मॉस्को,20 दिसंबर (युआईटीवी)- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाटो,यूक्रेन,यूरोप के साथ संबंधों और वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रूस के रुख को विस्तार से सामने रखा। अपने संबोधन में पुतिन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानी नाटो ने पूर्व की ओर विस्तार न करने के अपने वादों को लेकर रूस को बार-बार धोखा दिया है। उन्होंने इसे केवल कूटनीतिक मुद्दा नहीं,बल्कि रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक गंभीर और वैध चिंता बताया।
पुतिन ने कहा कि शीत युद्ध के बाद रूस को यह आश्वासन दिया गया था कि नाटो का विस्तार पूर्व की ओर नहीं होगा,लेकिन समय के साथ हालात इसके बिल्कुल उलट होते चले गए। उनके अनुसार,रूस की सीमाओं के बेहद करीब नाटो के सैन्य ढाँचे का लगातार बढ़ना मॉस्को के लिए चिंता का विषय है,जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ रूस की आशंका नहीं है,बल्कि किसी भी देश के लिए ऐसी स्थिति अस्वीकार्य होती,जब उसके पड़ोस में सैन्य गठबंधन अपने बुनियादी ढाँचे का विस्तार करे।
इस दौरान पुतिन ने एक पुरानी लेकिन अहम बात का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था,जब रूस ने नाटो में शामिल होने की संभावना पर चर्चा की थी। हालाँकि,बाद में यह साफ हो गया कि नाटो में रूस की सदस्यता वास्तव में अपेक्षित नहीं थी। पुतिन के अनुसार,इस अनुभव ने रूस को यह समझने में मदद की कि पश्चिमी सुरक्षा ढाँचे में उसे एक समान भागीदार के रूप में देखने की इच्छा नहीं थी। यही कारण है कि रूस आज अपनी स्वतंत्र सुरक्षा नीति और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर देता है।
यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुतिन ने कहा कि आज भी एक नई और समावेशी यूरोपीय सुरक्षा प्रणाली का निर्माण “काफी प्रासंगिक” है। उन्होंने यह विचार रखा कि किसी भी देश को अपने रक्षा साधनों और गठबंधनों का चयन करने का अधिकार है,लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि ऐसा करते समय अन्य देशों की सुरक्षा को खतरे में न डाला जाए। पुतिन के अनुसार,यदि सभी देश इस संतुलन को समझें और उसका सम्मान करें,तो महाद्वीप में स्थायी शांति संभव है।
यूक्रेन के मुद्दे पर बात करते हुए रूसी राष्ट्रपति ने अपेक्षाकृत नरम लहजे में कहा कि रूस यूक्रेन में चुनावों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर विचार करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कम से कम इस बात पर विचार किया जा सकता है कि चुनावों के दौरान यूक्रेनी क्षेत्र के भीतर गहराई तक हमले न किए जाएँ। पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया है,जब यूक्रेन संकट को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव बना हुआ है और राजनीतिक समाधान की संभावनाओं पर लगातार चर्चा हो रही है।
हालाँकि,पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन में चुनावों और किसी प्रकार की बाहरी शासन व्यवस्था को लेकर जो चर्चाएँ होती रही हैं,वे फिलहाल काल्पनिक हैं। उनके अनुसार,इस तरह के किसी भी विचार पर तभी गंभीरता से विचार संभव है,जब पश्चिमी देशों सहित किसी भी पक्ष से ऐसी वास्तविक इच्छा सामने आए। पुतिन ने संकेत दिया कि रूस किसी भी समाधान के लिए बातचीत के रास्ते खुले रखने के पक्ष में है,बशर्ते वह समाधान व्यावहारिक और सभी पक्षों के हितों का सम्मान करने वाला हो।
यूरोप के साथ रूस के संबंधों पर पुतिन ने अपेक्षाकृत सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया। उन्होंने कहा कि रूस और यूरोप यदि एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के बजाय अपनी क्षमताओं को पूरक बनाकर साथ काम करें,तो दोनों पक्षों को भारी लाभ हो सकता है। उनके अनुसार,टकराव की राजनीति से केवल नुकसान होता है,जबकि सहयोग से आर्थिक समृद्धि और स्थिरता का रास्ता खुलता है।
अपने साल के अंत की प्रेस वार्ता में पुतिन ने आर्थिक सहयोग की संभावनाओं पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि रूस और यूरोपीय देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग से सभी के लिए बड़े आर्थिक लाभ पैदा हो सकते हैं। पुतिन ने एक सैद्धांतिक लेकिन प्रभावशाली उदाहरण देते हुए कहा कि यदि रूस और यूरोप अपने प्रयासों को एकजुट करें,तो क्रय शक्ति समता के आधार पर उनकी संयुक्त जीडीपी अमेरिका से भी अधिक हो सकती है। उनके अनुसार,यह भले ही एक सैद्धांतिक आकलन हो,लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि सहयोग का रास्ता संघर्ष की तुलना में कहीं अधिक लाभकारी है।
पुतिन ने अपने बयान में यह भी कहा कि रूस किसी के साथ टकराव नहीं चाहता। उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस ब्रिटेन,यूरोप और अमेरिका सहित सभी देशों के साथ समान स्तर पर,आपसी सम्मान और समानता के आधार पर काम करने के लिए तैयार है। उनके अनुसार,अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सम्मान और संवाद ही स्थायी समाधान की कुंजी हैं। यदि अंततः यह लक्ष्य हासिल किया जाता है,तो इसका लाभ केवल रूस को ही नहीं,बल्कि पूरी दुनिया को होगा।
पुतिन की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस न केवल रूस की मौजूदा विदेश और सुरक्षा नीति को दर्शाती है,बल्कि यह भी संकेत देती है कि मॉस्को खुद को पूरी तरह अलग-थलग करने के बजाय संवाद और सहयोग की संभावनाओं को खुला रखना चाहता है। नाटो के विस्तार को लेकर तीखी आलोचना,यूक्रेन पर सशर्त नरमी और यूरोप के साथ आर्थिक सहयोग का आह्वान—ये सभी पहलू यह दिखाते हैं कि रूस आने वाले समय में अपनी रणनीति को सुरक्षा,संप्रभुता और व्यावहारिक कूटनीति के संतुलन के साथ आगे बढ़ाना चाहता है।
