यरुशलम,3 नवंबर (युआईटीवी)- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को फिर एक बार स्पष्ट कर दिया कि उनका देश गाजा पट्टी को पूरी तरह असैन्य क्षेत्र बनाने तक पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने हमास को निहत्था करने और आतंक के सभी ठिकानों को खत्म करने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि भले ही सीजफायर लागू है,लेकिन इजरायल तब तक शांत नहीं बैठेगा जब तक हमास के आखिरी गुट का सफाया नहीं हो जाता। नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय में आया है,जब व्हाइट हाउस क्षेत्र में शांति बनाए रखने और बंधकों की रिहाई के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर रहा है,जबकि गाजा में जारी इजरायली हमलों की तीव्रता कुछ कम जरूर हुई है,लेकिन पूरी तरह रुकी नहीं है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,नेतन्याहू ने मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा, “गाजा के कुछ हिस्सों में जो अब हमारे नियंत्रण में हैं,वहाँ हमास के कुछ सेल अभी भी सक्रिय हैं और हम उन्हें व्यवस्थित रूप से खत्म कर रहे हैं।” उन्होंने विशेष रूप से दक्षिणी गाजा के राफा और खान यूनिस इलाकों का उल्लेख किया,जहाँ पिछले कुछ हफ्तों से इजरायली सेना आतंकियों के ठिकानों को निशाना बना रही है। उन्होंने दोहराया कि “हमास को निहत्था करना और गाजा पट्टी को डीमिलिटराइज करना” इजरायल की नीति का प्रमुख आधार है और यह लक्ष्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई उनकी सहमति के अनुरूप है। नेतन्याहू ने कहा, “अगर यह एक तरीके से संभव नहीं होगा,तो इसे दूसरे तरीके से हासिल किया जाएगा। इजरायल किसी भी स्थिति में अपनी सुरक्षा पर समझौता नहीं करेगा।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इजरायली सेना गाजा में तैनात अपने सैनिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इस दिशा में सैन्य अभियान जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इजरायल अपने अमेरिकी सहयोगियों को हर ऑपरेशन की जानकारी देगा,लेकिन “उनसे इजाजत नहीं माँगेगा।” नेतन्याहू के इस बयान ने एक बार फिर संकेत दिया कि इजरायल अपनी रणनीति को लेकर पूरी तरह आत्मनिर्भर है और किसी बाहरी दबाव में झुकने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा, “हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इजरायल के नागरिकों की सुरक्षा है। इस जिम्मेदारी के सामने हम किसी भी राजनीतिक या अंतर्राष्ट्रीय दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।”
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के अचानक किए गए हमले के बाद शुरू हुआ यह संघर्ष अब तक 13 महीने से अधिक समय से जारी है। इस युद्ध में अब तक भारी तबाही हो चुकी है और मानवीय संकट अपनी चरम स्थिति पर पहुँच गया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक,तीन हफ्ते पहले घोषित सीजफायर के बावजूद इजरायली गोलीबारी और हवाई हमलों में कम-से-कम 236 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 600 से अधिक घायल हुए हैं। इस तरह 7 अक्टूबर से अब तक मरने वालों की कुल संख्या 68,865 तक पहुँच गई है,जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं।
इजरायल का दावा है कि उसके सभी सैन्य अभियानों का मकसद सिर्फ हमास के ठिकानों को नष्ट करना है,जबकि गाजा के नागरिकों का कहना है कि निरंतर बमबारी ने उनके जीवन को पूरी तरह तबाह कर दिया है। गाजा के कई हिस्से खंडहर में तब्दील हो चुके हैं और लाखों लोग अब भी विस्थापित हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र को “मानवीय संकट का केंद्र” बताया है और लगातार युद्धविराम बनाए रखने की अपील की है,लेकिन इजरायल अपने सुरक्षा तर्कों को आगे रखकर सैन्य कार्रवाई जारी रखे हुए है।
नेतन्याहू ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि वह गाजा के साथ-साथ लेबनान के मोर्चे पर भी चौकन्ने हैं। उन्होंने लेबनान की सरकार से हिज्बुल्लाह को निहत्था करने के अपने वादे को पूरा करने की माँग की। इजरायली प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि हिज्बुल्लाह ने एक बार फिर हथियार जमा करना शुरू कर दिया है और वह सीमावर्ती क्षेत्रों में इजरायली ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर लेबनान सरकार इस पर काबू नहीं करती,तो इजरायल आत्मरक्षा के तहत कार्रवाई करेगा।”
इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने भी उत्तरी मोर्चे की स्थिति को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने बेरूत से माँग की कि हिज्बुल्लाह को दक्षिणी लेबनान से हटाया जाए,अन्यथा इजरायल सैन्य कार्रवाई को और तेज करेगा। काट्ज ने कहा, “हम उत्तर के निवासियों के लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी सेना पहले से अधिक सतर्क और तैयार है। आवश्यक हुआ तो हम अधिकतम बल का प्रयोग करेंगे।”
विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू का यह रुख इजरायल की सुरक्षा नीति के “आक्रामक विस्तार” का हिस्सा है। उनका उद्देश्य न केवल गाजा को असैन्य बनाना है,बल्कि हमास की पुनर्संरचना की किसी भी संभावना को समाप्त करना है। हालाँकि,इस नीति की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हो रही है। कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि लगातार सैन्य कार्रवाई से निर्दोष नागरिक सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। वहीं,अमेरिकी प्रशासन एक “स्थायी युद्धविराम” के लिए प्रयासरत है,लेकिन नेतन्याहू के हालिया बयानों से स्पष्ट है कि इजरायल फिलहाल अपनी सुरक्षा नीति से एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं।
गाजा के लोगों के लिए हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। हजारों परिवार अब भी अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं,जहाँ भोजन,दवाओं और स्वच्छ पानी की भारी कमी है। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस ने कई बार चेताया है कि अगर राहत कार्यों को बिना रुकावट जारी नहीं रखा गया,तो क्षेत्र में भुखमरी और बीमारियों की स्थिति और भयावह हो जाएगी।
फिर भी,नेतन्याहू का कहना है कि गाजा को असैन्य बनाना ही इस संघर्ष का एकमात्र समाधान है। उन्होंने कहा, “अगर हम हमास को पूरी तरह खत्म कर देते हैं और गाजा से सभी हथियार हटा देते हैं,तभी इस क्षेत्र में स्थायी शांति संभव है। हम इस लक्ष्य को हर कीमत पर हासिल करेंगे।”
स्पष्ट है कि इजरायल अब एक ऐसे मोड़ पर पहुँच चुका है,जहाँ वह सुरक्षा और मानवीय संकट के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। नेतन्याहू के नवीनतम बयान से यह भी जाहिर होता है कि गाजा में शांति अभी दूर की बात है,क्योंकि जब तक हमास का अस्तित्व बाकी है,इजरायल अपने अभियानों को रोकने वाला नहीं है। गाजा की जमीन एक बार फिर संघर्ष,राजनीति और मानवता की सबसे कठिन परीक्षा बन गई है और इस बार इजरायल के प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि यह युद्ध तब तक जारी रहेगा,जब तक इजरायल अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो जाता।
