सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (तस्वीर क्रेडिट@PMishra_Journo)

नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई,सोनिया-राहुल से जुड़े प्रकरण पर टिकी निगाहें

नई दिल्ली,22 दिसंबर (युआईटीवी)- नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े कानूनी विवाद ने एक बार फिर नया मोड़ ले लिया है। दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार को ईडी की ओर से दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करेगा,जिसमें निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई है,जिसके तहत कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी,लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की शिकायत का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया गया था। यह सुनवाई न केवल कानूनी दृष्टि से अहम मानी जा रही है,बल्कि राजनीतिक रूप से भी इसके व्यापक निहितार्थ हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित कारण सूची के अनुसार,न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की अध्यक्षता वाली एकल-न्यायाधीश पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। ईडी ने राउज एवेन्यू कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है,जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर अभियोजन शिकायत को विधिसम्मत आधार न होने के कारण खारिज कर दिया गया था। ईडी का कहना है कि निचली अदालत ने तथ्यों और कानून की व्याख्या में गंभीर त्रुटि की है और मामले की प्रकृति को देखते हुए संज्ञान लिया जाना चाहिए था।

इससे पहले,राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ईडी की ओर से दाखिल अभियोजन शिकायत प्रक्रियात्मक और कानूनी मानकों पर खरी नहीं उतरती। हालाँकि,इस आदेश में अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तत्काल राहत देते हुए भी ईडी को कानून के तहत अपनी जाँच जारी रखने की पूरी स्वतंत्रता है। इस टिप्पणी को ईडी के लिए एक सीमित राहत के रूप में देखा गया,क्योंकि इससे जाँच पर कोई रोक नहीं लगी।

नेशनल हेराल्ड मामला लंबे समय से देश की राजनीति और न्यायिक विमर्श के केंद्र में रहा है। यह प्रकरण उन आरोपों से जुड़ा है,जिनमें कहा गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने नेशनल हेराल्ड अखबार के मूल प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की करीब 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों पर कथित तौर पर अवैध रूप से कब्जा करने की साजिश रची। आरोपों के अनुसार,यह संपत्तियाँ यंग इंडियन नामक एक कंपनी के माध्यम से हासिल की गईं,जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रमुख शेयरधारक हैं।

ईडी का दावा रहा है कि एजेएल पर कांग्रेस द्वारा दिए गए कर्ज को महज 50 लाख रुपये की नाममात्र राशि में यंग इंडियन को हस्तांतरित कर दिया गया,जबकि एजेएल के पास देश के कई हिस्सों में कीमती अचल संपत्तियाँ थीं। एजेंसी का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी,जिसका उद्देश्य कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को आर्थिक लाभ पहुँचाना था। ईडी के मुताबिक,यंग इंडियन का गठन ही इसी उद्देश्य से किया गया था कि एजेएल की बहुमूल्य संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल किया जा सके।

इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा ईडी ने कई अन्य नामों को भी प्रस्तावित आरोपियों के तौर पर शामिल किया है। इनमें कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता और प्रवासी भारतीय मामलों के जानकार सैम पित्रोदा,वरिष्ठ पत्रकार सुमन दुबे,व्यवसायी सुनील भंडारी,यंग इंडियन और डॉटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। एजेंसी का कहना है कि इन सभी की भूमिकाएं कथित मनी लॉन्ड्रिंग के पूरे तंत्र में आपस में जुड़ी हुई हैं।

राउज एवेन्यू कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस ने इसे अपनी बड़ी कानूनी जीत करार दिया था और दावा किया था कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष को डराने और दबाने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस का कहना रहा है कि नेशनल हेराल्ड एक विरासत से जुड़ा अखबार है,जिसकी स्थापना स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में हुई थी और इस पूरे मामले में किसी तरह का वित्तीय घोटाला नहीं हुआ है।

वहीं,ईडी और सत्तारूढ़ पक्ष का तर्क इससे बिल्कुल उलट रहा है। ईडी का कहना है कि यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़ा है और इसमें सार्वजनिक जीवन से जुड़े प्रभावशाली लोगों द्वारा कानून का दुरुपयोग किया गया। एजेंसी के मुताबिक,यदि ऐसे मामलों में सख्ती नहीं बरती जाती,तो यह आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगा। इसी आधार पर ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है और निचली अदालत के आदेश को रद्द करने की माँग की है।

दिल्ली हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है,क्योंकि यह तय कर सकती है कि क्या ईडी की शिकायत पर आगे आपराधिक कार्यवाही चलेगी या नहीं। यदि हाईकोर्ट ईडी की दलीलों से सहमत होता है,तो निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए मामले में संज्ञान लेने का रास्ता खुल सकता है। दूसरी ओर,यदि हाईकोर्ट निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो ईडी को अपने अभियोजन पक्ष को और मजबूत करने की जरूरत पड़ेगी।

कानूनी जानकारों का मानना है कि यह मामला केवल तथ्यों तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें पीएमएलए के तहत अभियोजन की प्रक्रिया,जाँच एजेंसियों की शक्तियाँ और न्यायिक विवेक जैसे अहम सवाल भी जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने वाले समय में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल बन सकता है।

फिलहाल,देश की राजनीतिक और कानूनी हलकों की निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट पर टिकी हैं। यह सुनवाई न केवल सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण है,बल्कि यह भी तय करेगी कि नेशनल हेराल्ड मामले की कानूनी दिशा आगे किस ओर जाएगी। इस फैसले का असर विपक्ष और सरकार के बीच चल रही सियासी खींचतान पर भी पड़ना तय माना जा रहा है।