नई दिल्ली,12 अगस्त (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ फोन पर महत्वपूर्ण बातचीत की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने यूक्रेन से जुड़े हालिया घटनाक्रम,द्विपक्षीय संबंधों और रूस-यूक्रेन युद्ध Qकी मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि भारत यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है और इस दिशा में हर संभव समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी जानकारी के अनुसार,बातचीत के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी को यूक्रेन में हाल ही में हुई घटनाओं,विशेषकर रूसी हमलों से पैदा हुए हालात के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह संघर्ष ऐसे समय में जारी है,जब युद्ध को समाप्त करने की कूटनीतिक संभावनाएँ दिखाई देने लगी हैं,लेकिन रूस युद्धविराम के बजाय अपने कब्जे और हमलों को जारी रख रहा है।
पीएम मोदी ने इस वार्ता की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए लिखा,“राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से बात करके और हाल के घटनाक्रमों पर उनके विचार जानकर मुझे खुशी हुई। मैंने संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर भारत की दृढ़ स्थिति से उन्हें अवगत कराया। भारत इस संबंध में हर संभव योगदान देने और यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया कि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने के पक्ष में खड़ा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की को आश्वस्त किया कि भारत यूक्रेन में स्थायी शांति बहाल करने के हर प्रयास में रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
दूसरी ओर,यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भी ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लंबी और सार्थक बातचीत की। हमने हमारी द्विपक्षीय सहयोग और समग्र कूटनीतिक स्थिति सहित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। मैं प्रधानमंत्री मोदी का हमारे लोगों के प्रति उनके गर्मजोशी भरे समर्थन के लिए आभारी हूँ।”
जेलेंस्की ने आगे बताया कि उन्होंने मोदी को रूसी हमलों के ताजा उदाहरण दिए,खासकर जोपोरिजिया में बस स्टेशन पर हुए हमले का उल्लेख किया,जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए। उन्होंने कहा, “यह हमला किसी सैन्य ठिकाने पर नहीं,बल्कि एक सामान्य शहरी सुविधा पर किया गया। यह साफ दिखाता है कि रूस युद्धविराम के बजाय हिंसा और कब्जे को बढ़ावा देने की इच्छा रखता है। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण है कि भारत हमारे शांति प्रयासों का समर्थन कर रहा है और इस रुख को साझा करता है कि यूक्रेन से संबंधित हर निर्णय में यूक्रेन की भागीदारी होनी चाहिए। अन्य तरीकों से परिणाम नहीं मिलेंगे।”
बातचीत के दौरान रूस पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों का मुद्दा भी उठा। जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से रूसी ऊर्जा,विशेष रूप से तेल के निर्यात को सीमित करने की आवश्यकता पर चर्चा की। उनके अनुसार,इससे रूस की युद्ध जारी रखने की क्षमता और संसाधन दोनों कम होंगे। उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि दुनिया के प्रभावशाली नेता रूस को स्पष्ट संकेत दें कि युद्ध को जारी रखने की कीमत चुकानी पड़ेगी।”
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि दोनों नेताओं के बीच सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान व्यक्तिगत मुलाकात करने पर सहमति बनी है। इसके अलावा,भारत और यूक्रेन ने आपसी यात्राओं के आदान-प्रदान को बढ़ाने पर भी सहमति जताई है,जिससे द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा किया जा सके।
भारत और यूक्रेन के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है,जब रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए विभिन्न प्रयास कर रहा है। भारत ने शुरू से ही इस मुद्दे पर संतुलित रुख अपनाया है,जहाँ एक ओर वह यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की बात करता है,वहीं दूसरी ओर रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को भी बनाए रखने का प्रयास करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह रुख उसे इस संघर्ष में संभावित मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता है। पीएम मोदी ने इससे पहले भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से कई बार बातचीत की है,जिसमें उन्होंने युद्ध को समाप्त करने और संवाद को प्राथमिकता देने की अपील की है। भारत ने मानवीय आधार पर यूक्रेन को दवाइयों,राहत सामग्री और अन्य सहायता भी भेजी है।
वर्तमान वार्ता को भारत-यूक्रेन संबंधों में सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यूक्रेन के साथ भारत के आर्थिक और तकनीकी सहयोग की संभावनाएँ भी इस चर्चा में शामिल रहीं। पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच व्यक्तिगत मुलाकात से इन संबंधों में और मजबूती आने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह बातचीत संकेत देती है कि भारत न केवल एक निष्पक्ष पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है,बल्कि सक्रिय रूप से शांति स्थापना के प्रयासों में शामिल भी है। आने वाले महीनों में संयुक्त राष्ट्र महासभा और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है।
इस वार्ता के बाद यह साफ है कि भारत और यूक्रेन दोनों ही संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। जहाँ यूक्रेन भारत के समर्थन को अपने लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है,वहीं भारत इस मौके को अपने वैश्विक कूटनीतिक प्रभाव को और सुदृढ़ करने के अवसर के रूप में देख रहा है। अब सभी की नजरें सितंबर में होने वाली पीएम मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की की आमने-सामने मुलाकात पर टिकी हैं,जहाँ संभवतः इस संघर्ष के समाधान के लिए नए रास्तों पर चर्चा हो सकती है।