नई दिल्ली,4 जून (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्यांग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुए भारत और कोरिया गणराज्य के बीच रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ करने की इच्छा जताई है। उन्होंने यह संदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा, “कोरिया गणराज्य का राष्ट्रपति चुने जाने पर ली जे-म्यांग को बधाई। हम भारत-कोरिया गणराज्य विशेष रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने और इसे मजबूत करने के लिए एक साथ काम करने को लेकर तत्पर हैं।”
डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपी) के उम्मीदवार ली जे-म्यांग ने हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। यह जीत उनके लिए एक तरह की ‘राजनीतिक वापसी’ है क्योंकि 2022 के पिछले चुनाव में वे बेहद कम अंतर एक प्रतिशत से भी कम से हार गए थे। उस समय कंजरवेटिव पार्टी (पीपुल पावर पार्टी – पीपीपी) के यूं सुक योल ने जीत दर्ज की थी,लेकिन बीते दिसंबर में यूं सुक योल द्वारा मार्शल लॉ लागू करने के प्रयास ने देश की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी। इस कदम ने राजनीतिक विभाजन को और गहरा किया और जनमत को ली के पक्ष में मोड़ने में निर्णायक भूमिका निभाई। इस बार ली ने 49.42% वोट प्राप्त किए,जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% वोट मिले। इस निर्णायक जीत ने उन्हें दक्षिण कोरिया का नया राष्ट्रपति बना दिया।
भारत और दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय संबंध लंबे समय से सौहार्द्रपूर्ण रहे हैं। इन संबंधों को 2015 में एक नई ऊँचाई मिली,जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण कोरिया की राजकीय यात्रा की और दोनों देशों ने अपने संबंधों को “विशेष रणनीतिक साझेदारी” का दर्जा दिया। यह साझेदारी केवल राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रही,बल्कि सांस्कृतिक,शैक्षणिक और रक्षा सहयोग तक फैली हुई है।
2018 में तत्कालीन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन ने भारत का दौरा किया था। इस अवसर पर दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था,जिसमें जनता,समृद्धि, शांति और हमारे भविष्य के चार स्तंभों पर आधारित एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण साझा किया गया था। यह दृष्टिकोण केवल आर्थिक हितों तक सीमित नहीं था,बल्कि वैश्विक शांति और सतत विकास के लिए सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित था।
भारत और कोरिया के रिश्ते केवल आधुनिक कूटनीति पर आधारित नहीं हैं,बल्कि इनके पीछे गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी हैं। कोरियाई लोककथाओं और इतिहास में रानी हौ (रानी हियो ह्वांग-ओक) की कथा प्रसिद्ध है,जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत के अयोध्या से कोरिया गई थीं और उन्होंने वहाँ के राजा से विवाह किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में अपने कोरियाई दौरे के दौरान योनसेई विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया। इसके साथ ही उन्होंने गिम्हे शहर को बोधि वृक्ष का पौधा भी भेंट किया,जो भारत और कोरिया के बौद्ध विरासत के साझा इतिहास की प्रतीक है। इसी दौरे में उन्हें सियोल शांति पुरस्कार भी प्रदान किया गया,जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में उनके योगदान की सराहना थी।
ली जे-म्यांग की जीत ऐसे समय पर हुई है,जब दक्षिण कोरिया कई चुनौतियों से जूझ रहा है। जैसे अमेरिका की टैरिफ नीतियाँ,उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम और घरेलू राजनीतिक ध्रुवीकरण। ऐसे में भारत जैसे साझेदार के साथ रणनीतिक सहयोग और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
भारत,जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और संतुलन का समर्थक है, दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा,तकनीक,शिक्षा,स्टार्टअप्स और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ा सकता है। दोनों देश क्वाड और अन्य बहुपक्षीय मंचों के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
ली जे-म्यांग की राष्ट्रपति पद पर वापसी दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई बधाई सिर्फ एक औपचारिक संदेश नहीं, बल्कि भारत की दक्षिण कोरिया के साथ गहराते रिश्तों की गूँज है। यह वक्त दोनों देशों के लिए आपसी सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का है न सिर्फ एशिया,बल्कि पूरे विश्व में शांति और समृद्धि को दिशा देने के लिए।
भारत और कोरिया अब एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं,जहाँ ऐतिहासिक संबंध, आर्थिक साझेदारी और वैश्विक कूटनीति का समन्वय भविष्य की दिशा तय करेगा।