भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर क्रेडिट@DrSJaishankar)

मास्को में पुतिन से मिले एस. जयशंकर,भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर अहम बातचीत तेज,रणनीतिक साझेदारी को नई गति मिलने के संकेत

मास्को,19 नवंबर (युआईटीवी)- भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों रूस के दौरे पर हैं और उन्होंने मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह मुलाकात न केवल दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी को मजबूती देने वाली रही,बल्कि दिसंबर में होने वाले वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों को लेकर भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि मास्को में पुतिन से मिलकर सम्मानित महसूस हुआ। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन भी पुतिन तक पहुँचाया और आगामी वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों के संबंध में विस्तार से अवगत कराया। जयशंकर ने लिखा कि दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई और भारत-रूस संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए पुतिन की दृष्टि और मार्गदर्शन की उन्होंने सराहना की।

मंगलवार की यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है,जब दुनिया भू-राजनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। ऊर्जा,रक्षा,व्यापार,बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था और उभरती वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत और रूस के रिश्ते नई जटिलताओं और अवसरों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में जयशंकर और पुतिन की यह बैठक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को और अधिक व्यापक और आधुनिक आयाम देने की दिशा में प्रतिबद्ध हैं।

इससे पहले सोमवार को जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच व्यापार,ऊर्जा,निवेश,कृषि,गतिशीलता,विज्ञान एवं तकनीक,संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे कई द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत हुई। लावरोव के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध दशकों पुराने भरोसे पर आधारित हैं और इनका दायरा लगातार विस्तार कर रहा है। दोनों राष्ट्र आगामी 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन से पहले सभी मुद्दों का व्यापक मूल्यांकन कर रहे हैं।

जयशंकर और लावरोव के बीच वार्ता में क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ,जिसमें यूरेशिया,इंडो-पैसिफिक,पश्चिम एशिया की स्थिति,वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग जैसे विषय शामिल रहे। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि बदलते हुए विश्व में भारत और रूस को अपनी रणनीतिक साझेदारी को नए सिरे से मजबूत करना आवश्यक है।

गौरतलब है कि रूस को भारत का समय-परखा रणनीतिक सहयोगी माना जाता है। रक्षा,ऊर्जा और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच गहरा सहयोग रहा है। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भी दोनों देशों की साझेदारी को स्थिरता और संतुलन का प्रमुख स्तंभ माना जा रहा है। रूस के तेल और गैस क्षेत्र में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी और भारत में रूसी तकनीकी और औद्योगिक पहलों का विस्तार इस बढ़ते सहयोग के संकेत हैं।

जयशंकर 17वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए इस समय रूस में हैं। मंगलवार को यह बैठक संपन्न हुई,जिसके बाद जयशंकर की पुतिन से मुलाकात और अधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एससीओ बैठक के दौरान भी क्षेत्रीय सुरक्षा,आतंकवादरोधी सहयोग,कनेक्टिविटी और आर्थिक साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।

भारत और रूस के बीच यह राजनयिक संवाद ऐसे समय में हो रहा है,जब दिसंबर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आने वाले हैं। उनकी यह यात्रा वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगी। यह सम्मेलन दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय रणनीतिक संवाद का प्रमुख मंच है,जिसकी तैयारियों की समीक्षा के लिए जयशंकर की यह मास्को यात्रा महत्व रखती है।

यह भी उल्लेखनीय है कि इससे पहले 19 से 21 अगस्त 2025 के बीच जयशंकर रूस के दौरे पर गए थे। उस दौरान उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की थी। इस सत्र में दोनों देशों के बीच व्यापार,आर्थिक,वैज्ञानिक,तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग को नई दिशा देने पर विस्तृत चर्चा हुई थी। इसके अलावा,उन्होंने रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और विदेश मंत्री लावरोव से भी मुलाकात की थी और प्रमुख थिंक टैंकों एवं विद्वानों के साथ संवाद किया था।

रूस के साथ भारत का संबंध केवल सरकारी स्तर पर ही नहीं,बल्कि लोगों के बीच लंबे समय से बने विश्वास पर भी टिका है। रक्षा सौदों की निरंतरता,ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना,अंतरिक्ष सहयोग,ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालीन अनुबंध और शिक्षा-संस्कृति के क्षेत्र में गहरे संबंध दोनों देशों को एक-दूसरे का स्वाभाविक साझेदार बनाते हैं।

मास्को में जयशंकर और पुतिन की मुलाकात ने यह संकेत स्पष्ट कर दिया है कि भारत और रूस आगामी शिखर सम्मेलन को केवल औपचारिकता नहीं रहने देना चाहते,बल्कि इसे संबंधों को अगले चरण में ले जाने वाले निर्णायक मंच के रूप में विकसित करना चाहते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश ऊर्जा,रक्षा,व्यापार और तकनीक जैसे क्षेत्रों में कौन-से नए समझौते या रोडमैप पेश करते हैं। ये विकास न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेंगे बल्कि वैश्विक संतुलन में भी अहम भूमिका निभाएँगे।