मॉस्को में एस. जयशंकर और शीर्ष रूसी नेतृत्व के बीच उच्चस्तरीय वार्ता (तस्वीर क्रेडिट@sidhant)

भारत-रूस संबंधों में नई गति: मॉस्को में एस. जयशंकर और शीर्ष रूसी नेतृत्व के बीच उच्चस्तरीय वार्ता,पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियों को मिला नया आयाम

मास्को,20 नवंबर (युआईटीवी)- भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने वाले घटनाक्रम के तहत भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों रूस के दौरे पर हैं। मॉस्को पहुँचने के बाद से ही जयशंकर की व्यस्त कूटनीतिक बैठकों का दौर जारी है। मंगलवार को उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। इसके बाद बुधवार को विदेश मंत्री ने रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ व्यापक चर्चा की,जिसमें अगले महीने नई दिल्ली में होने वाले वार्षिक भारत-रूस लीडर्स समिट की तैयारियों की समीक्षा प्रमुख एजेंडा रहा।

जयशंकर और मंटुरोव की बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए विदेश मंत्री ने लिखा कि दोनों देशों के बीच अगस्त 2025 में होने वाली 26वीं आईआरआईजीसी-टीईसी बैठक की दिशा में हुई प्रगति का भी मूल्यांकन किया गया। इस उच्च स्तरीय बैठक के माध्यम से दोनों देशों ने व्यापार,रक्षा,ऊर्जा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी सहयोग को और विस्तृत करने पर जोर दिया। विशेष रूप से,वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की आगामी मुलाकात को लेकर दोनों पक्षों ने तैयारियों पर गहन चर्चा की।

राष्ट्रपति पुतिन की दिसंबर में भारत यात्रा लगभग तय मानी जा रही है। यह भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का 23वां संस्करण होगा। क्रेमलिन की ओर से भी इसकी पुष्टि की गई है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि रूसी प्रशासन इस महत्वपूर्ण यात्रा की तैयारी में जुट चुका है। उल्लेखनीय है कि पुतिन ने पिछली बार दिसंबर 2021 में 21वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत का दौरा किया था,जबकि 2022 और 2023 में यह बैठक वैश्विक परिस्थितियों के कारण नहीं हो सकी।

विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात भारत-रूस संबंधों की मजबूत नींव को दोहराती दिखाई दी। जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुँचाया। आगामी वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों से उन्हें अवगत कराया। क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी चर्चा की। हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनके दृष्टिकोण और मार्गदर्शन को मैं बहुत महत्व देता हूँ।”

यह बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद न केवल सक्रिय है,बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच और अधिक प्रासंगिक भी होता जा रहा है।

इससे इतर नई दिल्ली में भी भारत-रूस संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण गतिविधियाँ दर्ज की गईं। रूसी राष्ट्रपति के करीबी सहयोगी और रूसी संघ के समुद्री बोर्ड के अध्यक्ष निकोलाई पात्रुशेव ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन की भारत यात्रा का इंतजार जताते हुए कहा कि वे दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं। पात्रुशेव भारत-रूस सुरक्षा सहयोग को सुचारू बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं और उनकी यह यात्रा शिखर सम्मेलन की तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जा रही है।

भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रणनीतिक संबंध आज भी वैश्विक राजनीति की बदलती परिस्थितियों में स्थिर और मजबूत बने हुए हैं। चाहे रक्षा खरीद का मामला हो,ऊर्जा सहयोग,विज्ञान एवं तकनीक में साझेदारी या रणनीतिक और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग—दोनों देश एक-दूसरे के महत्वपूर्ण साझेदार हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद उत्पन्न अंतर्राष्ट्रीय दबाव और पश्चिमी देशों की नीतियों के बावजूद भारत ने रूस के साथ पुराने संबंधों की प्रासंगिकता को बनाए रखा है। इसी कारण मॉस्को में जयशंकर की यह यात्रा केवल औपचारिक मुलाकात न होकर भविष्य की दिशा तय करने वाली महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।

विशेष रूप से,वार्षिक भारत-रूस लीडर्स समिट दोनों देशों के बीच सबसे उच्च स्तरीय संवाद का मंच है,जिसमें व्यापक आपसी हितों पर चर्चा होती है। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन इसलिए भी उल्लेखनीय है कि यह लंबी अवधि के बाद ऐसे समय हो रहा है,जब वैश्विक मंच पर कई भू-राजनीतिक संकट उभर रहे हैं—चाहे वह यूक्रेन संघर्ष हो,पश्चिम एशिया में तनाव या इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन का बदलता समीकरण।

जयशंकर की मॉस्को यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत-रूस संबंध आने वाले वर्षों में और भी व्यापक रूप ले सकते हैं। नई दिल्ली और मॉस्को दोनों ही आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने,व्यापार को डॉलर के बजाय वैकल्पिक मुद्राओं में आगे बढ़ाने और रक्षा साझेदारी को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से विस्तृत करने पर जोर दे रहे हैं। पुतिन की भारत यात्रा इन सभी पहलों को नई ताकत देने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह रूस दौरा भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा प्रदान करता दिखाई दे रहा है। दिसंबर में होने वाला शिखर सम्मेलन दोनों देशों की साझेदारी की मजबूती का अगला बड़ा अध्याय साबित हो सकता है,जिसकी तैयारियों ने राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर नई हलचल पैदा कर दी है।