पीएम मोदी व अमित शाह

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस: 1947 की त्रासदी को याद कर भावुक हुआ देश,पीएम मोदी,अमित शाह समेत कई नेताओं ने बलदानियों को श्रद्धांजलि दी

नई दिल्ली,14 अगस्त (युआईटीवी)- स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले आज देशभर में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया गया। यह दिन 1947 में हुए भारत के विभाजन की उस पीड़ा और त्रासदी को याद करने का अवसर है,जिसने लाखों परिवारों को हमेशा के लिए बिखेर दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों ने विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले और विस्थापित हुए करोड़ों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की और देशवासियों से एकजुटता तथा सद्भाव बनाए रखने का संकल्प लेने की अपील की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने संदेश में लिखा कि भारत ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहा है और हमारे इतिहास के उस दुखद अध्याय के दौरान अनगिनत लोगों द्वारा झेली गई उथल-पुथल और पीड़ा को याद कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह दिन उनके साहस का सम्मान करने का भी अवसर है,जिन्होंने अकल्पनीय क्षति को सहा और फिर भी नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत की।” पीएम मोदी ने आगे कहा कि प्रभावित लोगों ने न केवल अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया,बल्कि असाधारण उपलब्धियाँ भी हासिल कीं। उन्होंने इस अवसर पर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले सद्भाव और भाईचारे के बंधन को मजबूत करने की स्थायी जिम्मेदारी को भी याद दिलाया।


इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी पर सीधा हमला बोला और विभाजन को “माँ भारती के स्वाभिमान को चोट” करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ उस त्रासदी के शिकार लोगों के दर्द को याद करने का दिन है। अमित शाह ने लिखा, “इस दिन कांग्रेस ने देश को टुकड़ों में बाँटकर माँ भारती के स्वाभिमान को गहरी चोट पहुँचाई। विभाजन के कारण हिंसा,शोषण और अत्याचार हुए,करोड़ों लोग विस्थापित हुए और लाखों ने अपनी जान गंवाई। मैं उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और विश्वास दिलाता हूँ कि देश इस दर्दनाक इतिहास को कभी नहीं भूलेगा।”

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस दिन को याद करते हुए कहा कि 1947 में धर्म के आधार पर हुआ देश का विभाजन भारतीय इतिहास का सबसे अमानवीय और काला अध्याय है। उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “आज ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ,जिन्हें विभाजन के समय अपनी जान गंवानी पड़ी। यह इतिहास हमारे दिलों में हमेशा एक गहरे जख्म की तरह रहेगा,जिसे देश कभी नहीं भूल सकेगा।”

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस अवसर पर कहा कि 1947 में धर्म के आधार पर हुआ विभाजन भारतीय इतिहास का एक अमानवीय अध्याय था,जिसने नफरत और हिंसा की आग को भड़का दिया। उन्होंने लिखा, “इस विभाजन के कारण असंख्य भाई-बहनों को अपने घर-बार छोड़कर विस्थापन का दर्द सहना पड़ा और कई ने अपनी जान गंवाई। आज हम उन सभी को नमन करते हैं,जिन्होंने इस त्रासदी में अपनों को खोया। हमें इस भयानक घटना से सबक लेते हुए राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरि रखकर देश की एकता और सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए।”

वहीं,केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने विभाजन को भारत के इतिहास की “सबसे हृदयविदारक त्रासदी” बताया। उन्होंने अपने संदेश में लिखा कि यह वह दौर था,जब अनगिनत निर्दोष लोग हिंसा,पीड़ा और विस्थापन के शिकार हुए। “विभाजन की विभीषिका में कई लोगों ने न केवल अपना घर और परिजन खोया,बल्कि अपनी पहचान और भविष्य तक गंवा दिया। यह दिवस उन सभी बलिदानियों और विस्थापितों को याद करने का अवसर है,जिन्होंने अकल्पनीय कष्ट सहते हुए भी जीवन को आगे बढ़ाने का साहस दिखाया।”

साल 1947 में अँग्रेजों के भारत छोड़ने के साथ ही देश का विभाजन हुआ और भारत तथा पाकिस्तान दो अलग राष्ट्र बने। यह विभाजन मुख्य रूप से धर्म के आधार पर किया गया,जिसके परिणामस्वरूप इतिहास के सबसे बड़े मानव पलायनों में से एक हुआ। अनुमानित रूप से 1.4 करोड़ लोग अपनी मातृभूमि छोड़ने पर मजबूर हुए,जबकि लाखों लोगों ने सांप्रदायिक हिंसा में अपनी जान गंवाई। पंजाब और बंगाल के विभाजन ने न केवल भौगोलिक सीमाएं बदल दीं,बल्कि परिवार,संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने को भी स्थायी रूप से प्रभावित किया।

विभाजन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी,बल्कि यह मानव इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक थी,जिसने अनगिनत जिंदगियों को तोड़ दिया। ट्रेनें लाशों से भरी आती थीं,गाँव खंडहर में बदल गए और लोग अपने घरों से केवल जान बचाने के लिए भाग रहे थे। इस पीड़ा और विस्थापन का असर आज भी कई परिवारों की कहानियों में महसूस किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ की घोषणा की थी,ताकि देश उस त्रासदी को न भूले और आने वाली पीढ़ियाँ इससे सबक ले सकें। इसका उद्देश्य केवल अतीत के जख्मों को याद करना ही नहीं,बल्कि विभाजन के पीड़ितों के साहस और पुनर्निर्माण की क्षमता को सम्मान देना भी है।

आज जब देश स्वतंत्रता के 79वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है,‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ हमें याद दिलाता है कि एकता, सद्भाव और भाईचारा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत हैं। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि धार्मिक,भाषाई या सांस्कृतिक भेदभाव से ऊपर उठकर ही एक मजबूत और समृद्ध भारत का निर्माण संभव है।

देशभर में इस दिन के अवसर पर कई स्थानों पर प्रदर्शनी,सेमिनार और स्मृति कार्यक्रम आयोजित किए गए,जिनमें विभाजन से जुड़े दस्तावेज,तस्वीरें और पीड़ित परिवारों की कहानियाँ प्रदर्शित की गईं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों,खासकर युवाओं,को उस दौर की वास्तविकताओं से परिचित कराना है,ताकि वे समझ सकें कि नफरत और विभाजन से केवल विनाश होता है।

आज,जब हम ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहे हैं,यह केवल इतिहास को याद करने का अवसर नहीं,बल्कि एक चेतावनी भी है कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। विभाजन की पीड़ा भले ही अतीत की हो,लेकिन उससे मिलने वाला सबक हमेशा वर्तमान और भविष्य के लिए प्रासंगिक रहेगा।