दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग (तस्वीर क्रेडिट@SputnikInt)

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर लगाई रोक,कहा— जनता की राय के बिना नहीं होगा फैसला

सोल,4 नवंबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने मंगलवार को सरकारी संपत्तियों के निजीकरण से जुड़ी नीतियों में बदलाव के निर्देश जारी करते हुए इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी सरकारी कंपनी या संपत्ति के निजीकरण से पहले आम जनता की राय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राष्ट्रपति ली ने इस संबंध में आपातकालीन निर्देश जारी करते हुए चेतावनी दी कि अगर सरकारी संपत्तियों को नुकसान में बेचा गया,तो इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

कैबिनेट बैठक के दौरान ली जे म्युंग ने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों को बेचना केवल आर्थिक निर्णय नहीं है,बल्कि यह जनता के विश्वास और राष्ट्रीय संसाधनों से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा, “ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं,जहाँ सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को बहुत आसानी से और एकतरफा तरीके से आगे बढ़ाया है। यह न केवल जनता की राय के खिलाफ है,बल्कि कई बार यह एक राजनीतिक विवाद का विषय भी बन जाता है।”

दक्षिण कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी योनहाप के अनुसार,राष्ट्रपति ली ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में किसी भी सरकारी कंपनी या संपत्ति का निजीकरण तभी किया जाए,जब जनता की राय ली जाए और नेशनल असेंबली के साथ विस्तृत चर्चा हो। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का निर्णय किसी भी परिस्थिति में “राजनीतिक दबाव या आर्थिक हड़बड़ी” में नहीं लिया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ली ने यह भी याद दिलाया कि जब वे डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया के नेता थे,तब उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने और इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की एक प्रणाली शुरू करने की कोशिश की थी,लेकिन वह सफल नहीं हो पाए थे। उन्होंने कहा, “मैंने तब भी यह मुद्दा उठाया था कि निजीकरण का फैसला जनता की राय से जुड़ा होना चाहिए। दुर्भाग्यवश,उस समय इसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला,लेकिन अब मैं राष्ट्रपति के रूप में यह सुनिश्चित करूँगा कि यह गलती दोहराई न जाए।”

हाल ही में कोरिया एसेट मैनेजमेंट कॉर्पोरेशन का ऑडिट हुआ है,जो सरकारी संपत्तियों का प्रबंधन करती है। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कई मामलों में सरकारी संपत्तियाँ उनकी वास्तविक कीमत से काफी कम दामों में बेची गई हैं। सांसदों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय संपत्ति की हानि है और ऐसी बिक्री को “आर्थिक अपराध” माना जाना चाहिए। रिपोर्ट सामने आने के बाद से देश में इस मुद्दे पर व्यापक बहस छिड़ी हुई है।

राष्ट्रपति ली ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी संपत्तियों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर बेचना जनता के विश्वास से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय संसाधनों का अपमान है। हमें ऐसी नीतियों की जरूरत है,जो पारदर्शिता सुनिश्चित करें और जनता की राय को सर्वोपरि रखें।”

उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि भविष्य में अगर किसी सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में देने की योजना बनाई जाती है,तो पहले संसद में उसका विस्तृत मूल्यांकन होना चाहिए। राष्ट्रपति ली ने कहा, “सरकार को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए,जिसमें संसद की स्वीकृति और जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो। यह केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं,बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक होगा।”

राष्ट्रपति ली जे म्युंग के इस कदम को दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है,क्योंकि बीते कुछ वर्षों में सरकार ने कई सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र में देने की कोशिश की थी। आलोचकों का कहना है कि इससे बेरोजगारी बढ़ी और कई सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ा। वहीं,ली के समर्थकों का मानना है कि उनका यह निर्णय “जनता के हितों की रक्षा” की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।

इसके अलावा,राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को लेकर भी एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत बनाते हुए एक आत्मनिर्भर सेना के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य अपनी राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं को इस स्तर तक ले जाना है कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए किसी अन्य देश पर निर्भर न रहना पड़े।”

ली ने अपने बजट भाषण में कहा कि दक्षिण कोरिया अब आधुनिक तकनीकों,विशेष रूप से आर्टिस्टिक सासायटी (एआई),का इस्तेमाल कर अपनी सेना को एक “स्मार्ट और सशक्त बल” में बदलने पर ध्यान देगा। उन्होंने कहा, “दुनिया तेजी से बदल रही है और हमें भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को तकनीकी रूप से उन्नत बनाना होगा। हम एक ऐसी सेना बनाना चाहते हैं,जो किसी भी खतरे से निपटने में पूरी तरह सक्षम हो।”

राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की संभावना पर भी सकारात्मक रुख जताया। उन्होंने कहा कि सियोल सरकार उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है,लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि दोनों देश विश्वास और संवाद का माहौल बनाए रखें।

राष्ट्रपति ली जे म्युंग के हालिया निर्देश और नीतिगत घोषणाएँ इस बात का संकेत हैं कि उनकी सरकार पारदर्शिता,जनता की भागीदारी और आत्मनिर्भरता पर आधारित शासन मॉडल को प्राथमिकता दे रही है। सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर नियंत्रण लगाने का यह फैसला न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि राजनीतिक रूप से भी दक्षिण कोरिया के लिए एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है।