यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की,अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@ChandanSharmaG)

वाशिंगटन में शांति वार्ता की कोशिशें जारी,यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पहुँचे अमेरिका,ट्रंप से करेंगे मुलाकात

वाशिंगटन,18 अगस्त (युआईटीवी)- यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से जारी युद्ध को समाप्त करने की कोशिशें अब एक नए मोड़ पर पहुँच गई हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी पहुँच चुके हैं,जहाँ उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने जा रही है। यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय बातचीत तक सीमित नहीं रहेगी,बल्कि इसमें यूरोप के कई बड़े नेता भी शामिल होंगे। इस बहुपक्षीय वार्ता से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठ सकते हैं।

जेलेंस्की ने अपने अमेरिका पहुँचने की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि वे वाशिंगटन पहुँच गए हैं और राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान यूरोपीय नेताओं से भी बातचीत होगी। जेलेंस्की ने अमेरिका और ट्रंप का इस निमंत्रण के लिए आभार जताते हुए कहा कि सभी पक्षों की एक ही इच्छा है कि यह युद्ध जल्दी और भरोसेमंद तरीके से खत्म हो और शांति लंबे समय तक कायम रहे।

जेलेंस्की ने अपने संदेश में अतीत की घटनाओं का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि यह स्थिति अब वैसी नहीं है जैसी पहले हुई थी,जब यूक्रेन को मजबूरी में क्रीमिया और डोनबास के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़ा था। उस समय रूस ने इन रियायतों को आगे हमला करने का आधार बना लिया था। उन्होंने 1994 का भी उल्लेख किया,जब यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी दी गई थी,लेकिन वह गारंटी प्रभावी साबित नहीं हुई। जेलेंस्की ने दो टूक कहा कि क्रीमिया को उस समय नहीं छोड़ा जाना चाहिए था,ठीक वैसे ही जैसे यूक्रेन ने 2022 के बाद कीव,ओडेसा या खार्किव को नहीं छोड़ा। उनके मुताबिक,आज यूक्रेन के लोग अपनी जमीन और आज़ादी के लिए मजबूती से लड़ रहे हैं।

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि डोनेट्स्क और सूमी इलाकों में उनके सैनिकों ने हाल ही में महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल की हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि उनकी सेना यूक्रेन की रक्षा करने और देश को मजबूत सुरक्षा देने में सफल रहेगी। उन्होंने अमेरिका और यूरोप के सहयोगियों के समर्थन और मदद के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। जेलेंस्की का मानना है कि जब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एकजुट है,तब तक रूस को अपनी आक्रामक नीतियों से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ेगा।

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की थी। उस वार्ता के बाद ट्रंप ने रूस को शांति समझौते का सुझाव दिया था। हालाँकि,इस सुझाव के ब्योरे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं,लेकिन यह संकेत जरूर मिल रहा है कि अमेरिका इस युद्ध को जल्द समाप्त कराने की दिशा में सक्रिय है। वाशिंगटन में होने वाली यह बैठक उसी कड़ी का हिस्सा मानी जा रही है।

इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है,क्योंकि इसमें यूरोप के कई शीर्ष नेता भी शामिल होंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों,जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज,ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर,इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी,फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर स्टब और यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सला वान डेर लिएन भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। इससे साफ है कि यह चर्चा एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय पहल का रूप ले चुकी है,जिसका मकसद केवल युद्ध को रोकना नहीं,बल्कि भविष्य में यूरोप की सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है।

जेलेंस्की के बयानों से यह स्पष्ट है कि यूक्रेन अब किसी भी तरह की आधी-अधूरी शांति के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि रूस को यह युद्ध समाप्त करना ही होगा,क्योंकि इसकी शुरुआत उसने खुद की थी। उनके अनुसार,युद्ध तब तक खत्म नहीं हो सकता जब तक रूस यह नहीं मान लेता कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि कीव की ओर से लगातार यह कहा जा रहा है कि यूक्रेन की जमीन पर किसी भी तरह का कब्जा मान्य नहीं होगा।

दूसरी ओर,अमेरिका और यूरोपीय देशों की चिंता केवल युद्ध तक सीमित नहीं है। इस संघर्ष ने वैश्विक अर्थव्यवस्था,ऊर्जा आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा पर भी गंभीर असर डाला है। यूरोप के कई देश अब सीधे तौर पर इस संकट से प्रभावित हो रहे हैं,इसलिए वे भी चाहते हैं कि जल्द-से-जल्द इसका समाधान निकले। अमेरिका की भूमिका इसमें निर्णायक मानी जा रही है,क्योंकि वह न केवल यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद देता रहा है,बल्कि रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए हुए है।

अब सबकी निगाहें व्हाइट हाउस में होने वाली इस बहुपक्षीय बैठक पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या इस बैठक से कोई ठोस पहल निकल पाएगी या यह भी केवल बयानबाज़ी तक सीमित रह जाएगी। हालाँकि,अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में किसी नतीजे तक पहुँचना आसान नहीं होता,लेकिन यह साफ है कि इस बार सभी पक्ष युद्ध को समाप्त करने के लिए गंभीर हैं।

अगर यह बैठक सफल रहती है तो यह न केवल यूक्रेन के लिए,बल्कि पूरे यूरोप और दुनिया के लिए एक बड़ी राहत होगी। शांति स्थापित करने की यह कोशिश आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दिशा भी तय कर सकती है। वोलोदिमिर जेलेंस्की की वाशिंगटन यात्रा इस बात का संकेत है कि यूक्रेन अब भी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भरोसा कर रहा है और उसे विश्वास है कि सामूहिक प्रयासों से ही रूस को शांति के रास्ते पर लाया जा सकता है।

इस मुलाकात के बाद दुनिया भर की नज़रें इस बात पर टिकी रहेंगी कि अमेरिका,यूरोप और यूक्रेन मिलकर रूस पर किस तरह का दबाव बनाते हैं और क्या वाकई आने वाले महीनों में इस लंबे और भीषण युद्ध का अंत दिखाई देगा। अभी यह कहना मुश्किल है कि शांति का रास्ता कितना लंबा है,लेकिन इतना तय है कि वाशिंगटन की यह बैठक उस राह का एक अहम पड़ाव साबित हो सकती है।