अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

एनआईएल पर ट्रंप का तीखा हमला: अमेरिकी कॉलेज स्पोर्ट्स को बताया असंतुलित,संघीय हस्तक्षेप के दिए संकेत

वाशिंगटन,13 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की कॉलेज स्पोर्ट्स प्रणाली को लेकर कड़ी चिंता जताते हुए नाम,छवि और समानता यानी ‘एनआईएल’ व्यवस्था की तीखी आलोचना की है। व्हाइट हाउस में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि मौजूदा एनआईएल ढाँचा टिकाऊ नहीं है और इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों की आर्थिक सेहत तेजी से बिगड़ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हालात में जल्द सुधार नहीं हुआ,तो संघीय सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

ट्रंप ने कहा कि उन्हें न केवल एनआईएल प्रणाली पसंद नहीं है,बल्कि ट्रांसफर पोर्टल भी उन्हें अस्वीकार्य लगता है। उनके मुताबिक,कॉलेज खेलों में इस समय कोई ठोस नियंत्रण नहीं रह गया है और पूरा सिस्टम असंतुलित हो चुका है। राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे एनआईएल पसंद नहीं है। मुझे ट्रांसफर पोर्टल भी पसंद नहीं है और हमारे पास इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कॉलेज स्पोर्ट्स का मौजूदा स्वरूप अव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है और इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं।

एनआईएल व्यवस्था 2021 में लागू की गई थी,जिसके तहत कॉलेज एथलीटों को अपने नाम,छवि और पहचान का व्यावसायिक इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई। इसके बाद से खिलाड़ी विज्ञापन,ब्रांड एंडोर्समेंट और प्रायोजन के जरिए बड़ी रकम कमाने लगे हैं। समर्थकों का मानना है कि यह खिलाड़ियों के अधिकारों की दिशा में ऐतिहासिक कदम है,क्योंकि लंबे समय तक कॉलेज एथलीट बिना किसी सीधी कमाई के संस्थानों के लिए खेलते रहे,लेकिन ट्रंप जैसे आलोचकों का तर्क है कि इस व्यवस्था ने कॉलेज खेलों की मूल भावना और वित्तीय संतुलन दोनों को नुकसान पहुँचाया है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने एनआईएल को कॉलेज स्पोर्ट्स के लिए “एक आपदा” करार दिया। उन्होंने यहाँ तक कहा कि इसका असर केवल कॉलेज खेलों तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि यह ओलंपिक खेलों के भविष्य के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ट्रंप के मुताबिक,अमेरिकी कॉलेज लंबे समय से ओलंपिक खेलों के लिए प्रतिभा तैयार करने का प्रमुख केंद्र रहे हैं,लेकिन अब अनियंत्रित खर्च की वजह से कई गैर-लोकप्रिय खेलों को बंद किया जा रहा है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कॉलेज एक अनियंत्रित खर्च की दौड़ में फँस गए हैं। ट्रंप ने कहा, “आप किसी क्वार्टरबैक को हाई स्कूल से निकलते ही 14 मिलियन डॉलर नहीं दे सकते। उन्हें खुद नहीं पता कि वह खिलाड़ी वाकई अच्छा साबित होगा या नहीं।” उनके मुताबिक,इतनी बड़ी रकम कम उम्र और अनुभवहीन खिलाड़ियों पर दांव लगाने से न केवल खेल का स्तर प्रभावित होता है,बल्कि संस्थानों की वित्तीय स्थिरता भी खतरे में पड़ जाती है।

