अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों के अपग्रेड को अमेरिकी ट्रंप प्रशासन की मंजूरी,686 मिलियन डॉलर की डील से बढ़ी वैश्विक हलचल

वाशिंगटन,10 दिसंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने के लिए 686 मिलियन डॉलर (करीब 5,700 करोड़ रुपये) के प्रस्तावित हथियार सौदे को औपचारिक रूप से अमेरिकी कांग्रेस को भेज दिया है। विधि अनुसार यह पैकेज अब 30 दिनों की अनिवार्य समीक्षा अवधि में चला गया है। प्रस्तावित सौदे की सूचना मिलते ही अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हलचल बढ़ गई है,खासकर दक्षिण एशिया में जहां भारत लंबे समय से पाकिस्तान को सैन्य सहायता से जुड़े निर्णयों पर अपनी चिंता जाहिर करता रहा है।

रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने हाउस स्पीकर माइक जॉनसन,सीनेट विदेश संबंध समिति के चेयरमैन जेम्स रिश और हाउस विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन ब्रायन मास्ट को लिखित रूप में सूचित किया कि अमेरिकी वायुसेना पाकिस्तान को 686 मिलियन डॉलर की रक्षा सामग्री और सेवाओं का ‘लेटर ऑफ ऑफर एंड एक्सेप्टेंस’ (एलओए) जारी करने वाली है। यह पैकेज पाकिस्तान के मौजूदा एफ-16 बेड़े – ब्लॉक-52 और मिड-लाइफ अपग्रेड वर्जन को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

इस डील में लगभग 37 मिलियन डॉलर के प्रमुख रक्षा उपकरण (एमडीए) शामिल हैं,जबकि 649 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त हार्डवेयर,सॉफ्टवेयर,एवियोनिक्स अद्यतन,लॉजिस्टिकल सपोर्ट और तकनीकी सेवाओं की आपूर्ति की जानी है। एमडीए सूची में 92 लिंक-16 टैक्टिकल डेटा लिंक सिस्टम विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है। लिंक-16 एक उन्नत, जैम-प्रतिरोधी डिजिटल नेटवर्क है,जिसका उपयोग अमेरिका और उसके साझेदार देश वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र की जानकारी साझा करने के लिए करते हैं। इसके जरिए सैन्य अभियानों में त्वरित निर्णय,समन्वय और सुरक्षित संचार सुनिश्चित होता है।

इसके अलावा डील में छह एमके-82 इनर्ट बम और 500-पाउंड बम बॉडी सहित ऐसे हथियार शामिल हैं,जो मुख्यतः परीक्षण और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये गाइडेड सिस्टम नहीं होते,लेकिन संवेदनशील इंटीग्रेशन टेस्टिंग के लिए आवश्यक माने जाते हैं।

नोटिफिकेशन के अनुसार,गैर-एमडीए श्रेणी के तहत पाकिस्तान को एवियोनिक्स अपडेट,ऑपरेशनल फ्लाइट प्रोग्राम (ओएफपी) संशोधन,सुरक्षित संचार प्रणाली, ‘आईडेंटिफिकेशन फ्रेंड और फो’ (आईएफएफ) उपकरण,उन्नत क्रिप्टोग्राफी एप्लीक,मिशन-प्लानिंग सिस्टम,स्पेयर पार्ट्स,पब्लिकेशन,प्रशिक्षण उपकरण,सिमुलेटर,परीक्षण किट और व्यापक कॉन्ट्रैक्टर इंजीनियरिंग तथा लॉजिस्टिकल सपोर्ट भी प्रदान किया जाएगा।

अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह अपग्रेड पाकिस्तान वायुसेना को अपने एफ-16 बेड़े को आधुनिक युद्धक्षमता के साथ संरेखित करने में सक्षम बनाएगा और अमेरिकी तथा साझेदार सेनाओं के साथ उसकी अनुकूलता बढ़ाएगा। अमेरिकी सरकार का मानना है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण साझेदार है और उसके प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक है।

