प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर क्रेडिट@BJP4India)

पीएम मोदी ने किया इजरायल-हमास शांति समझौते का स्वागत,नेतन्याहू के नेतृत्व और ट्रंप के पीस प्लान की सराहना की

नई दिल्ली,9 अक्टूबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल और हमास के बीच हुए ऐतिहासिक शांति समझौते का स्वागत किया है। उन्होंने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बहुप्रतीक्षित “पीस प्लान” का अहम चरण बताया और इस समझौते को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सशक्त नेतृत्व की मिसाल करार दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक भावनात्मक संदेश में लिखा कि भारत इस समझौते का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि यह गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत का मार्ग खोलेगा।

मोदी ने लिखा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप के पीस प्लान के पहले चरण पर हुए समझौते का स्वागत करते हैं। यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू के मजबूत नेतृत्व और शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि बंधकों की रिहाई और गाजा के नागरिकों को बढ़ी हुई मानवीय सहायता से उन्हें राहत मिलेगी और स्थायी शांति की दिशा में एक नया अध्याय शुरू होगा।” प्रधानमंत्री का यह बयान न केवल भारत के पारंपरिक रुख यानी आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति और मध्य पूर्व में स्थायी शांति के समर्थन को दर्शाता है,बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीति में बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है।

इजरायल में भारत के राजदूत रूवेन अजार ने प्रधानमंत्री मोदी की इस पोस्ट पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद। इजरायल के लिए यह एक कठिन लेकिन जरूरी प्रक्रिया थी। हमें खुशी है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता ने इस कदम का समर्थन किया है।” अजार ने आगे कहा कि यह समझौता मानवीय दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सैकड़ों परिवारों को अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद जगी है।

इससे पहले,रूवेन अजार ने अपने एक्स हैंडल पर एक अन्य पोस्ट में लिखा था कि वह उन सभी प्रयासों के लिए आभारी हैं,जिन्होंने इस समझौते को संभव बनाया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विशेष रूप से आभार जताते हुए कहा, “हमारे सभी बंधकों की रिहाई के समझौते तक पहुँचने में अमेरिकी नेतृत्व की भूमिका निर्णायक रही है। हम जल्द ही एक ऐसा मध्य पूर्व देखेंगे जो शांति और सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़ेगा।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार देर रात अपने एक विशेष संबोधन में घोषणा की कि इजरायल और हमास ने उनके 20-सूत्रीय “मिडल ईस्ट पीस प्लान” के पहले चरण पर सहमति जता दी है। ट्रंप ने इसे एक “ऐतिहासिक और निर्णायक कदम” बताया,जो पिछले दो वर्षों से जारी खूनी संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है। ट्रंप ने कहा, “आज का दिन इतिहास में दर्ज होगा। दोनों पक्षों ने मानवीय आधार पर सहमति दिखाई है। हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा, जबकि इजरायल अपनी सेना को सहमत सीमा तक वापस बुलाएगा। यह विश्वास बहाली का पहला कदम है।”

ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को स्थायी रूप देने का प्रयास करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अत्यंत कठिन हालात में भी धैर्य और कूटनीतिक समझ का परिचय दिया है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “कूटनीतिक और नैतिक जीत” बताया। उन्होंने कहा, “यह समझौता न केवल हमारे बंधकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगा,बल्कि यह भी दर्शाएगा कि इजरायल आतंकवाद के आगे कभी नहीं झुकेगा। यह हमारे देश के लिए एक राष्ट्रीय विजय है।” नेतन्याहू ने ट्रंप और भारत जैसे देशों को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे वैश्विक समर्थन से शांति प्रक्रिया को नई दिशा मिलेगी।

यह शांति समझौता गाजा पट्टी और इजरायल के बीच लगभग दो वर्षों से जारी संघर्ष के बाद आया है,जिसमें हजारों लोगों की जान गई और लाखों नागरिक विस्थापित हुए। इस दौरान इजरायल ने हमास के ठिकानों पर कई बड़े सैन्य अभियान चलाए,जबकि हमास की ओर से भी लगातार रॉकेट हमले किए गए। अब इस समझौते के तहत सबसे पहले मानवीय सहायता और बंधकों की रिहाई पर काम होगा,जिसके बाद राजनीतिक वार्ता के अगले चरणों पर चर्चा की जाएगी।

भारत,जिसने हमेशा इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे संबंध बनाए रखे हैं, इस समझौते का स्वागत करने वाला पहला प्रमुख एशियाई देश बना है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार,भारत का रुख स्पष्ट है कि स्थायी शांति केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इसी सिद्धांत पर आधारित है,जिसमें आतंकवाद के विरुद्ध शून्य सहनशीलता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों पर भी जोर दिया गया है।

इजरायल-हमास के बीच यह नया शांति अध्याय मध्य पूर्व की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। अमेरिका की मध्यस्थता,इजरायल के नेतृत्व और भारत जैसे देशों के समर्थन से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में गाजा और इजरायल दोनों क्षेत्रों में स्थिरता लौटेगी और लंबे समय से चली आ रही हिंसा का अंत होगा। प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत वैश्विक शांति प्रयासों में न केवल एक दर्शक,बल्कि एक सक्रिय सहयोगी के रूप में उभर रहा है।