नई दिल्ली,5 अगस्त (युआईटीवी)- संसद का मानसून सत्र 2025 लगातार राजनीतिक उठापटक और आरोप-प्रत्यारोप का मंच बना हुआ है। मंगलवार को सत्र के 12वें दिन भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के कारण बाधित रही। विपक्षी दलों ने एकजुट होकर बिहार में मतदाता सूची से कथित तौर पर नाम हटाए जाने के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इससे पहले सोमवार को भी इसी मुद्दे को लेकर पूरे दिन सदन में गतिरोध बना रहा था और कोई कार्यवाही नहीं हो सकी थी।
मंगलवार की सुबह जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई,विपक्षी सांसदों ने शोरगुल शुरू कर दिया। वे बैनर और पोस्टर लेकर सदन के बीच में आ गए और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के आसन के सामने जोरदार नारेबाजी करने लगे। इस तीव्र हंगामे के कारण स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले भी कई बार मानसून सत्र के दौरान इसी प्रकार की अराजक स्थिति देखी जा चुकी है,लेकिन इस बार विपक्ष का विरोध अपेक्षाकृत ज्यादा तीखा और संगठित नजर आया।
राज्यसभा की कार्यवाही भी इस राजनीतिक उथल-पुथल से अछूती नहीं रही। वहाँ का माहौल तब गर्म हो गया,जब सीआईएसएफ की तैनाती को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। उपसभापति द्वारा पक्ष का पक्ष लेने के आरोप लगाते हुए विपक्षी सदस्यों ने नाराजगी जताई और लगातार हंगामा करते रहे। फलस्वरूप राज्यसभा की कार्यवाही को भी दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में बिहार की वह विवादित मतदाता सूची है,जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्ष का आरोप है कि राज्य में सत्तारूढ़ दल द्वारा चुनावी लाभ के लिए मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम जानबूझकर हटवाए गए हैं। विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच की माँग कर रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर इस मामले को अनदेखा किया गया,तो देश भर में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो जाएँगे।
संसद के भीतर जिस प्रकार का गतिरोध देखने को मिला,वही तस्वीर संसद भवन के बाहर भी नजर आई। विपक्षी दलों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि आयोग को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं,संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की एक अहम बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता के लिए भव्य स्वागत किया गया। बैठक स्थल पर ‘हर हर महादेव’ के गगनभेदी नारे गूँजे और पीएम मोदी के रणनीतिक नेतृत्व की जमकर सराहना की गई। नेताओं ने इन सैन्य अभियानों को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक छवि के लिहाज से ऐतिहासिक कदम बताया।
एनडीए की बैठक में यह भी दोहराया गया कि विपक्ष मुद्दों को बेवजह तूल देकर संसदीय कार्यवाही को बाधित कर रहा है। सरकार का पक्ष है कि वह किसी भी गंभीर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है,लेकिन विपक्ष का रवैया सिर्फ राजनीतिक नौटंकी तक सीमित है।
अब तक मानसून सत्र के अधिकतर दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। जनता से जुड़े कई अहम विधेयक और चर्चाएँ इसी शोरगुल के कारण टलती जा रही हैं। संसद में इस तरह के गतिरोध से लोकतांत्रिक व्यवस्था और जनहित के कार्यों को नुकसान हो रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्र के शेष बचे दिनों में क्या कोई सकारात्मक संवाद स्थापित हो सकेगा या फिर यह सत्र भी बेनतीजा ही समाप्त हो जाएगा।
