जावेद अख्तर

नीतीश कुमार के हिजाब विवाद पर जावेद अख्तर की टिप्पणी से मचा सियासी और सामाजिक बवाल,सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू

मुंबई,19 दिसंबर (युआईटीवी)- सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ा एक वीडियो चर्चा का केंद्र बना हुआ है। वीडियो में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार द्वारा एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने का दृश्य दिखाई दे रहा है,जिसे लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। यह वीडियो वायरल होते ही मामला सिर्फ राजनीतिक नहीं रहा,बल्कि सामाजिक और वैचारिक बहस में भी तब्दील हो गया। इस मुद्दे पर समाज दो हिस्सों में बँटता नजर आ रहा है,जहाँ एक ओर इसे महिला की गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला बताया जा रहा है,वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे अलग नजरिये से देखने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी क्रम में मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया ने इस बहस को और तेज कर दिया है। जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी राय रखते हुए नीतीश कुमार के इस व्यवहार की कड़ी निंदा की। उन्होंने साफ शब्दों में लिखा कि जो लोग उन्हें थोड़ा-बहुत भी जानते हैं,वे यह जानते हैं कि वह पर्दे और पारंपरिक घूँघट की अवधारणा के खिलाफ रहे हैं,लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वह किसी भी परिस्थिति में किसी महिला के साथ किए गए इस तरह के व्यवहार को सही ठहरा सकते हैं।

जावेद अख्तर ने अपने पोस्ट में कहा कि नीतीश कुमार ने जिस तरह एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के साथ सार्वजनिक मंच पर व्यवहार किया,वह गलत है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को उस महिला से बिना शर्त माफी माँगनी चाहिए। जावेद अख्तर का यह बयान आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। जहाँ कुछ लोगों ने उनके बयान का समर्थन किया,वहीं बड़ी संख्या में यूजर्स ने उनके पुराने बयानों को खंगालना शुरू कर दिया।

इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो तेजी से वायरल होने लगा,जिसमें जावेद अख्तर मुस्लिम महिलाओं द्वारा चेहरा ढकने की परंपरा पर सवाल उठाते नजर आते हैं। इस वीडियो में एक मुस्लिम लड़की उनसे सवाल करती है कि हिजाब पहनने वाली लड़कियों को बाकी लड़कियों से कमतर क्यों समझा जाता है। इसके जवाब में जावेद अख्तर कहते हैं कि चेहरा दिखाने में शर्म क्यों महसूस की जाती है। वे यह भी कहते हैं कि चाहे मर्द हों या औरत,बहुत अधिक रिवीलिंग कपड़े उन्हें अच्छे नहीं लगते,लेकिन चेहरा छिपाने का क्या तुक है,यह उनकी समझ से परे है।

यह वीडियो सामने आने के बाद जावेद अख्तर को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया जाने लगा। कई यूजर्स ने उन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति खुद हिजाब और चेहरा ढकने की प्रथा को ब्रेनवॉश का हिस्सा बता चुका है,वह अब इस मुद्दे पर नैतिकता की बात कैसे कर सकता है। सोशल मीडिया पर बहस इस कदर तेज हो गई कि यह मामला व्यक्तिगत राय से निकलकर विचारधारा की लड़ाई बन गया।

एक यूजर ने जावेद अख्तर के पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा कि आखिर चेहरा छिपाने की जरूरत ही क्यों है। उसने सवाल उठाया कि अगर कोई डॉक्टर अपना चेहरा ढककर मरीज का इलाज करती है,तो मरीज को कैसे पता चलेगा कि उसका इलाज किसने किया। यूजर ने आगे यह भी पूछा कि अगर इलाज के दौरान कोई गलती हो जाती है,तो बुर्के या हिजाब के पीछे छिपी महिला की जिम्मेदारी कौन लेगा। इस तरह के सवालों के साथ कई लोग जावेद अख्तर के बयान को उनके पुराने विचारों से जोड़कर उन्हें घेरते नजर आए।

पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ,जब हाल ही में आयुष चिकित्सकों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार मंच पर मौजूद डॉक्टर नुसरत परवीन के पास पहुँचे और उनका हिजाब हटा दिया। यह कार्यक्रम लाइव प्रसारण में था और कैमरों ने इस पूरे घटनाक्रम को कैद कर लिया। देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों ने मुख्यमंत्री के इस व्यवहार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद डॉक्टर नुसरत परवीन गहरे सदमे में हैं। उनके भाई ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि नुसरत परवीन इस घटना को भूल नहीं पा रही हैं। परिवार का कहना है कि सार्वजनिक मंच पर इस तरह की हरकत से उनकी बहन की गरिमा को ठेस पहुँची है। उन्होंने यह भी दावा किया कि नुसरत परवीन अब नौकरी ज्वाइन नहीं करेंगी,क्योंकि इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से आहत कर दिया है।

इस पूरे मामले ने राजनीति,समाज और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। जहाँ विपक्षी दल नीतीश कुमार के व्यवहार को असंवेदनशील और अस्वीकार्य बता रहे हैं,वहीं सत्तापक्ष की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट और औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। दूसरी ओर,जावेद अख्तर की टिप्पणी ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या किसी व्यक्ति के पुराने विचार उसके वर्तमान स्टैंड को कमजोर कर देते हैं या फिर किसी गलत घटना की आलोचना करने का अधिकार हर किसी को है।

फिलहाल यह विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया पर लगातार नए-नए वीडियो,बयान और प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। यह मामला अब सिर्फ एक वीडियो तक सीमित नहीं रहा,बल्कि यह महिलाओं की गरिमा,धार्मिक पहचान,व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी जैसे बड़े सवालों को जन्म दे चुका है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में और भी तीखी चर्चाएँ होने की संभावना जताई जा रही है।