ओस्मान डेम्बेले और ऐताना बोनमाटी (तस्वीर क्रेडिट@airnews_calicut)

ओस्मान डेम्बेले ने जीता बैलन डी’ओर,ऐताना बोनमाटी ने लगातार तीसरी बार महिला गोल्डन बॉल अपने नाम कर रचा इतिहास

पेरिस,23 सितंबर (युआईटीवी)- फुटबॉल जगत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तिगत पुरस्कारों में से एक,बैलन डी’ओर का ताज इस बार फ्रांस के स्टार फॉरवर्ड ओस्मान डेम्बेले के सिर सजा। पेरिस में आयोजित भव्य समारोह में डेम्बेले को यह सम्मान दिया गया,जहाँ उन्होंने शानदार प्रदर्शन और निरंतरता के बल पर दुनिया के कई दिग्गज खिलाड़ियों को पीछे छोड़ा। वहीं महिला फुटबॉल में स्पेन और बार्सिलोना की मिडफील्डर ऐताना बोनमाटी ने लगातार तीसरी बार महिला बैलन डी’ओर जीतकर इतिहास रच दिया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गईं और उन्होंने खुद को फुटबॉल की दिग्गज हस्तियों की सूची में शामिल करा लिया।

28 वर्षीय ओस्मान डेम्बेले का यह सीजन उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। पेरिस सेंट-जर्मेन (पीएसजी) के लिए खेलते हुए उन्होंने कुल 53 मुकाबलों में 35 गोल दागे और 16 असिस्ट किए। यह आँकड़ा बताता है कि किस तरह डेम्बेले ने अपनी टीम की आक्रामक रणनीति में केंद्रीय भूमिका निभाई। हालाँकि,सीजन के दौरान चोट के कारण वे मार्सिले में पीएसजी के लीग मुकाबलों से बाहर रहे,लेकिन इसके बावजूद उनके प्रदर्शन ने उन्हें बैलन डी’ओर तक पहुँचा दिया। पुरस्कार ग्रहण करते समय डेम्बेले भावुक हो उठे और उन्होंने कहा, “सचमुच मेरे पास शब्द नहीं हैं। यह सीजन मेरे और मेरी टीम दोनों के लिए बेहद खास रहा। यह व्यक्तिगत ट्रॉफी जरूर है,लेकिन असल में यह हमारी सामूहिक मेहनत का नतीजा है। मेरे करियर का लक्ष्य बैलन डी’ओर कभी नहीं रहा,बल्कि मेरा सपना हमेशा अपनी टीम को चैंपियंस लीग जिताना रहा है। इस सम्मान से मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी।”

डेम्बेले ने इस अवसर पर अपनी माँ का भी विशेष रूप से जिक्र किया,जो समारोह में मौजूद थीं। उनकी आँखों में आँसू छलक आए और पूरा माहौल तालियों से गूँज उठा। यह क्षण दर्शाता है कि खेल सिर्फ मैदान पर किए गए गोल और असिस्ट तक सीमित नहीं है,बल्कि इसमें परिवार और उनके त्याग की भूमिका भी अहम होती है।

इस वर्ष बैलन डी’ओर की दौड़ में बार्सिलोना के किशोर प्रतिभाशाली खिलाड़ी लामिन यमाल भी शामिल थे। महज 18 साल की उम्र में यमाल ने फुटबॉल जगत में तहलका मचा दिया। हालाँकि,वे उपविजेता रहे,लेकिन उन्हें कोपा ट्रॉफी से नवाजा गया। यह पुरस्कार दुनिया के सबसे बेहतरीन युवा खिलाड़ियों को दिया जाता है। लगातार दूसरी बार यह सम्मान जीतकर यमाल ने यह साबित कर दिया कि आने वाले वर्षों में वे विश्व फुटबॉल के सबसे चमकते सितारों में गिने जाएँगे। उनका खेल परिपक्वता और आत्मविश्वास से भरा है और विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि उनका प्रदर्शन इसी तरह जारी रहा तो निकट भविष्य में वे भी बैलन डी’ओर के दावेदार होंगे।

महिला फुटबॉल में ऐताना बोनमाटी का दबदबा इस बार भी कायम रहा। 27 वर्षीय स्पेनिश मिडफील्डर ने लगातार तीसरी बार गोल्डन बॉल जीतकर एक नया अध्याय लिखा। इससे पहले कोई भी महिला खिलाड़ी यह उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई थी। इस रिकॉर्ड ने उन्हें लियोनेल मेस्सी और मिकेल प्लेटिनी जैसे फुटबॉल दिग्गजों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है,जिन्होंने पुरुष वर्ग में लगातार तीन बार यह पुरस्कार अपने नाम किया था। बोनमाटी का यह सिलसिला महिला फुटबॉल में उनकी निरंतरता और उत्कृष्टता का प्रमाण है।

बोनमाटी ने इस वर्ष यूरो 2025 में शानदार प्रदर्शन किया था और उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। हालाँकि,फाइनल मुकाबले में स्पेन इंग्लैंड से पेनाल्टी शूटआउट में हार गया,लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनके खेल ने सभी को प्रभावित किया। उनकी पासिंग,दृष्टि और मिडफील्ड पर पकड़ ने उन्हें अपनी टीम की रीढ़ बना दिया। इस बार उन्होंने आर्सेनल की स्टार मारियोना काल्डेन्टे को पछाड़कर बैलन डी’ओर जीता। काल्डेन्टे ने विमेंस चैंपियंस लीग फाइनल में गोल दागकर अपनी टीम को खिताब दिलाया था,लेकिन बोनमाटी की निरंतरता और पूरे सीजन का प्रदर्शन निर्णायक साबित हुआ।

महिला फुटबॉल में बोनमाटी की यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत गौरव का प्रतीक है,बल्कि यह महिला खेलों की बढ़ती स्वीकृति और लोकप्रियता को भी दर्शाती है। उनका लगातार तीसरी बार बैलन डी’ओर जीतना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि मेहनत और लगन से महिला खिलाड़ी भी उसी ऊँचाई तक पहुँच सकती हैं,जहाँ तक पुरुष सितारे पहुँचे हैं।

बैलन डी’ओर समारोह हर साल फुटबॉल प्रेमियों के लिए खास होता है। यह केवल खिलाड़ियों को सम्मानित करने का मंच नहीं,बल्कि यह खेल की भावनाओं और कड़ी मेहनत का उत्सव है। इस साल का आयोजन खास तौर पर इसलिए यादगार रहेगा क्योंकि इसमें एक ओर डेम्बेले जैसे खिलाड़ी ने अपने करियर का पहला बैलन डी’ओर जीता,वहीं बोनमाटी ने इतिहास रच दिया।

इन दोनों खिलाड़ियों की उपलब्धियों ने यह साबित किया कि फुटबॉल सिर्फ मैदान पर खेला जाने वाला खेल नहीं है,बल्कि यह जीवन,समर्पण और जुनून की कहानी है। ओस्मान डेम्बेले और ऐताना बोनमाटी की जीत से यह संदेश गया कि मेहनत और निरंतरता ही सफलता की असली कुंजी है। आने वाले सीजन में दुनिया भर के प्रशंसक फिर से इन दोनों सितारों की चमक देखने के लिए उत्सुक होंगे।