प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (तस्वीर क्रेडिट@MumbaichaDon)

दिल्ली में मोदी–पुतिन शिखर वार्ता: भारत-रूस ने आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और रणनीतिक साझेदारी को दी नई मजबूती

नई दिल्ली,6 दिसंबर (युआईटीवी)- दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई उच्च-स्तरीय शिखर वार्ता ने भारत-रूस संबंधों को एक बार फिर नई गति प्रदान की। दोनों नेताओं ने न केवल द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने वाले कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए,बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एकजुट होकर कदम बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों पक्षों ने साफ कहा कि दुनिया में तब तक स्थिरता और शांति संभव नहीं,जब तक आतंकवाद,उग्रवाद,अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों का पूर्ण रूप से उन्मूलन न हो जाए।

इस बैठक का केंद्र आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मजबूती देना रहा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने स्वीकार किया कि आतंकवाद आज वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है और इसके उन्मूलन के लिए न केवल सामरिक सहयोग,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। दोनों नेताओं ने हर प्रकार के आतंकवाद—चाहे वह किसी भी विचारधारा,धर्म या राजनीतिक मकसद से प्रेरित हो को निशान बनाते हुए कठोर शब्दों में निंदा की।

भारत और रूस ने यह भी दोहराया कि आतंकवाद की सीमा-पार आवाजाही, आतंकी वित्तपोषण के नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को समाप्त करना आज समय की मांग है। इस संदर्भ में पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले और रूस के मॉस्को स्थित क्रोकस सिटी हॉल में 22 मार्च 2024 को हुए आतंकी हमले का दोनों नेताओं ने उल्लेख किया। दोनों घटनाओं ने वैश्विक समुदाय को यह स्पष्ट संदेश दिया था कि आतंकवाद किसी सीमा को नहीं पहचानता और इसकी भयावहता किसी एक देश तक सीमित नहीं रहती। मोदी और पुतिन ने इन दोनों हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद के अपराधी किसी भी प्रकार की सहानुभूति या वैचारिक बहाने के पात्र नहीं हैं।

संयुक्त बयान में अलकायदा,आईएसआईएस/दाएश और उनके सहयोगी सभी संयुक्त राष्ट्र सूचीबद्ध आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक और ठोस कार्रवाई की मांग की गई। साथ ही,इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवादियों के वित्तपोषण के स्रोतों को बंद किए बिना इस लड़ाई में सफलता संभव नहीं है। तकनीक के माध्यम से धन उगाहने,सोशल मीडिया पर उग्रवादी विचारधारा फैलाने और ड्रोन जैसे आधुनिक साधनों के दुरुपयोग जैसे खतरों को नियंत्रित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया।

इस बातचीत में दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र के महत्व पर भी विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून,संयुक्त राष्ट्र चार्टर और वैश्विक सहमति आवश्यक है। भारत और रूस ने यह भी दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र के भीतर वर्षों से लंबित व्यापक आतंकवाद-विरोधी कन्‍वेंशन को जल्द-से-जल्द अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। इस कन्‍वेंशन के अभाव में आतंकवाद की परिभाषा पर वैश्विक सहमति नहीं बन पा रही है,जिसके चलते कई बार इस संवेदनशील मुद्दे पर दोहरे मानदंड देखने को मिलते हैं। मोदी और पुतिन ने कहा कि आतंकवाद पर शून्य-सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस ) की नीति को वैश्विक स्तर पर अपनाया जाना चाहिए और इसमें कोई छूट या अपवाद नहीं होना चाहिए।

इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2022 में भारत द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोकथाम समिति (सीटीसी) की विशेष बैठक का भी उल्लेख किया। इस बैठक में अपनाए गए दिल्ली घोषणापत्र का दोनों नेताओं ने स्वागत किया। यह घोषणापत्र नई तकनीकों के आतंकवादी उपयोग को लेकर अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। इसमें भुगतान प्रणालियों के दुरुपयोग,साइबर माध्यमों से कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार और ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई गई थी। भारत और रूस ने कहा कि बदलती तकनीकें आतंकवादियों के हाथों में गंभीर खतरे के रूप में सामने आई हैं,इसलिए इनके खिलाफ सामूहिक लड़ाई अनिवार्य है।

इस बैठक में ऑनलाइन कट्टरपंथ और साइबर क्षेत्र में उग्रवाद के प्रसार को रोकने पर भी विशेष चर्चा हुई। दोनों देशों ने यह स्वीकार किया कि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आतंकी संगठनों के लिए प्रचार और भर्ती के नए माध्यम बन चुके हैं। अतः इनके दुरुपयोग को रोकने के लिए सूचना साझा करने,निगरानी और तकनीकी सहयोग को बढ़ाना आवश्यक है। इस संदर्भ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे बहु-पक्षीय मंचों के भीतर जारी प्रयासों पर संतोष जताया गया और इन्हें और मजबूत करने की बात कही गई।

सिर्फ आतंकवाद ही नहीं,बल्कि सीमा-पार संगठित अपराध,मानव तस्करी,धन शोधन और मादक पदार्थों की तस्करी को भी दोनों पक्षों ने गंभीर चुनौती बताया। भारत और रूस ने ऐसे सभी अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अपने तंत्रों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों देशों का मानना है कि इन अपराधों का नेटवर्क आतंकवाद से गहराई से जुड़ा हुआ है और इनका मुकाबला करने के लिए व्यापक रणनीति की जरूरत है।

समग्र रूप से यह शिखर वार्ता भारत-रूस संबंधों को और ऊँचाई देने वाली साबित हुई। आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता ने दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की एक नई परत जोड़ दी है। आज जब दुनिया कई ध्रुवों और जटिल चुनौतियों से गुजर रही है,ऐसे में भारत और रूस का यह संदेश बेहद स्पष्ट है—शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुट और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।

इन बयानों और समझौतों के साथ दिल्ली शिखर वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हुई,जिसने यह दिखाया कि भारत और रूस का संबंध केवल कूटनीतिक साझेदारी नहीं,बल्कि वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टि और दृढ़ संकल्प की मजबूत नींव पर आधारित है।