नई दिल्ली,2 अगस्त (युआईटीवी)- नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार मामले में शनिवार को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होनी थी,लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया है। अब इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी। यह मामला भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद और चर्चित मामलों में से एक बन चुका है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं—सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक धोखाधड़ी और अवैध रूप से संपत्ति हथियाने के आरोप लगे हैं।
इस मामले की शुरुआत भाजपा नेता और पूर्व सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से 2012 में दायर की गई एक आपराधिक शिकायत से हुई थी। स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने साजिश के तहत महज 50 लाख रुपए में उस कंपनी को अपने कब्जे में ले लिया,जिसकी संपत्ति उस समय 2,000 करोड़ रुपए से भी अधिक की थी।
स्वामी ने अदालत से माँग की कि सोनिया गांधी,राहुल गांधी सहित कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए। उनका आरोप है कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को अवैध रूप से ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी के माध्यम से हथिया लिया गया। इस कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
इस मामले में जाँच का दायरा तब और बढ़ गया,जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की गहन जाँच शुरू की। ईडी ने इस पूरे सौदे को मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक विश्वासघात की दृष्टि से जाँच। जाँच के दौरान ईडी को ऐसे कई वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन मिले,जिनसे यह संकेत मिला कि यंग इंडियन कंपनी ने केवल 50 लाख रुपए की मामूली रकम में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की बहुमूल्य संपत्तियों पर नियंत्रण पा लिया।
गौरतलब है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड वह कंपनी है,जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1938 में ‘नेशनल हेराल्ड’ नामक समाचार पत्र की शुरुआत की थी। इसकी स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। वर्षों तक यह समाचार पत्र कांग्रेस की विचारधारा और नीतियों को आगे बढ़ाता रहा,लेकिन 2008 में वित्तीय संकट और संचालन संबंधी समस्याओं के कारण अखबार का प्रकाशन बंद कर दिया गया।
इसके दो साल बाद,यानी 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी अस्तित्व में आई,जिसमें गांधी परिवार की प्रमुख हिस्सेदारी थी। स्वामी का आरोप है कि यंग इंडियन ने एजेएल के 9 करोड़ से अधिक शेयरों का अधिग्रहण कर लिया,जिससे कंपनी की सारी संपत्ति उनके नियंत्रण में आ गई।
ईडी ने इस सौदे को संदिग्ध मानते हुए 2023 में बड़ी कार्रवाई की थी। नवंबर 2023 में ईडी ने यंग इंडियन और एजेएल की संयुक्त संपत्तियों में से 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों और करीब 90.2 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों को जब्त कर लिया। ईडी के मुताबिक ये संपत्तियां “अपराध से अर्जित आय” की श्रेणी में आती हैं।
हालाँकि,सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मामले में पहले ही अदालत से जमानत प्राप्त कर चुके हैं,लेकिन मामले की गंभीरता और राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए हर सुनवाई पर देश भर की नजरें टिकी रहती हैं। कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार देती आई है और उसका कहना है कि मोदी सरकार अपने विरोधियों को डराने के लिए जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
दूसरी ओर,भाजपा और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेता इसे ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ न्याय की लड़ाई’ बताते हैं और माँग करते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व को इस घोटाले के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
अब जबकि अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 18 अक्टूबर तय की है,तब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले में आगे कोई नया मोड़ आता है या नहीं। इससे पहले भी कई बार सुनवाई टल चुकी है,जिससे मामले की गति धीमी पड़ी है, लेकिन ईडी की सक्रियता से संकेत मिलता है कि जाँच एजेंसी इस मामले को अंजाम तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच राजनीतिक गलियारों में इस मामले को लेकर चर्चा फिर से तेज हो गई है,खासकर तब जब देश में अगले आम चुनावों की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। यह मामला कांग्रेस के लिए एक नैतिक और राजनीतिक चुनौती बनता जा रहा है,वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे के तहत जनता के सामने जोर-शोर से पेश कर रही है।
साफ है कि नेशनल हेराल्ड मामला आने वाले महीनों में न सिर्फ अदालतों,बल्कि सियासत के मंच पर भी अहम भूमिका निभाने जा रहा है।
