नई दिल्ली,2 जुलाई (युआईटीवी)- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई, 2025 के अपने फैसले में क्रिकेटर मोहम्मद शमी को अपनी अलग रह रही पत्नी हसीन जहां और उनकी बेटी आयरा को अंतरिम भरण-पोषण के रूप में कुल ₹4 लाख प्रति माह देने का निर्देश दिया है। इसमें जहान के लिए ₹1.5 लाख और उनकी बेटी के लिए ₹2.5 लाख शामिल हैं,जिसे न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी ने “न्यायसंगत,उचित और तर्कसंगत” माना है।
यह 2023 के जिला न्यायालय के आदेश से काफी अधिक है,जिसमें शमी को अपनी पत्नी को केवल ₹50,000 और बच्चे को ₹80,000 का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। जहान ने मूल रूप से अपने लिए ₹7 लाख और अपनी बेटी के लिए ₹3 लाख माँगे थे,जिसमें उन्होंने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान शमी की लगभग ₹60 लाख की मासिक आय का हवाला दिया था।
हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि चूँकि शमी अविवाहित हैं और अपनी बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी उन्हीं पर है,इसलिए वह शादी के दौरान जैसी जीवनशैली अपनाती थीं,वैसी ही जीवनशैली जीने की हकदार हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि शमी अपनी बेटी की शिक्षा और भविष्य की अन्य जरूरतों के लिए अतिरिक्त स्वैच्छिक योगदान देने के लिए स्वतंत्र हैं।
कानूनी लड़ाई मार्च 2018 से शुरू होती है,जब जहान ने घरेलू हिंसा,दहेज उत्पीड़न और मैच फिक्सिंग के आरोप दर्ज कराए थे। इन घटनाओं के कारण 2019 में एफआईआर,गिरफ्तारी वारंट और बीसीसीआई की अगुवाई वाली जाँच हुई,जिसने अस्थायी रूप से शमी के राष्ट्रीय अनुबंध को निलंबित कर दिया और बाद में बहाल कर दिया।
शमी को कानूनी आदेश के तहत 4 लाख रुपये की मासिक भुगतान की भारी वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है,जो उनकी वित्तीय क्षमता और उनकी पत्नी और बच्चे की सुरक्षा के लिए अदालत के प्रयास दोनों को दर्शाता है।