहाना कृष्णा,अजु वर्गीस और अर्जुन अशोकन मुख्य भूमिकाओं में थे। इससे पहले वह 2023 की मलयालम क्राइम-कॉमेडी फिल्म ‘कुरुक्कन’ में अपने बेटे के साथ स्क्रीन साझा करते दिखे थे,जिसे दर्शकों ने खासा पसंद किया।
स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद श्रीनिवासन का जज़्बा कम नहीं हुआ। मार्च 2022 में उन्हें कार्डियक स्ट्रोक आया था,जिसके बाद उनकी सर्जरी भी हुई थी। हालाँकि,डॉक्टरों की सलाह के बावजूद उन्होंने काम से पूरी तरह दूरी नहीं बनाई और जैसे ही स्वास्थ्य ने अनुमति दी,वह फिर से फिल्मों से जुड़ गए। यही समर्पण और सिनेमा के प्रति उनका प्रेम उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बनाता है।
उनके निधन के बाद मलयालम सिनेमा ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया है,जिसने अपनी कलम और अभिनय से समाज का आईना दिखाया। श्रीनिवासन सिर्फ एक अभिनेता या लेखक नहीं थे,बल्कि वह मलयालम सिनेमा की आत्मा का एक अहम हिस्सा थे। उनकी फिल्में,किरदार और लिखी गई कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बनी रहेंगी। उनके जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है,उसे भर पाना आसान नहीं होगा।
