प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@SonOfBharat7)

नेतन्याहू का संकल्प: आने वाले वर्ष में हमास और ईरानी एक्सिस का खात्मा करेगा इजरायल

तेल अवीव,23 सितंबर (युआईटीवी)- मध्य पूर्व में जारी संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर अपने कड़े रुख का इजहार किया है। फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दिए जाने की खबर और ईरान की ओर से आई कड़ी चेतावनी के बाद नेतन्याहू ने वादा किया है कि आने वाले वर्ष में इजरायल हमास और तथाकथित “ईरानी एक्सिस” को पूरी तरह समाप्त कर देगा। यह घोषणा उन्होंने रोश हशनाह की छुट्टी से पहले इजरायली सैन्य नेतृत्व के साथ आयोजित एक विशेष भोज में की,जहाँ उन्होंने इजरायल की सुरक्षा और भविष्य को लेकर अपनी स्पष्ट रणनीति सामने रखी।

नेतन्याहू ने आईडीएफ जनरल स्टाफ फोरम में आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जमीर और रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज के साथ बातचीत के बाद यह बयान दिया। उन्होंने कहा, “हम इस समय ऐसे संघर्ष में हैं,जिसमें हम अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर रहे हैं। हमें ईरानियन एक्सिस को नष्ट करना होगा और हमारे पास ऐसा करने की शक्ति भी है। आने वाला वर्ष इजरायल की सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक साबित हो सकता है।”

यहाँ ‘ईरानियन एक्सिस’ से आशय ‘एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस’ से है। यह एक अनौपचारिक गठबंधन है,जिसके बारे में माना जाता है कि यह ईरान की मदद से खड़ा हुआ है। इसमें फिलिस्तीन का हमास,लेबनान का हिज्बुल्लाह,यमन के हूती विद्रोही और इराक व सीरिया के कई उग्रवादी संगठन शामिल हैं। इजरायल लंबे समय से इस गठबंधन को अपनी सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता रहा है।

नेतन्याहू ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि इजरायल के युद्ध उद्देश्यों को सीमित रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम केवल गाजा में बंधकों को बचाने या हमास का सफाया करने तक सीमित नहीं हैं। हमारा लक्ष्य गाजा को इजरायल के लिए स्थायी खतरे के रूप में खत्म करना और अन्य मोर्चों पर भी जीत सुनिश्चित करना है। हम सुरक्षा चाहते हैं,हम विजय प्राप्त करना चाहते हैं और साथ ही शांति के अवसर तलाशना भी जारी रखेंगे।”

प्रधानमंत्री ने इस संघर्ष को जीतने और इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो बुनियादी गुणों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए कठिन समय में एकता और हर समय दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने सभी को “शाना तोवा” कहकर नए वर्ष के लिए मंगलकामनाएँ दीं और इसे “सुरक्षा, विजय और एकता का वर्ष” घोषित किया।

यह बयान ऐसे समय में आया है,जब क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अब्दोलरहीम मौसवी ने इजरायल को चेतावनी दी थी कि अगर उसने हमास या अन्य प्रतिरोधी गुटों के खिलाफ कार्रवाई तेज की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके अलावा,कई यूरोपीय देशों द्वारा फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की खबर ने इजरायल की आंतरिक और बाहरी राजनीति को और जटिल बना दिया है।

इजरायल की स्थिति इस समय बेहद नाजुक मानी जा रही है। एक ओर वह गाजा में हमास के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है,तो दूसरी ओर लेबनान से हिज्बुल्लाह की लगातार घुसपैठ की कोशिशें भी जारी हैं। यमन में हूती विद्रोहियों की ओर से समुद्री मार्गों पर खतरे और सीरिया में ईरान समर्थित गुटों की सक्रियता ने इजरायल के लिए बहु-आयामी सुरक्षा चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। ऐसे में नेतन्याहू का यह संकल्प न केवल राजनीतिक बयानबाजी के रूप में देखा जा रहा है,बल्कि इजरायल की सैन्य रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।

नेतन्याहू के इस वादे को लेकर विश्लेषकों की राय बँटी हुई है। कुछ इसे इजरायली जनता का मनोबल बढ़ाने और राजनीतिक समर्थन हासिल करने की रणनीति मान रहे हैं,जबकि अन्य इसे इजरायल की वास्तविक सैन्य योजनाओं का संकेत बता रहे हैं। इजरायल के अंदर भी नेतन्याहू की नीतियों को लेकर मतभेद हैं। कई विपक्षी दल मानते हैं कि केवल सैन्य अभियान से दीर्घकालिक समाधान संभव नहीं है और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए राजनीतिक पहल जरूरी है।

हालाँकि,नेतन्याहू का रुख साफ है कि जब तक हमास और अन्य ईरान समर्थित गुटों का पूरी तरह सफाया नहीं होता,तब तक इजरायल सुरक्षित नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आने वाले महीनों में गाजा और अन्य मोर्चों पर सैन्य कार्रवाई और तेज हो सकती है।

नेतन्याहू का यह संकल्प मध्य पूर्व की राजनीति और सुरक्षा परिदृश्य को गहराई से प्रभावित करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इजरायल वास्तव में “ईरानी एक्सिस” को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठा पाता है या फिर यह संकल्प भी पूर्व की घोषणाओं की तरह राजनीतिक बयान भर रह जाएगा। फिलहाल इतना तय है कि आने वाला वर्ष इजरायल और पूरे क्षेत्र के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।