तेहरान,8 मई (युआईटीवी)- मध्य पूर्व में परमाणु मुद्दों पर बढ़ती हलचल और कूटनीतिक गतिविधियों के बीच,एक नई मीडिया रिपोर्ट ने ईरान और अमेरिका के बीच संभावित सीधे संवाद की खबर को हवा दी। हालाँकि,ईरान ने इन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघई ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि ईरान ने वाशिंगटन को सीधे परमाणु वार्ता का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है।
बाघई का यह बयान उस समय आया है,जब इजरायली समाचार वेबसाइट वाईनेट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरानी विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने अमेरिकी मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ से संपर्क कर सीधी बातचीत का प्रस्ताव रखा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ओमान की मध्यस्थता से ईरान असंतुष्ट हो गया है,जिसके कारण उसने सीधे संपर्क का विकल्प तलाशा।
ईरान के सरकारी मीडिया चैनल प्रेस टीवी से बातचीत में बाघई ने इस रिपोर्ट को “मनगढ़ंत,भ्रामक और पूरी तरह से बेबुनियाद” बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान की कूटनीतिक गतिविधियाँ पूरी तरह से पेशेवर,पारदर्शी और समय पर सार्वजनिक की जाती हैं। ईरान ने कभी भी अमेरिका को सीधे वार्ता का प्रस्ताव नहीं दिया और जो बातचीत चल रही है वह अप्रत्यक्ष वार्ता के स्वरूप में ही हो रही है।
बाघई ने उस दावे को भी खारिज किया,जिसमें यह कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी सऊदी अरब यात्रा के दौरान ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेस कियान से मुलाकात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें सच्चाई से कोसों दूर हैं और इनका कोई ठोस आधार नहीं है।
ईरान के बयान के अनुसार,इस तरह की अफवाहें राजनीतिक उद्देश्यों के तहत फैलाई जा रही हैं, ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित किया जा सके और ईरान की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर दिखाया जा सके।
हालाँकि,अमेरिका और ईरान के बीच प्रत्यक्ष संवाद नहीं हो रहा,लेकिन दोनों देशों के बीच तीन दौर की अप्रत्यक्ष वार्ता हो चुकी है। इन वार्ताओं का नेतृत्व ईरान की ओर से अराघची और अमेरिका की ओर से विटकॉफ कर रहे हैं।
12 अप्रैल को ओमान की राजधानी मस्कट में पहले दौर की वार्ता हुई,जबकि 19 अप्रैल को रोम (इटली) में दूसरे दौर की वार्ता हुई और 26 अप्रैल को पुनः ओमान की राजधानी मस्कट में तीसरे दौर की वार्ता हुई।
इन वार्ताओं में ओमान ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। इन बैठकों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम,अमेरिका के प्रतिबंध और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
चौथे दौर की वार्ता 3 मई को रोम में प्रस्तावित थी,लेकिन लॉजिस्टिक कारणों से ओमानी मध्यस्थ द्वारा इसे स्थगित कर दिया गया। कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि चौथा दौर अब 5 मई को मस्कट में आयोजित होगा,लेकिन बुधवार को इस्माइल बाघई ने स्पष्ट किया कि वार्ता की तारीख और स्थान अभी तय नहीं हुए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ अमेरिका ईरान के साथ अप्रत्यक्ष संवाद को “उपयोगी” बता रहा है,वहीं दूसरी ओर उसने ईरान पर नई पाबंदियाँ भी लगा दी हैं। हाल ही में अमेरिका ने उन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए हैं,जो ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल्स के कथित अवैध व्यापार में शामिल थीं। इस कदम को ईरान ने उत्तेजनात्मक और दोहरे मापदंड वाला बताया है।
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ताओं का यह दौर बेहद संवेदनशील है। दोनों देश एक-दूसरे पर संदेह करते हैं,लेकिन साथ ही संवाद को पूरी तरह खत्म भी नहीं करना चाहते। ईरान की प्राथमिकता है कि उसे परमाणु समझौते के तहत मिलने वाले आर्थिक लाभ वापस मिलें और अमेरिका अपने एकतरफा प्रतिबंध हटाए। वहीं अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को सीमित करे और क्षेत्रीय आक्रामक नीतियों पर लगाम लगाए।
इस परिदृश्य में मीडिया रिपोर्टें एक हथियार बन गई हैं,जहाँ एक तरफ कुछ रिपोर्ट वास्तविक घटनाओं को उजागर करती हैं,तो वहीं कुछ रणनीतिक उद्देश्यों से भ्रामक खबरें फैलाई जाती हैं।
इस्माइल बाघई का बयान स्पष्ट करता है कि ईरान अमेरिका से सीधे बातचीत नहीं कर रहा और न ही ऐसी किसी योजना पर काम कर रहा है। अप्रत्यक्ष वार्ताएँ जारी हैं, लेकिन उनका स्वरूप और दिशा पूरी तरह नियंत्रित और रणनीतिक है। अमेरिका और ईरान दोनों अपने-अपने पक्ष को मजबूत करने के प्रयास में लगे हैं,लेकिन संवाद का यह सिलसिला बता रहा है कि कूटनीति के दरवाज़े अभी पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।