केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वेडफुल(तस्वीर क्रेडिट@PiyushGoyal)

ब्रुसेल्स में पीयूष गोयल की जर्मन विदेश मंत्री से अहम बैठक,भारत-ईयू एफटीए को लेकर बनी सहमति

नई दिल्ली,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी ब्रुसेल्स यात्रा की शुरुआत जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ हुई बैठक से की, जिसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक,व्यापारिक और तकनीकी सहयोग को गहराई देने पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में भारत-यूरोपीय संघ (ईयू ) मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए ) को जल्द-से-जल्द अंतिम रूप देने के संकल्प को दोहराया गया,जिससे भारत और यूरोप के बीच आर्थिक संबंधों का नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए वार्ता अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। दोनों पक्ष कई महीनों से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं,जिनमें शुल्क,निवेश,बौद्धिक संपदा अधिकार,पर्यावरणीय मानक और श्रम नियम जैसे विषय प्रमुख हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह समझौता तय हो जाता है,तो यह भारत के लिए यूरोपीय बाजारों तक आसान पहुँच का मार्ग प्रशस्त करेगा और यूरोपीय देशों के लिए भारत में निवेश के अवसरों को कई गुना बढ़ा देगा।

पीयूष गोयल ने अपनी इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा, “ब्रुसेल्स यात्रा की शुरुआत जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ सकारात्मक चर्चा से हुई। हमारी बातचीत आपसी हित और विकास के प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित रही। भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी और भारत-ईयू एफटीए को शीघ्र पूरा करने की दिशा में हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और जर्मनी दोनों देश वैश्विक व्यापार प्रणाली में स्थिरता,पारदर्शिता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के पक्षधर हैं। भारत का लक्ष्य है कि वह यूरोपीय संघ के साथ एक संतुलित और व्यापक समझौता करे,जिससे न केवल निर्यात को बल मिले बल्कि निवेश,नवाचार और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान के नए रास्ते भी खुलें।

जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने भी इस बैठक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “जर्मनी और भारत नवाचार,विकास और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए एक मजबूत साझेदारी बना रहे हैं। मिलकर काम करके हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं को अधिक सशक्त बना रहे हैं और एक बदलती दुनिया में साझा समृद्धि सुनिश्चित कर रहे हैं। इस मूल्यवान बैठक के लिए मैं भारतीय मंत्री पीयूष गोयल का आभारी हूँ।”

वेडफुल ने यह भी कहा कि जर्मनी भारत को न केवल एक बड़े बाजार के रूप में देखता है, बल्कि एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार के रूप में भी। उनका मानना है कि भारत की युवा जनसंख्या,डिजिटल क्षमता और मजबूत औद्योगिक आधार जर्मनी जैसे देशों के लिए निवेश और सहयोग के नए अवसर पैदा कर सकता है।

भारत और जर्मनी के बीच यह संवाद ऐसे समय में हुआ है,जब दोनों देश हरित ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन,नवाचार और ऑटोमोटिव तकनीक के क्षेत्र में अपने सहयोग को विस्तार देने पर काम कर रहे हैं। भारत के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान और जर्मनी के “ग्लोबल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन” के विजन में कई समानताएँ हैं। दोनों देश अब इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं कि कैसे एक-दूसरे की ताकतों का उपयोग कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थायी और समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके।

जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 30 बिलियन यूरो के पार पहुँच गया है। इसमें भारत से जर्मनी को भेजे जाने वाले प्रमुख निर्यात उत्पादों में फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स,केमिकल्स,ऑटो पार्ट्स और आईटी सेवाएँ शामिल हैं। वहीं,जर्मनी से भारत आने वाले आयात में मशीनरी,इलेक्ट्रॉनिक्स,ऑटोमोबाइल्स और औद्योगिक उपकरणों का प्रमुख स्थान है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-ईयू एफटीए को लागू करने से व्यापारिक बाधाओं में कमी आएगी और भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाजारों में बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही,यूरोपीय कंपनियों को भारत के बढ़ते उपभोक्ता आधार और स्थिर निवेश माहौल का लाभ मिलेगा।

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि भारत और जर्मनी नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे। इसके तहत दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोग बढ़ाने की दिशा में पहल की जाएगी। जलवायु परिवर्तन से निपटने,नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और स्वच्छ तकनीकों के विकास को भी चर्चा का हिस्सा बनाया गया।

ब्रुसेल्स में हुई यह मुलाकात केवल एक औपचारिक राजनयिक बातचीत नहीं थी,बल्कि यह भारत और जर्मनी के बीच गहराते विश्वास और साझा दृष्टिकोण की प्रतीक भी थी। दोनों देशों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था को अधिक न्यायपूर्ण और संतुलित बनाना चाहते हैं।

आने वाले महीनों में भारत और ईयू के प्रतिनिधि एफटीए वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए फिर से मिलेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष के अंत तक यह ऐतिहासिक समझौता साइन हो सकता है। यदि ऐसा होता है,तो यह भारत के लिए यूरोपीय बाजारों में प्रवेश का सबसे बड़ा द्वार साबित होगा और जर्मनी के लिए एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में गहराई से निवेश का नया अवसर बनेगा।

ब्रुसेल्स में पीयूष गोयल और जोहान वेडफुल की यह बैठक न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही,बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि भारत और जर्मनी का सहयोग भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।