किम जोंग-उन की बहन किम यो-जोंग (तस्वीर क्रेडिट@hyungjin1972)

उत्तर कोरिया की किम यो-जोंग ने “दक्षिण कोरिया से किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं किए जाने का दिया सख्त संदेश

सोल,28 जुलाई (युआईटीवी)- उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुँचता दिख रहा है। उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन की प्रभावशाली बहन और सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति की उप निदेशक किम यो-जोंग ने सोमवार को एक कड़े बयान में स्पष्ट कर दिया कि उनका देश दक्षिण कोरिया के किसी भी नीति प्रस्ताव या वार्ता की पेशकश में कोई रुचि नहीं रखता। यह बयान उत्तर कोरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) द्वारा जारी किया गया है।

किम यो-जोंग का यह तीखा बयान दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे म्युंग के उस शांति प्रयास की प्रतिक्रिया में आया है,जिसमें उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ सैन्य तनाव को कम करने और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए संवाद की पेशकश की थी। उल्लेखनीय है कि ली जे म्युंग की सरकार को सत्ता में आए अभी महज पचास दिन हुए हैं और यह उत्तर कोरिया की ओर से उनके प्रशासन पर पहला आधिकारिक बयान है,जो भविष्य के संबंधों की दिशा को लेकर काफी कुछ स्पष्ट करता है।

किम यो-जोंग ने दक्षिण कोरिया के नए नेतृत्व की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि ली जे म्युंग अपने पूर्ववर्तियों की राह पर ही चल रहे हैं और उन्होंने भी उत्तर कोरिया के साथ टकराव की नीति को ही प्राथमिकता दी है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ली प्रशासन दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन को अनावश्यक और बेतहाशा समर्थन दे रहा है,जो कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव को बढ़ाने वाला है।

बयान में किम यो-जोंग ने साफ किया कि उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया के किसी भी प्रस्ताव या नीति में दिलचस्पी नहीं रखता और ना ही किसी प्रकार की बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने दक्षिण कोरिया की शांति वार्ता की पहल को “साफ इनकार” के साथ खारिज कर दिया। उनके अनुसार,उत्तर कोरिया की नीति स्पष्ट है और सोल सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि उनके प्रयास किसी सकारात्मक परिणाम में तब्दील नहीं होंगे।

किम ने दक्षिण कोरिया के ‘एकीकरण मंत्रालय’ की भी कड़ी आलोचना की और कहा कि यह संस्था व्यर्थ है,क्योंकि दोनों कोरिया अलग-अलग राष्ट्र हैं। उन्होंने इसे “एकीकरण द्वारा अवशोषण” की भ्रांति बताया और कहा कि इस प्रकार की सोच दोनों देशों के बीच की वास्तविकताओं को नज़रअंदाज़ करती है। उनके अनुसार,इस मंत्रालय का अस्तित्व ही कोरियाई वास्तविकताओं के विरुद्ध है और इसे समाप्त कर देना चाहिए।

किम यो-जोंग ने दक्षिण कोरियाई सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि वह अपने पुराने टकरावपूर्ण रवैये को कुछ भावनात्मक शब्दों से छुपाने की कोशिश कर रही है, लेकिन उत्तर कोरिया इसे भलीभांति समझता है। उन्होंने कहा कि यदि सोल सरकार यह सोचती है कि कुछ बयान देकर वह अपने पुराने कार्यों के परिणामों से बच जाएगी,तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी।

उन्होंने गुस्से में यह भी कहा कि दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को ‘मुख्य दुश्मन’ घोषित कर अपने इरादों को उजागर कर दिया है और अब कोई भी संवाद या मेल-जोल संभव नहीं है। किम यो-जोंग ने ग्योंगजू में अक्टूबर में प्रस्तावित एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (अपेक) सम्मेलन में किम जोंग-उन को आमंत्रित करने के विचार को ‘हास्यास्पद भ्रम’ करार दिया। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया को खुद को बहुत महत्व देने की आदत हो गई है,जबकि सच्चाई यह है कि उत्तर कोरिया को उनके किसी भी प्रयास में कोई दिलचस्पी नहीं है।

किम यो-जोंग के इस बयान से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि उत्तर कोरिया किसी भी स्तर पर दक्षिण कोरिया से संवाद के लिए तैयार नहीं है। यह बयान केवल दक्षिण कोरियाई नेतृत्व के लिए ही नहीं,बल्कि पूरे क्षेत्रीय कूटनीतिक समीकरण के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है। जबकि ली जे म्युंग ने अपने चुनाव अभियान और कार्यभार ग्रहण के बाद लगातार यह जताने की कोशिश की है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थायित्व लाना चाहते हैं,उत्तर कोरिया ने उनके प्रयासों को ठुकरा कर तनाव की आशंका को और गहरा कर दिया है।

उत्तर कोरिया के इस रवैये से यह भी साफ होता है कि जब तक अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच का सैन्य गठजोड़ बना रहेगा,प्योंगयांग सरकार किसी भी वार्ता या मेल-मिलाप की संभावना को नकारती रहेगी। आने वाले समय में यदि दक्षिण कोरियाई सरकार उत्तर के साथ संपर्क बहाल करना चाहती है,तो उसे अपनी रणनीति और गठबंधन नीति पर गहन पुनर्विचार करना होगा। फिलहाल,किम यो-जोंग का यह बयान यह संकेत दे रहा है कि कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव की चिंगारी बुझने की बजाय और अधिक भड़क सकती है।