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि देश के शीर्ष और सबसे सफल कॉलेज भी अब आर्थिक दबाव में हैं। उन्होंने कहा, “सबसे सफल कॉलेज भी पैसे गंवा रहे हैं। कॉलेज इस खेल को खेलने का खर्च नहीं उठा सकते।” राष्ट्रपति के अनुसार,एनआईएल और ट्रांसफर पोर्टल की वजह से खिलाड़ियों की भर्ती एक तरह की बोली प्रक्रिया में बदल गई है, जहाँ पैसे के दम पर प्रतिभा खरीदी जा रही है,लेकिन जीत या दीर्घकालिक सफलता की कोई गारंटी नहीं है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नुकसान केवल फुटबॉल और बास्केटबॉल तक सीमित नहीं है,बल्कि इसका असर पूरे खेल ढाँचे पर पड़ रहा है। ट्रंप ने कहा कि कॉलेज कार्यक्रम कभी ओलंपिक खेलों के लिए प्रशिक्षण स्थल हुआ करते थे,लेकिन अब कई खेलों को बंद किया जा रहा है। उनके अनुसार,ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अधिकांश फंडिंग फुटबॉल जैसे हाई-प्रोफाइल खेलों में झोंक दी जा रही है,जबकि ट्रैक एंड फील्ड,स्विमिंग,रेसलिंग और अन्य ओलंपिक खेल उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।

कॉलेज खेलों की तुलना पेशेवर लीग से करते हुए ट्रंप ने सैलरी कैप की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर पेशेवर खेलों में मजबूत सैलरी कैप न हो,तो टीमें दिवालिया हो जाएँगी। उनके मुताबिक,कॉलेज स्पोर्ट्स में भी इसी तरह के नियंत्रण की जरूरत है,वरना खर्च का यह सिलसिला लंबे समय तक नहीं चल सकता।

राष्ट्रपति ने भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और कहा कि केवल पैसे देने से जीत सुनिश्चित नहीं होती। उन्होंने टिप्पणी की, “हमेशा कोई न कोई खिलाड़ी होगा,जिसे सात मिलियन डॉलर दे दिए जाएँगे और फिर भी टीम नहीं जीतेगी।” ट्रंप के अनुसार, यह व्यवस्था खेल की प्रतिस्पर्धात्मक भावना को कमजोर कर रही है और कोचिंग, टीमवर्क और विकास जैसे पहलुओं को पीछे धकेल रही है।

ट्रंप ने साफ किया कि सरकार इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रही है। उन्होंने कहा, “मैं संघीय सरकार को इसके पीछे लगाने को तैयार हूँ। अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया,तो कॉलेज खत्म हो जाएँगे। यह खिलाड़ियों के लिए भी वास्तव में बहुत खराब है।” उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि भविष्य में एनआईएल और कॉलेज स्पोर्ट्स पर संघीय स्तर पर नियम-कानून बनाए जा सकते हैं या मौजूदा ढाँचे में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं।

एनआईएल को लेकर अमेरिका में पहले से ही गहरी बहस चल रही है। जहाँ एक पक्ष इसे खिलाड़ियों के शोषण को खत्म करने की दिशा में जरूरी सुधार मानता है,वहीं दूसरा पक्ष इसे कॉलेज खेलों की आत्मा के खिलाफ बता रहा है। कई विश्वविद्यालय और एथलेटिक डायरेक्टर भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बढ़ते खर्च और अनिश्चित आय के बीच वे अपने खेल कार्यक्रमों को कैसे संतुलित रखें।

इस बहस का अंतर्राष्ट्रीय असर भी माना जा रहा है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ते हैं और कॉलेज स्पोर्ट्स कैंपस संस्कृति व अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। अगर फंडिंग मॉडल में बड़े बदलाव होते हैं या कुछ खेल कार्यक्रम बंद किए जाते हैं,तो इसका असर छात्र जीवन,स्कॉलरशिप,कैंपस रोजगार और समग्र शैक्षणिक माहौल पर भी पड़ सकता है। ऐसे में ट्रंप के बयान न केवल अमेरिका,बल्कि भारतीय परिवारों,शैक्षणिक संस्थानों और नीति-निर्माताओं के लिए भी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप की यह टिप्पणी कॉलेज स्पोर्ट्स में चल रहे गहरे संकट और भविष्य की अनिश्चितता की ओर इशारा करती है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या सरकार वास्तव में हस्तक्षेप करती है और अगर करती है,तो अमेरिकी कॉलेज खेलों का स्वरूप किस दिशा में बदलता है।