दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक-योल (तस्वीर क्रेडिट@Rashtriya_123)

दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक-योल हुए गिरफ्तार,पुलिस ने उन्हें उनके आवास से किया गिरफ्तार

सोल,15 जनवरी (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति यून सुक-योल की गिरफ्तारी एक ऐतिहासिक घटना है,जिसने न केवल देश के राजनीति पर गहरा असर डाला है,बल्कि यह दक्षिण कोरिया के राजनीतिक इतिहास में एक नयी मोड़ भी लेकर आया है। यून सुक-योल को बुधवार को उनके आवास से गिरफ्तार किया गया और वह दक्षिण कोरिया के पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं,जिन्हें अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने के कारण गिरफ्तार किया गया है। यह घटना पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण और घटनाएँ हैं।

यून सुक-योल की गिरफ्तारी एक लंबी राजनीतिक प्रक्रिया का परिणाम थी,जिसमें भ्रष्टाचार और असंवैधानिक कदमों के आरोपों का सामना किया जा रहा था। 3 दिसंबर 2024 को, यून ने अचानक अल्पकालिक मार्शल लॉ की घोषणा की थी, जिससे देश की राजनीतिक स्थिति और भी जटिल हो गई थी। इस कदम के बाद से दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ गई थी। इसके अलावा, 14 दिसंबर को उन पर महाभियोग भी आरोपित किया गया,जो उनके प्रशासन के अंत की शुरुआत साबित हुआ।

दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग और गिरफ्तारियों का इतिहास पुराना नहीं है,लेकिन यून सुक-योल की गिरफ्तारी ने एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह दक्षिण कोरिया के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को एक महत्वपूर्ण मोड़ देने वाला कदम है, क्योंकि एक मौजूदा राष्ट्रपति को गिरफ्तार किया गया है और वह भी ऐसे समय में जब देश आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है।

गिरफ्तारी के समय की स्थिति भी दिलचस्प थी। एक संयुक्त जाँच इकाई,जिसमें भ्रष्टाचार जाँच कार्यालय (सीआईओ),राष्ट्रीय जाँच कार्यालय (एनओआई) और रक्षा मंत्रालय के जाँच मुख्यालय शामिल थे। इस संयुक्त जाँच इकाई यह घोषणा की कि यून को बुधवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 10:33 बजे गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी उनके आवास से की गई और बाद में उन्हें पूछताछ के लिए ग्वाचियोन स्थित सीआईओ कार्यालय में ले जाया गया। कुछ घंटों बाद,उन्हें सियोल डिटेंशन सेंटर में हिरासत में लिया गया।

टीवी फुटेज में देखा गया कि यून को लेकर आने वाला वाहन उनके आवास से बाहर निकला और सीधे सीआईओ कार्यालय की ओर गया। इसके बाद,उन्हें सियोल डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया, जहाँ उन्हें हिरासत में लिया गया। जाँचकर्ताओं को अब 48 घंटे के अंदर यह तय करना है कि यून को 20 दिनों तक और हिरासत में रखा जाएगा या उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।

यह भी महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति निवास की सुरक्षा करने वाली एक सैन्य इकाई ने मंगलवार को पुलिस और सीआईओ के अधिकारियों को राष्ट्रपति निवास में प्रवेश करने की अनुमति दी थी,ताकि महाभियोग का सामना कर रहे यून को गिरफ्तार किया जा सके। यह कदम राष्ट्रपति के खिलाफ गिरफ्तारी की प्रक्रिया को सक्षम बनाने के लिए उठाया गया था। इसके बाद बुधवार को गिरफ्तार किया गया,जिससे यह स्पष्ट होता है कि देश में राजनीतिक सत्ता का संतुलन पूरी तरह से बदल चुका था।

यून सुक-योल की गिरफ्तारी से पहले,दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अस्थिरता के कई संकेत थे। राष्ट्रपति द्वारा घोषित अल्पकालिक मार्शल लॉ और उसके बाद हुए महाभियोग ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस समय,दक्षिण कोरिया एक संवेदनशील राजनीतिक दौर से गुजर रहा था। ऐसे समय में एक राष्ट्रपति का गिरफ्तार होना,जो अपने पद पर रहते हुए गिरफ्तार हुआ हो,एक अप्रत्याशित और अनचाहा परिणाम था।

इस घटना ने दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की मजबूती पर सवाल उठाए हैं। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञ इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत के रूप में देख रहे हैं,जहाँ सत्ता के किसी भी व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया जा सकता है,लेकिन दूसरी ओर,यह घटना देश की राजनीतिक स्थिरता को भी खतरे में डाल सकती है।

यून सुक-योल की गिरफ्तारी का असर केवल उनकी राजनीतिक यात्रा पर नहीं पड़ेगा,बल्कि यह दक्षिण कोरिया के भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकता है। राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार के आरोपों से देश की आर्थिक स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय छवि पर भी बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही,ये घटनाएँ दक्षिण कोरिया में शासन के तरीके और राजनीतिक दलों के बीच के संबंधों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

वहीं,इस गिरफ्तारी से यह भी साफ होता है कि दक्षिण कोरिया में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ सशक्त हैं और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह राष्ट्रपति ही क्यों न हो। यह घटनाएँ भविष्य में देश की राजनीति को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल की गिरफ्तारी एक ऐतिहासिक घटना है, जो देश की राजनीति और लोकतंत्र के प्रति जनता के विश्वास को प्रभावित कर सकती है। इसने यह सिद्ध कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और राजनीतिक अस्थिरता के बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। हालाँकि,इसके दूरगामी प्रभावों का आकलन भविष्य में ही किया जा सकेगा,लेकिन फिलहाल यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है,जिसने दक्षिण कोरिया की राजनीति को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है।