नोटिफिकेशन में यह भी उल्लेख किया गया है कि अपग्रेड के बाद एफ-16 विमानों की ऑपरेशनल उम्र 2040 तक बढ़ जाएगी। इसके साथ ही यह पैकेज उन कई गंभीर उड़ान सुरक्षा चिंताओं का समाधान भी करेगा जो पुराने वर्जन के कारण समय–समय पर सामने आती रही हैं।

भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की उन्नत सैन्य तकनीक उपलब्ध कराए जाने पर चिंता व्यक्त की है। भारत का तर्क रहा है कि पाकिस्तान इन सैन्य उपकरणों और तकनीकों का उपयोग सिर्फ आतंकवाद विरोधी अभियानों में ही नहीं,बल्कि भारत विरोधी गतिविधियों में भी कर सकता है। इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए इस बार अमेरिकी प्रशासन ने नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट भी जोड़ा कि यह प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में मौजूदा सैन्य संतुलन नहीं बदलेगा। अमेरिका के इस स्पष्टीकरण को भारत को संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

हालाँकि,अमेरिकी कांग्रेस का रुख हमेशा से पाकिस्तान संबंधी सैन्य सौदों पर थोड़ा सतर्क रहा है। पिछले कई वर्षों से दोनों पार्टियों के सांसद पाकिस्तान के सैन्य उपयोग और उसकी नीतियों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। इसके बावजूद हाल के वर्षों में ऐसे कई नोटिफिकेशन बिना किसी औपचारिक विरोध प्रस्ताव के आगे बढ़ गए,खासकर तब जब अमेरिकी प्रशासन यह तर्क देता है कि पाकिस्तान की भूमिका अफगानिस्तान और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उसकी जरूरत को बनाए रखती है।

टेक्सास के फोर्ट वर्थ में स्थित लॉकहीड मार्टिन को इस डील का मुख्य कॉन्ट्रैक्टर नामित किया गया है। यह वही कंपनी है जिसने एफ-16 लड़ाकू विमान बनाए और वर्षों से इसकी सपोर्ट सेवाएं प्रदान करती रही है। डील के पारित होने की स्थिति में कामकाज का अधिकांश हिस्सा लॉकहीड मार्टिन और अमेरिकी वायुसेना की देखरेख में पूरा किया जाएगा।

अब यह डील अमेरिकी कांग्रेस की 30-दिन की समीक्षा प्रक्रिया से गुजरेगी। यदि कांग्रेस द्वारा कोई औपचारिक आपत्ति प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता,तो प्रशासन इस बिक्री को मंजूरी दे सकेगा। इस दौरान अमेरिकी सांसद यह जाँचेंगे कि क्या यह डील अमेरिकी विदेश नीति,राष्ट्रीय सुरक्षा हित पर खरा उतरती है या इससे क्षेत्र में किसी तरह की अस्थिरता का खतरा पैदा होता है।

दक्षिण एशिया में पहले से ही तनावपूर्ण सामरिक माहौल के बीच यह प्रस्तावित बिक्री नए भू-राजनीतिक समीकरण खड़े कर सकती है। भारत इस फैसले को बारीकी से देख रहा है,क्योंकि पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े को मिली अतिरिक्त क्षमता उसकी वायुसेना की रणनीतिक चुनौतियों को प्रभावित कर सकती है। हालाँकि,अमेरिका का दावा है कि यह डील किसी भी क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन को नहीं बदलेगी,लेकिन वास्तविक प्रभाव तभी स्पष्ट होगा,जब अपग्रेड प्रक्रिया शुरू होगी और पाकिस्तान इसे किस प्रकार अपने रक्षा ढाँचे में शामिल करेगा।

फिलहाल दुनिया की निगाहें अमेरिकी कांग्रेस की समीक्षा प्रक्रिया पर टिकी हैं,क्योंकि यह सौदा सिर्फ अमेरिका और पाकिस्तान ही नहीं,बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई भू-राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।