एंटानानारिवो,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- मेडागास्कर में मंगलवार को राजनीतिक और संवैधानिक संकट ने नया मोड़ ले लिया,जब देश के सैन्य अधिकारी कर्नल माइकल रैंड्रियनिरिना ने घोषणा की कि अब देश की सत्ता सैन्य परिषद के हाथ में है। इस सैन्य परिषद में सेना,जेंडरमेरी और राष्ट्रीय पुलिस के सदस्य शामिल हैं। इस घोषणा ने देश की राजनीतिक स्थिरता को हिला दिया है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
इससे पहले,दिन के दौरान,मेडागास्कर के राष्ट्रपति भवन ने एक आदेश जारी कर नेशनल असेंबली,यानी द्विसदनीय संसद के निचले सदन को भंग करने की घोषणा की। आदेश में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 60 के प्रावधानों के अनुसार नेशनल असेंबली को भंग किया जाता है। हालाँकि,इस आदेश की वैधता को लेकर विवाद है। स्थानीय मीडिया के अनुसार,नेशनल असेंबली उस समय राष्ट्राध्यक्ष पर महाभियोग चलाने के उद्देश्य से एक असाधारण सत्र बुलाने के लिए हस्ताक्षर इकट्ठा करने की प्रक्रिया में थी।
नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष सितेनी रैंड्रियानासोलोनियाइको ने मीडिया को बताया कि राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया यह आदेश औपचारिक मान्यता के बिना कानूनी वैधता से रहित है। इस स्थिति ने मेडागास्कर के राजनीतिक ढाँचे में अस्थिरता और असुरक्षा को बढ़ा दिया है।
साथ ही,राजनीतिक संकट के पीछे एक लंबा और जटिल इतिहास है। सितंबर के अंत में मेडागास्कर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए,जो मूल रूप से बिजली कटौती और पानी की कमी के कारण शुरू हुए थे,लेकिन धीरे-धीरे ये प्रदर्शन राजनीतिक स्वरूप लेने लगे और सरकारी सुधार और नेतृत्व परिवर्तन की माँग के साथ तीव्र हो गए। विरोध प्रदर्शनों में नागरिकों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक समूह भी शामिल हो गए,जिसने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया।
शनिवार को विरोध प्रदर्शनों ने नया मोड़ लिया,जब एक सैन्य रेजिमेंट ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन और सुरक्षा की घोषणा की। यह कदम सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ एक संकेत माना गया और राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया। इसके बाद रविवार को मालागासी प्रेसीडेंसी ने एक बयान जारी किया,जिसमें कहा गया कि देश में अवैध और बलपूर्वक सत्ता हथियाने का प्रयास हो रहा है। इस बयान में देश की सभी महत्वपूर्ण शक्तियों से संवैधानिक व्यवस्था और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया।
मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया,जिसमें उन्होंने बताया कि उनके ऊपर एक हत्या का प्रयास हुआ और उन्हें अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षित स्थान पर शरण लेनी पड़ी। राष्ट्रपति का यह बयान स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि देश में सत्ता संघर्ष कितनी तीव्र हो चुकी है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस संकट को लेकर प्रतिक्रिया भी आई है। अफ्रीकी संघ (एयू) आयोग के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने मेडागास्कर में बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से संयम बरतने और संवाद के माध्यम से समाधान खोजने का आह्वान किया। यूसुफ ने कहा कि एयू किसी भी असंवैधानिक सत्ता परिवर्तन को अस्वीकार करता है और सभी मालागासी पक्षों — नागरिक,सैन्य और राजनीतिक से संवैधानिक ढाँचे के भीतर ही बातचीत करने की अपील की।
उन्होंने यह भी कहा कि एयू दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय और हिंद महासागर आयोग के साथ मिलकर इस संकट का शांतिपूर्ण,समावेशी और अफ्रीकी नेतृत्व वाला समाधान खोजने के लिए तैयार है। यह बयान इस बात का संकेत है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मेडागास्कर की संवैधानिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक संस्थानों के संरक्षण पर गहरी नजर रखे हुए है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,इस संकट ने नागरिक जीवन को भी प्रभावित किया है। विरोध प्रदर्शन,सैन्य हस्तक्षेप और राजनीतिक अस्थिरता के कारण आम जनता में भय और असुरक्षा का माहौल है। लोग घरों से बाहर निकलने में भी सतर्क हैं और कई परिवारों ने सुरक्षा कारणों से अपने घरों को छोड़ दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मेडागास्कर का यह संकट देश की राजनीतिक अस्थिरता,कमजोर संस्थागत ढाँचे और संवैधानिक विवादों का परिणाम है। राष्ट्रपति और संसद के बीच सत्ता संघर्ष ने देश में शासन और कानून के पालन की प्रक्रिया को बाधित किया है। इसके अलावा,सैन्य परिषद का सत्ता में आना स्थिति को और जटिल बना देता है,क्योंकि इससे लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं।
हालाँकि,स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषक मानते हैं कि इस संकट का समाधान केवल संवाद,संयम और संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से ही संभव है। किसी भी तरह की हिंसा या असंवैधानिक कदम से देश की राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
मेडागास्कर में इस समय जो घटनाक्रम घट रहा है,वह न केवल देश के नागरिकों के लिए चुनौतीपूर्ण है,बल्कि पूरे अफ्रीकी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है। भविष्य में इस संकट का समाधान देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती,संवैधानिक प्रक्रिया और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन पर निर्भर करेगा।
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि मेडागास्कर में राजनीतिक अस्थिरता,नागरिक आंदोलनों और सैन्य हस्तक्षेप ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को गंभीर चुनौती दी है। ऐसे में सभी पक्षों से अपेक्षा की जा रही है कि वे संवैधानिक ढाँचे के भीतर ही समस्या का समाधान करें और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मिलकर काम करें।
मेडागास्कर की जनता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब इस बात की निगरानी कर रहे हैं कि देश की राजनीतिक संस्थाएँ इस संवेदनशील स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालने में कितनी सक्षम हैं और देश में स्थिरता बहाल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं या नहीं।
