रूस ने पीएम मोदी,पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात का खास वीडियो शेयर किया (तस्वीर क्रेडिट@mayankcdp)

मोदी,पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात ने एससीओ शिखर सम्मेलन को दिया नया आयाम,रूस ने शेयर किया खास वीडियो

तियानजिन/नई दिल्ली,1 सितंबर (युआईटीवी)- चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले एक अहम और ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ,जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ मिले। यह मुलाकात न केवल संगठन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है,बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भी इसका गहरा संदेश है। रूस के विदेश मंत्रालय ने इस भेंट का वीडियो साझा करते हुए इसे ‘वीडियो ऑफ द डे’ करार दिया,जिससे यह स्पष्ट होता है कि तीनों नेताओं का एक साथ आना अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कितना अहम माना जा रहा है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए वीडियो में तीनों नेताओं को सहजता और आत्मीयता के साथ बातचीत करते हुए देखा जा सकता है। मंत्रालय ने लिखा, “एससीओ शिखर सम्मेलन की शुरुआत से ठीक पहले,रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग।” इस वीडियो ने कुछ ही घंटों में वैश्विक मीडिया और विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया,क्योंकि भारत,रूस और चीन के संबंधों की दिशा और दशा पर अक्सर दुनिया भर में चर्चाएं होती रहती हैं।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ सम्मेलन के फोटो सेशन में भी हिस्सा लिया,जो एक तरह से सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले का अहम कूटनीतिक क्षण था। इस फोटो सेशन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग,रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य सदस्य देशों के नेता शामिल थे। पीएम मोदी ने इस अवसर की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में।” यह साझा तस्वीरें यह संदेश देती हैं कि भारत इस बहुपक्षीय संगठन में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुलाकात का समय और संदर्भ भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में निर्दोष लोगों की जानें गईं और कई परिवार प्रभावित हुए। शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हुई इस मुलाकात के दौरान भी आतंकवाद का मुद्दा चर्चा का केंद्र रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि कितने ही बच्चे खो गए और कितने ही बच्चे अनाथ हो गए। मोदी ने यह भी कहा कि हाल ही में पहलगाम में आतंकवाद का बहुत ही घिनौना रूप देखने को मिला है। इस मौके पर उन्होंने उन सभी मित्र देशों का आभार व्यक्त किया,जिन्होंने इस कठिन घड़ी में भारत के साथ खड़े होने का साहस दिखाया।

शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों ने भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और मृतकों तथा घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। सदस्य देशों ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे हमलों के दोषियों,आयोजकों और प्रायोजकों को किसी भी कीमत पर न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। साथ ही,उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं और पूरी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को एकजुट होकर सीमापार आतंकवाद सहित सभी प्रकार के खतरों का मुकाबला करना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी,पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात से एससीओ की दिशा और रणनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा। जहाँ भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की वकालत कर रहा है,वहीं रूस और चीन इस मंच को बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की दिशा में एक कदम मानते हैं। इस मुलाकात से यह संकेत भी मिलता है कि भले ही तीनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हों,लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संवाद और सहयोग को प्राथमिकता दी जा रही है।

एससीओ सम्मेलन में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार,एक भविष्य’ की थीम को भी सदस्य देशों ने समर्थन दिया,जो भारत की पहल रही है। इसके साथ ही,हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित 5वें एससीओ स्टार्टअप फोरम और 20वें एससीओ थिंक टैंक फोरम को भी सराहा गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह संगठन केवल सुरक्षा या राजनीतिक मामलों तक सीमित नहीं है,बल्कि विज्ञान,तकनीक,नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए भी सदस्य देशों को जोड़ने का कार्य कर रहा है।

तियानजिन शिखर सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि बदलते वैश्विक हालातों में सहयोग, संवाद और सामूहिक प्रयास ही सबसे प्रभावी समाधान हैं। प्रधानमंत्री मोदी,राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात इसी दिशा में एक ठोस कदम है, जिसने एससीओ की प्रासंगिकता को और भी मजबूत किया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कूटनीतिक पहल क्षेत्रीय स्थिरता,आतंकवाद विरोधी सहयोग और बहुपक्षीय संबंधों को किस हद तक नई दिशा प्रदान कर पाती है।