मीराबाई चानू (तस्वीर क्रेडिट@KailashOnline)

मीराबाई चानू की स्वर्णिम वापसी,राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप में स्वर्ण जीत रचा नया इतिहास

अहमदाबाद,26 अगस्त (युआईटीवी)- भारतीय भारोत्तोलन की चमकदार पहचान और टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने एक बार फिर से अपनी अदम्य शक्ति और संकल्प का परिचय दिया है। सोमवार को अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप में उन्होंने 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। उन्होंने इस जीत के साथ ग्लासगो में साल 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए सीधा क्वालीफाई किया,साथ ही स्नैच,क्लीन एंड जर्क व कुल भार में उन्होंने नए कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड भी स्थापित किए।

चानू ने अपने शानदार प्रदर्शन में कुल 193 किग्रा वजन उठाया,जिसमें 84 किग्रा स्नैच और 109 किग्रा क्लीन एंड जर्क शामिल था। उनके इस दमदार प्रदर्शन के सामने अन्य प्रतिस्पर्धी पीछे रह गईं। 161 किग्रा वजन उठाकर मलेशिया की आइरीन हेनरी ने रजत पदक प्राप्त किया,तो 150 किग्रा वजन उठाकर वेल्स की निकोल रॉबर्ट्स ने कांस्य पदक अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक स्वर्ण पदक भर नहीं है,बल्कि यह उनके करियर का एक सुनहरा अध्याय है,जिसने उनके संकल्प और कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता को और मजबूत तरीके से साबित किया।

पेरिस ओलंपिक के बाद मीराबाई चानू पहली बार किसी बड़े मंच पर उतरी थीं। लंबे समय तक चोट और उसके बाद के पुनर्वास ने उन्हें प्रतियोगिता से दूर रखा। पेरिस ओलंपिक में उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में कुल 199 किग्रा वजन उठाकर शानदार प्रदर्शन किया था,लेकिन वह पदक से मामूली अंतर से चूक गई थीं। इस असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और नए जोश के साथ वापसी की तैयारी की। अंतर्राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन द्वारा 49 किग्रा वर्ग को हटाए जाने के बाद चानू ने 48 किग्रा वर्ग में वापसी करने का फैसला किया। दिलचस्प बात यह है कि इसी वर्ग में वह 2018 में विश्व चैंपियन रह चुकी हैं।

स्वर्ण पदक जीतने के बाद मीराबाई चानू ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं स्वर्ण पदक जीतकर बहुत खुश हूँ। पेरिस ओलंपिक के एक साल बाद घरेलू धरती पर प्रतिस्पर्धा करना इस पल को और भी खास बना देता है। यह जीत अथक परिश्रम,मेरे कोचों के मार्गदर्शन और प्रशंसकों से मिलने वाले प्रोत्साहन का परिणाम है। अक्टूबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप की तैयारी के लिए यह मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है।”

उनके इस बयान से साफ झलकता है कि यह जीत केवल एक उपलब्धि नहीं,बल्कि उनके करियर के अगले चरण की नींव है। चोट के कारण खोया आत्मविश्वास अब पूरी तरह से लौट चुका है और उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी नजरें आने वाली विश्व चैंपियनशिप और फिर 2026 के कॉमनवेल्थ खेलों पर टिकी हैं।

मीराबाई चानू की यह स्वर्णिम वापसी भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उनका सफर यह संदेश देता है कि कठिनाइयाँ और असफलताएँ किसी भी खिलाड़ी के करियर का अंत नहीं होतीं,बल्कि उन्हें और मजबूत बनाने का साधन होती हैं। पेरिस ओलंपिक में पदक से चूकना और उसके बाद चोट के कारण प्रतियोगिता से दूर रहना उनके लिए चुनौतीपूर्ण दौर था,लेकिन उन्होंने जिस तरह से अपनी मेहनत,अनुशासन और आत्मविश्वास के दम पर यह स्वर्ण पदक जीता है,वह आने वाली पीढ़ियों के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है।

अब मीराबाई की नजरें अक्टूबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप पर हैं। अहमदाबाद में मिली यह जीत उनके लिए मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी। साथ ही 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए सीधा क्वालीफाई करना उनके करियर को नई दिशा देता है। एक बार फिर से यह उम्मीद बँध गई है कि मीराबाई आने वाले वर्षों में भी भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित करती रहेंगी।

भारतीय खेल प्रेमियों के लिए यह पल गर्व का है। मीराबाई चानू ने साबित कर दिया है कि सच्चे चैंपियन कभी हार नहीं मानते। चोट,असफलता और मुश्किलों के बावजूद उनकी स्वर्णिम वापसी ने भारतीय खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।