दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक योल (तस्वीर क्रेडिट@Satyakam01)

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू करने के लिए माफी माँगी,अब ऐसा कोई प्रयास नहीं किए जाने का किया वादा

सोल,7 दिसंबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश की जनता से मार्शल लॉ लागू करने के माफी लिए माफी मांगी और कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने जो मार्शल लॉ लागू किया था, उसके लिए वह ईमानदारी से खेद प्रकट करते हैं। यून ने वादा किया कि वह भविष्य में कभी ऐसा कदम नहीं उठाएँगे। यह माफी का बयान उन्होंने टेलीविजन पर एक सार्वजनिक संबोधन के दौरान दिया,जो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर संसद में मतदान से कुछ घंटे पहले हुआ। यून ने कहा,”मुझे इसके लिए गहरा खेद है और जो लोग इस फैसले से परेशान हुए हैं,उनसे मैं दिल से माफी माँगता हूँ।”

यून सुक योल ने यह बयान उस समय दिया,जब उन्होंने मंगलवार,3 दिसंबर 2023 को अचानक मार्शल लॉ लागू करने का फैसला लिया था,लेकिन छह घंटे बाद उन्होंने इसे पलट दिया था। यह घटना उस समय हुई जब दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान होने वाला था। यून ने स्वीकार किया कि यह निर्णय अचानक और अस्वीकृत था और इसका परिणाम लोगों में “चिंता और असुविधा” के रूप में सामने आया।

राष्ट्रपति ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने “हताशा” के कारण यह कदम उठाया था। उन्होंने अपने फैसले को गलत ठहराते हुए यह भी स्पष्ट किया कि वह इस निर्णय के लिए अपनी कानूनी और राजनीतिक जिम्मेदारी से बचने की कोशिश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं मार्शल लॉ की इस घोषणा के लिए पूरी जिम्मेदारी लेता हूँ और भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अब यह जिम्मेदारी उनकी पार्टी और सरकार पर होगी और वह देश की स्थिरता सुनिश्चित करने का कार्य पूरी तरह से उन्हें सौंपेंगे।

यून सुक योल ने यह स्पष्ट किया कि उनके द्वारा लागू किए गए मार्शल लॉ को लेकर कोई भी दूसरी बार ऐसा प्रयास नहीं किया जाएगा। उनका कहना था कि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में यह कदम उठाया क्योंकि वह परिस्थितियों से बहुत परेशान थे और उन्हें अपनी स्थिति को संभालने में कठिनाई हो रही थी,लेकिन अब वह इस पर पछता रहे हैं और अपनी पार्टी और सरकार को देश की दिशा तय करने का काम सौंपने के लिए तैयार हैं।

यून सुक योल का यह सार्वजनिक बयान तब आया जब दक्षिण कोरिया के विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति ने “राज्य विरोधी ताकतों” को जड़ से उखाड़ने के लिए मार्शल लॉ लगाया था और इसके कारण देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को खतरा हो सकता था। विपक्षी सांसदों का कहना था कि राष्ट्रपति के इस कदम ने सरकारी कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित किया था और इससे संविधान का उल्लंघन हुआ था।

महाभियोग प्रस्ताव को लेकर यह सवाल उठता है कि क्या विपक्षी दलों को दो-तिहाई बहुमत मिलेगा,जो इस प्रस्ताव को पास करने के लिए जरूरी है। विपक्षी दल के पास 300 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 192 सीटें हैं,जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के पास केवल 108 सीटें हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्य विपक्षी दल का समर्थन करेंगे या नहीं।

राष्ट्रपति यून सुक योल पर इस्तीफे का दबाव भी बढ़ रहा है। शुक्रवार को उनके अपनी पार्टी के एक नेता ने उनकी संवैधानिक शक्तियों को निलंबित करने की माँग की थी और कहा था कि अब वह राष्ट्रपति पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू करके देश को एक बड़ी राजनीतिक और कानूनी संकट में डाल दिया था। उन्होंने विपक्षी दलों पर महाभियोग प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया और साथ ही,सरकारी कामकाज को पंगु बनाने के लिए बजट कटौती के प्रस्ताव पर भी विरोध जताया।

मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता ली जे-म्यांग ने दो मिनट के संबोधन के बाद राष्ट्रपति यून के तत्काल इस्तीफे की माँग की और महाभियोग की प्रक्रिया को तेज करने की बात की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का इस तरह का व्यवहार लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है और इसलिए उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए। विपक्षी पार्टी के अन्य नेताओं ने भी इस माँग को समर्थन दिया और कहा कि यून का शासन अब पूरी तरह से अस्थिर हो चुका है।

सत्तारूढ़ पार्टी के नेता हान डोंग-हून ने भी यून के शासन पर सवाल उठाते हुए इस्तीफे की माँग की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का यह निर्णय देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। हान ने कहा,”राष्ट्रपति अब अपने पद पर बने रहने के लिए सक्षम नहीं हैं और उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।”

राष्ट्रपति यून सुक योल का यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया की राजनीति में गहरे संकट को दर्शाता है। विपक्ष और उनके अपने दल के कुछ नेता उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं और अब यह देखा जाएगा कि क्या वह अपने पद पर बने रह पाते हैं या नहीं। दक्षिण कोरिया की राजनीति में यह सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और आने वाले दिनों में इसके परिणाम देश की दिशा और राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।