नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बीच पशुपतिनाथ मंदिर बंद (तस्वीर क्रेडिट@OpIndia_in)

नेपाल में अशांति: पशुपतिनाथ मंदिर बंद,सेना तैनात,पीएम ओली ने दिया इस्तीफा

काठमांडू,10 सितंबर (युआईटीवी)- नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। देश के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में गिने जाने वाले काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर को बुधवार को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर प्रशासन और सरकार ने यह कदम बढ़ते हिंसक प्रदर्शनों और असुरक्षा की आशंका को देखते हुए उठाया है। मंदिर परिसर में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने और व्यवस्था बनाए रखने के लिए नेपाल सेना को तैनात किया गया है।

यह फैसला उस समय लिया गया,जब देशव्यापी सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप धारण कर लिया। प्रदर्शन मुख्य रूप से युवाओं द्वारा शुरू किए गए थे,जिन्होंने सरकार के हालिया निर्णयों,विशेषकर 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया। युवाओं ने इस कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया और सड़कों पर उतरकर व्यापक आंदोलन छेड़ दिया। सोमवार को इन प्रदर्शनों ने ऐसा हिंसक रूप लिया कि पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में कम-से-कम 22 लोगों की जान चली गई,जबकि 500 से अधिक लोग घायल हो गए।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। संकट गहराने के साथ ही गृह मंत्री रमेश लेखक समेत कई अन्य मंत्रियों ने भी पद छोड़ दिए। इस घटनाक्रम ने नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल सरकार तक ही सीमित नहीं रहा,उन्होंने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और अन्य शीर्ष नेताओं के आवासों को भी निशाना बनाया। संसद भवन तक में तोड़फोड़ की गई,जिससे देश के लोकतांत्रिक ढांचे की गंभीर सुरक्षा चिंता खड़ी हो गई।

सोमवार देर रात सरकार को प्रदर्शनकारियों के दबाव के आगे झुकना पड़ा और 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए विवादास्पद प्रतिबंध को हटा लिया गया,लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू को अराजकता में झोंक दिया। इस स्थिति को संभालने के लिए नेपाल सेना को मोर्चा संभालना पड़ा। मंगलवार देर रात से ही काठमांडू की सड़कों पर सेना की तैनाती शुरू कर दी गई। शहर के प्रमुख चौराहों पर चेकपॉइंट बनाए गए और आम लोगों से पूछताछ शुरू कर दी गई।

नेपाल सेना ने मंगलवार रात 10 बजे से सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथ में ले ली। यह कदम तब उठाया गया,जब सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने और सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही थीं। सेना की तैनाती के साथ ही काठमांडू से आने-जाने वाली उड़ानों को भी निलंबित कर दिया गया है। इससे राजधानी लगभग बाहरी दुनिया से कट सी गई है।

भारत ने भी नेपाल की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी है। भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा को कड़ा कर दिया गया है और भारतीय नागरिकों को फिलहाल नेपाल की यात्रा से बचने की सलाह दी गई है। जो नागरिक पहले से नेपाल में मौजूद हैं,उन्हें घरों में सुरक्षित रहने का आग्रह किया गया है।

इस संकट के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में नेपाल में बिगड़ते हालात और उसके असर पर गंभीर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदर्शनों के दौरान युवाओं की मौत पर गहरी पीड़ा जताई और नेपाल में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “कई युवाओं की जान चली गई है। नेपाल की स्थिरता,शांति और समृद्धि हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मैं नेपाल के सभी भाइयों और बहनों से शांति का समर्थन करने की विनम्र अपील करता हूँ।”

नेपाल की वर्तमान स्थिति इस बात का संकेत है कि वहाँ की राजनीतिक व्यवस्था एक बार फिर संकट में है। पहले से ही बार-बार बदले जाने वाले प्रधानमंत्रियों और अस्थिर गठबंधन सरकारों के कारण नेपाल की राजनीति लंबे समय से अस्थिर रही है। इस बार सोशल मीडिया बैन जैसे फैसले ने आग में घी का काम किया और जनता,खासकर युवाओं ने इसे अपनी स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया।

पशुपतिनाथ मंदिर का बंद होना नेपाल में स्थिति की गंभीरता को और स्पष्ट करता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है,बल्कि नेपाल की सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। इसे बंद करना प्रशासन की मजबूरी को दर्शाता है और इस बात का संकेत देता है कि संकट कितना गहरा है।

फिलहाल नेपाल में हालात सामान्य होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। सेना की मौजूदगी ने हालाँकि,थोड़ी देर के लिए अराजकता को रोका है,लेकिन लंबे समय तक सेना के बूते व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल होगा। नेपाल को स्थिरता की ओर ले जाने के लिए नई राजनीतिक सहमति और जनता के भरोसे की बहाली जरूरी होगी। इस अस्थिरता का असर न केवल नेपाल बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर पड़ सकता है।

नेपाल में जारी इस संकट ने पड़ोसी देशों को भी चिंतित कर दिया है। भारत जैसे नजदीकी देशों के लिए नेपाल की शांति और स्थिरता हमेशा से रणनीतिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि नेपाल की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या देश के नेता जनता की भावनाओं को समझकर कोई ठोस समाधान निकाल पाते हैं या नहीं। फिलहाल तो नेपाल एक गहरे संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है,जहाँ हर दिन अस्थिरता और हिंसा की खबरें नई चिंताओं को जन्म दे रही हैं।