प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन (तस्वीर क्रेडिट@NitinNabin)

एनडीए ने सी. पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया,पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दी बधाई और जताया समर्थन

नई दिल्ली,18 अगस्त (युआईटीवी)- देश की राजनीति में उपराष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी अब तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा सहित एनडीए के तमाम नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं। वहीं,सहयोगी दलों जैसे तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी उनके नामांकन का स्वागत करते हुए पूर्ण समर्थन का ऐलान किया। इस फैसले के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि एनडीए इस चुनाव में एकजुट होकर राधाकृष्णन के पक्ष में खड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए सी. पी. राधाकृष्णन के सार्वजनिक जीवन और उनके योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने लिखा कि अपने लंबे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने लगन, विनम्रता और बुद्धिमत्ता से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने हमेशा समाज की सेवा और वंचितों के उत्थान को प्राथमिकता दी है। मोदी ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर काम करते हुए हजारों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री ने खुशी जताते हुए कहा कि एनडीए परिवार ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक सराहनीय निर्णय लिया है।


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन्हें शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने लिखा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार बनाए जाने पर मैं सी. पी. राधाकृष्णन को बधाई देता हूँ। शाह ने कहा कि एक सांसद और विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में उनकी भूमिकाएँ संविधानिक जिम्मेदारियों को प्रभावी तरीके से निभाने का उदाहरण रही हैं। गृह मंत्री ने यह भी विश्वास जताया कि उनका अनुभव और ज्ञान उच्च सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा को और बढ़ाएगा।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कहा कि उनका नामांकन एक दूरदर्शी निर्णय है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्तमान में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और इससे पहले झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं। साथ ही,वे सांसद के रूप में भी लोकसभा में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। उनके अनुसार, राधाकृष्णन का राजनीतिक और सामाजिक अनुभव उन्हें इस पद के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाता है।


तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी एक्स पर पोस्ट साझा कर उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा कि राधाकृष्णन एक वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं,जिन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की है। नायडू ने कहा कि टीडीपी उनके नामांकन का स्वागत करती है और पूरा समर्थन देती है। इसके अलावा,हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी उनके नाम के समर्थन का ऐलान किया और लिखा कि वे सड़क से लेकर सदन तक एनडीए के साथ हैं।

भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे. पी. नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आधिकारिक तौर पर राधाकृष्णन के नाम का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह निर्णय लिया गया। नड्डा ने कहा कि राधाकृष्णन का व्यक्तित्व और कार्यकाल उन्हें इस पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार बनाता है। उन्होंने उन्हें हार्दिक बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वे देश को नई दिशा देंगे।

सी. पी. राधाकृष्णन का राजनीतिक और सामाजिक जीवन बेहद समृद्ध और विविध रहा है। उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में हुआ। 1974 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने। 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु के सचिव बने और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई।

उनकी राजनीतिक यात्रा में बड़ा मोड़ 1998 और 1999 में आया,जब वे कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। संसद में रहते हुए उन्होंने कई अहम मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में शामिल हुए और वहाँ भाषण दिया। इसके अलावा,वे ताइवान की पहली संसदीय यात्रा में भी शामिल हुए थे,जो उनकी वैश्विक समझ और विदेश नीति के प्रति गहरी रुचि को दर्शाता है।

2004 से 2007 तक वे भाजपा तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत करने और पार्टी को जमीनी स्तर तक ले जाने का काम किया। इसके बाद 2020 से 2022 तक वे भाजपा केरल के अखिल भारतीय प्रभारी रहे। यहाँ भी उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक ढाँचे को नई ऊर्जा दी।

राधाकृष्णन का संवैधानिक जीवन भी बेहद महत्वपूर्ण रहा है। उन्हें 18 फरवरी 2023 को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। झारखंड में उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक अपने कार्यकाल को पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ निभाया। इसके बाद 31 जुलाई 2024 को उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने राज्य में प्रशासनिक कामकाज और संवैधानिक मूल्यों को संतुलित करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णयों में अपनी भूमिका निभाई। इसके अलावा,उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।

उनकी छवि एक शांत,मिलनसार और विनम्र नेता की रही है। राजनीतिक और संवैधानिक जिम्मेदारियों के अलावा वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं। शिक्षा,स्वास्थ्य और समाज के वंचित वर्गों के लिए उन्होंने लगातार काम किया है। यही कारण है कि उन्हें न केवल भाजपा और एनडीए के नेताओं का,बल्कि सहयोगी दलों और समाज के विभिन्न वर्गों का व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है।

एनडीए का यह फैसला न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि इसके जरिए यह संदेश भी दिया गया है कि गठबंधन ऐसे नेताओं को आगे बढ़ा रहा है,जिनके पास अनुभव,दूरदर्शिता और सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता है। विपक्ष की ओर से अभी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया गया है,लेकिन राधाकृष्णन के नामांकन ने इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है।

सी. पी. राधाकृष्णन का नाम सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि एनडीए एक ऐसे उम्मीदवार पर भरोसा जता रहा है,जो न केवल राजनीतिक जीवन में बल्कि सामाजिक और संवैधानिक क्षेत्र में भी गहरा अनुभव रखते हैं। उनके राजनीतिक सफर से लेकर संवैधानिक पदों तक की यात्रा यह दर्शाती है कि वे इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और गंभीरता के साथ निभा सकते हैं।

अब सबकी निगाहें उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि विपक्ष किसे उम्मीदवार बनाता है और यह मुकाबला कितना कड़ा होता है,लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि सी. पी. राधाकृष्णन का नाम एनडीए के लिए एक मजबूत दांव है। उनका व्यक्तित्व और अनुभव निश्चित ही उन्हें उच्च सदन की गरिमा बढ़ाने में मदद करेगा। देश अब उस पल का इंतजार कर रहा है,जब लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए यह तय होगा कि उपराष्ट्रपति पद की यह अहम जिम्मेदारी किसके हाथों में जाएगी।