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संसद में आज ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले पर गरमाएँगे सियासी तेवर

नई दिल्ली,28 जुलाई (युआईटीवी)- संसद के मानसून सत्र का दूसरा सप्ताह आज यानी 28 जुलाई से अहम मोड़ लेने जा रहा है,क्योंकि आज से दोनों सदनों में पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तीखी बहस की संभावना है। पहले सप्ताह के व्यवधान और शोर-शराबे के बाद अब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होने को तैयार हैं। सरकार जहाँ इस सैन्य अभियान को निर्णायक और देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बता रही है,वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार की रणनीति और जवाबदेही को कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में है।

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले में कुल 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी,जिनमें अधिकांश तीर्थयात्री थे। यह हमला ऐसे समय पर हुआ,जब घाटी में अमरनाथ यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर थीं। सरकार ने इस बर्बर हमले का करारा जवाब देने के लिए सीमापार कार्रवाई का रास्ता चुना और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस गुप्त सैन्य अभियान को भारतीय सेना ने बेहद सटीकता और गोपनीयता के साथ पूरा किया,जिसे सरकार एक बड़ी रणनीतिक सफलता मान रही है।

आज संसद में इस कार्रवाई को लेकर बहस होनी है,जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने-अपने मंत्रालयों के दृष्टिकोण से इस ऑपरेशन की जानकारी सदन के सामने रख सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,तीनों मंत्रियों का बयान सरकार की साझा नीति और इस हमले के पीछे जिम्मेदार आतंकी संगठनों को लेकर अब तक की कार्रवाई पर केंद्रित होगा। यह भी संभावना जताई जा रही है कि गृह मंत्री ऑपरेशन से जुड़े खुफिया इनपुट और उसकी सफलता का विवरण साझा करेंगे,हालाँकि,रणनीतिक पहलुओं पर गोपनीयता बरकरार रखी जा सकती है।

विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी,राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए मोर्चा संभालेंगे। विपक्ष का मुख्य आरोप यह हो सकता है कि सरकार आतंकी हमले को रोकने में विफल रही और सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक हुई,जिसके कारण इतनी बड़ी संख्या में नागरिकों की जान गई। इसके अलावा विपक्ष यह भी माँग कर सकता है कि ऑपरेशन सिंदूर की संवैधानिक और कूटनीतिक वैधता पर संसद में विस्तृत चर्चा हो।

देश के राजनीतिक और सुरक्षा हलकों में यह बहस अब राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बन गई है। आज की बहस सिर्फ सुरक्षा नीति पर ही नहीं,बल्कि सरकार की जवाबदेही और संसद के प्रति उसकी पारदर्शिता को भी परखेगी। मानसून सत्र के इस निर्णायक दिन पर देश की नजरें संसद पर टिकी होंगी,जहाँ सत्ता और विपक्ष के बीच एक और बड़ा टकराव होने की पूरी आशंका है।