मॉस्को,14 अगस्त (युआईटीवी)- भारत और रूस के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक वार्ता का एक और महत्वपूर्ण दौर 21 अगस्त को होने जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस दिन रूस की राजधानी मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इस बैठक की आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि वार्ता में द्विपक्षीय एजेंडे के प्रमुख मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय ढाँचों के तहत सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा होगी।
रूसी विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “21 अगस्त को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव,भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ मॉस्को में वार्ता करेंगे। मंत्री द्विपक्षीय एजेंडे के प्रमुख मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय ढाँचों के तहत सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।” इस संक्षिप्त घोषणा ने संकेत दे दिया है कि बैठक का एजेंडा व्यापक होगा और इसमें सामरिक,आर्थिक और बहुपक्षीय मंचों से जुड़े विषय प्रमुख रहेंगे।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है,जब हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को का दौरा किया था। डोभाल ने अपनी यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव और रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात की थी। इन बैठकों के जरिए दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग को नई दिशा देने की कोशिश की गई थी। जयशंकर और लावरोव की आगामी बैठक उसी कूटनीतिक संवाद की निरंतरता के रूप में देखी जा रही है।
दोनों विदेश मंत्रियों की यह मुलाकात जुलाई में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर हुई पिछली वार्ता के बाद होगी। उस समय भी दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग,पश्चिम एशिया में हालात,ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय संगठनों में तालमेल सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था। इसके अलावा,पिछले महीने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भी जयशंकर और लावरोव की संक्षिप्त लेकिन सार्थक मुलाकात हुई थी।
FM Sergey #Lavrov‘s schedule:
🗓 On August 21, FM Sergey #Lavrov will hold talks with FM of India @DrSJaishankar in Moscow.
The Ministers will discuss key issues on our bilateral agenda, as well as key aspects of cooperation within international frameworks.#RussiaIndia pic.twitter.com/ck4qG1Z14P
— MFA Russia 🇷🇺 (@mfa_russia) August 13, 2025
इस साल मार्च में भी भारत और रूस के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक संवाद हुआ था,जब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मॉस्को का दौरा कर रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेन्को के साथ द्विपक्षीय विदेश कार्यालय परामर्श किए थे। इन परामर्शों में दोनों पक्षों ने आपसी संबंधों की पूरी समीक्षा की थी और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए थे।
जयशंकर और लावरोव की इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है,क्योंकि इसमें 2024 में हुई प्रमुख उच्च-स्तरीय बैठकों और निर्णयों की प्रगति की समीक्षा किए जाने की संभावना है। इनमें जुलाई 2024 में मॉस्को में हुई 22वीं वार्षिक शिखर बैठक,कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात और नवंबर 2024 में नई दिल्ली में आयोजित भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 25वीं बैठक शामिल हैं।
नवंबर 2024 की अंतर-सरकारी आयोग बैठक की विशेषता यह थी कि इसकी संयुक्त अध्यक्षता रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने की थी। इस बैठक में दोनों देशों ने व्यापार,ऊर्जा, विज्ञान-तकनीक, रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की थी। भारत और रूस के बीच लंबे समय से जारी वार्षिक शिखर बैठक परंपरा के तहत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे की भी योजना बनाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही पुतिन को भारत आने का औपचारिक निमंत्रण दे चुके हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि जयशंकर और लावरोव की आगामी बैठक में ऊर्जा सहयोग,रक्षा खरीद,परमाणु ऊर्जा,फार्मास्यूटिकल्स और आर्कटिक क्षेत्र में साझेदारी जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठ सकते हैं। इसके साथ ही,यूक्रेन संकट और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच भारत-रूस व्यापार में आई नई संरचनात्मक चुनौतियों पर भी चर्चा की संभावना है। दोनों देश भुगतान प्रणालियों, लॉजिस्टिक रूट्स और मुद्रा विनिमय तंत्र को मजबूत बनाने के उपाय तलाश सकते हैं।
भारत और रूस के बीच संबंध पारंपरिक रूप से घनिष्ठ रहे हैं और वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों देश अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत ने एक संतुलित कूटनीतिक रुख अपनाया है,जिसमें उसने रूस के साथ व्यापार और ऊर्जा सहयोग जारी रखते हुए पश्चिमी देशों के साथ भी संवाद बनाए रखा है।
जयशंकर और लावरोव की यह बैठक केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर ही नहीं होगी,बल्कि यह उन वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत का मंच बनेगी,जिनमें दोनों देशों के हित मिलते हैं। इनमें संयुक्त राष्ट्र सुधार, बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार,जलवायु परिवर्तन और वैश्विक दक्षिण के मुद्दों पर सहयोग शामिल हैं।
मॉस्को में होने वाली यह वार्ता आने वाले महीनों में भारत-रूस संबंधों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है। खासकर तब,जब रूस यूक्रेन युद्ध की परिस्थितियों में नए रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियों की तलाश में है और भारत अपनी वैश्विक भूमिका को मजबूत करने के लिए बहु-ध्रुवीय कूटनीति को बढ़ावा दे रहा है। दोनों देशों के बीच यह संवाद न केवल मौजूदा साझेदारी को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भविष्य के सहयोग की रूपरेखा भी तय करेगा।