पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में बिहार बंद(तस्वीर क्रेडिट@rohitchandrabjp)

पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में बिहार बंद,पटना से दरभंगा तक एनडीए का प्रदर्शन,रविशंकर प्रसाद ने राहुल की चुप्पी को लेकर साधा निशाना

पटना,4 सितंबर (युआईटीवी)- बिहार की राजनीति गुरुवार को पूरी तरह से गर्मा गई,जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी नेताओं द्वारा की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। इस बंद का सबसे गहरा असर राजधानी पटना और अन्य प्रमुख जिलों में दिखाई दिया। सुबह से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा),जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और एनडीए की अन्य सहयोगी पार्टियों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और विभिन्न जगहों पर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया।

पटना के प्रमुख चौराहों पर भाजपा और जदयू के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी सड़कों पर उतरकर बंद को समर्थन दिया। भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद स्वयं पटना की सड़कों पर उतरे और उन्होंने विपक्ष की टिप्पणियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश के 140 करोड़ लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ठेस पहुँचाता है। प्रसाद ने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी होती है,तो विपक्षी दलों की ओर से खामोशी क्यों छा जाती है। उन्होंने कहा, “अगर हमारी पार्टी का कोई कार्यकर्ता इस तरह की बात करता तो हम तत्काल कार्रवाई करते और माफी माँगते,लेकिन विपक्षी दल अपने नेताओं के ऐसे बयानों को समर्थन देते नजर आते हैं।”

रविशंकर प्रसाद ने राजद नेता तेजस्वी यादव की उस टिप्पणी का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी माँ,पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी,के लिए भी कई बार अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ है। प्रसाद ने कहा कि राजनीतिक विमर्श में मतभेद हो सकते हैं,लेकिन प्रधानमंत्री के खिलाफ लगातार की जा रही अभद्र भाषा का इस्तेमाल किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने यह भी तंज कसा कि अगर विपक्ष चाहे तो वे गिनाकर बता सकते हैं कि राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने कितनी बार प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया है।

पटना ही नहीं,बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी एनडीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। अररिया जिले में सांसद प्रदीप सिंह और भाजपा नेता ज्योति भगत ने नेतृत्व किया। उन्होंने मंच से कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को अपने बयानों के लिए प्रधानमंत्री से माफी मांगनी चाहिए। प्रदीप सिंह ने कहा कि विपक्षी नेताओं द्वारा की गई इस तरह की टिप्पणी केवल प्रधानमंत्री का नहीं,बल्कि पूरे देश का अपमान है। अररिया के बाजारों और मुख्य सड़कों पर बंद का व्यापक असर देखा गया,जहाँ स्थानीय लोगों ने भी भाजपा के आह्वान का समर्थन किया।

दरभंगा में भी एनडीए संयुक्त महिला मोर्चा के नेतृत्व में बंद का असर व्यापक रूप से दिखा। महिला मोर्चा की कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतर आईं। पाँच घंटे तक चले इस बंद के दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियाँ और झंडे लेकर विरोध दर्ज कराया। बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता बीच सड़क पर बैठ गईं,जिससे यातायात भी बाधित हो गया।

पटना में आयकर गोलंबर के पास भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकत्रित हुईं। उन्होंने लोगों से आज के बंद का समर्थन करने की अपील की और कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है। महिला कार्यकर्ताओं ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर कांग्रेस और राजद के नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कई जगहों पर भाजपा कार्यकर्ता भी उनके साथ सड़कों पर उतर आए और इस विरोध को और मजबूती दी।

बंद को लेकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती की गई ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। बंद के मद्देनजर कई निजी स्कूलों ने पहले ही छुट्टी की घोषणा कर दी थी। इससे अभिभावकों और बच्चों को राहत मिली,लेकिन कई क्षेत्रों में बाजार और दुकानें बंद रहने से आम लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बंद के जरिए भाजपा और एनडीए ने विपक्ष को यह संदेश देने की कोशिश की है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणियों को वे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह भी माना जा रहा है कि बिहार की राजनीति में यह विरोध प्रदर्शन आने वाले चुनावी समीकरणों पर असर डाल सकता है। विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर जनता से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाता रहा है,वहीं भाजपा इस तरह के प्रदर्शनों के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करने की कोशिश में जुटी है।

पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम यह है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणी ने बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा और एनडीए इसे जनता की भावनाओं से जोड़कर पेश कर रहे हैं,जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक नौटंकी करार दे सकता है,लेकिन गुरुवार का बंद इस बात का सबूत है कि यह मुद्दा अब केवल राजनीतिक गलियारों तक सीमित नहीं रहा,बल्कि सड़कों तक पहुँच चुका है।

राज्य में विभिन्न स्थानों पर एनडीए कार्यकर्ताओं की सक्रियता और जनता के सहयोग से यह बंद व्यापक असर डालता नजर आया। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर विपक्ष क्या रुख अपनाता है और क्या वह प्रधानमंत्री से माफी माँगने के माँग को मानता है या नहीं,लेकिन इतना तय है कि इस विवाद ने बिहार की राजनीति में नए सिरे से हलचल मचा दी है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक मायने और गहरे हो सकते हैं।