साओ पाउलो,23 अगस्त (युआईटीवी)- ब्राज़ील और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तनातनी एक बार फिर चर्चा में है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सख्त शब्दों में चेतावनी दी है कि उन्हें ब्राज़ील के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। लूला का यह बयान ऐसे समय आया है,जब ट्रंप ने पूर्व ब्राज़ीली राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे को राजनीतिक सजा करार दिया था और ब्राज़ील को ‘घटिया व्यापारिक साझेदार’ बताया था।
गुरुवार को साओ पाउलो राज्य के सोरोकाबा शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में लूला ने कहा कि किसी भी देश की संप्रभुता का आधार उसके नागरिकों की रक्षा करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्राज़ील का नेतृत्व अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी देखभाल करने के लिए है,न कि बाहरी शक्तियों के दबाव में आने के लिए। लूला ने कहा, “हमें यह जानना होगा कि लोगों की जरूरतें कैसे पूरी की जाएँ। इसके लिए शासन नहीं,बल्कि लोगों की देखभाल ज़रूरी है। हम विनम्र हैं और किसी के चिल्लाने से नहीं डरते। राष्ट्रपति ट्रंप को ब्राज़ील के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”
दरअसल, हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने ब्राज़ीलियाई निर्यात पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही ब्राज़ील के संघीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एलेक्जेंडर डी मोरेस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। मोरेस वर्तमान में बोल्सोनारो के खिलाफ उस मामले की निगरानी कर रहे हैं,जिसमें उन पर 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश का आरोप है। ट्रंप ने इस मुकदमे को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि ब्राज़ील अपने लोकतांत्रिक सिद्धांतों से भटक रहा है।
लूला ने इन आरोपों को खारिज करते हुए जोर देकर कहा कि जायर बोल्सोनारो का मामला पूरी तरह से ब्राज़ील का आंतरिक मामला है और इसका समाधान देश के भीतर ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बोल्सोनारो के खिलाफ जो भी कार्यवाही हो रही है,वह लोकतंत्र और न्याय की प्रक्रिया के तहत हो रही है। “बोल्सोनारो के साथ कुछ भी गलत नहीं हो रहा,बल्कि लोकतंत्र उनके साथ न्याय कर रहा है। किसी बाहरी शक्ति को इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।”
यह पहला मौका नहीं है,जब लूला ने ट्रंप को सीधे तौर पर जवाब दिया हो। पिछले सप्ताह भी पेरनामबुको राज्य में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ट्रंप के उस दावे को झूठा बताया था,जिसमें कहा गया था कि ब्राज़ील अमेरिकी दबाव में झुक रहा है। लूला ने दोहराया कि ब्राज़ील अमेरिका का सम्मान करता है,लेकिन अमेरिकी सरकार के आगे कभी नहीं झुकेगा।
ब्राज़ील और अमेरिका के बीच यह विवाद ऐसे समय पर उभरा है,जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से ब्राज़ील की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है,क्योंकि अमेरिका ब्राज़ील का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसके अलावा,न्यायाधीश एलेक्जेंडर डी मोरेस पर लगाए गए प्रतिबंध ने ब्राज़ील की न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं,जिसे लेकर लूला सरकार बेहद संवेदनशील है।
लूला दा सिल्वा ने अपने हालिया बयानों से यह साफ कर दिया है कि उनकी सरकार किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि ब्राज़ील का लोकतंत्र मजबूत है और यह अपने सभी चुनौतियों का सामना खुद करने में सक्षम है। लूला का यह बयान न केवल अमेरिका को सख्त संदेश देता है,बल्कि ब्राज़ील के नागरिकों को यह आश्वासन भी देता है कि उनकी सरकार किसी भी विदेशी दबाव के आगे झुकने वाली नहीं है।
वर्तमान घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में ब्राज़ील और अमेरिका के रिश्तों में और खिंचाव देखने को मिल सकता है। ट्रंप के कड़े व्यापारिक फैसले और ब्राज़ील की ओर से दिए गए सख्त जवाब इस बात का संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्तालाप और जटिल हो सकता है। लूला सरकार इस समय घरेलू स्तर पर बोल्सोनारो मामले से जुड़े राजनीतिक तनाव का सामना कर रही है और ऐसे में अमेरिकी हस्तक्षेप ने इस विवाद को और अंतर्राष्ट्रीय रंग दे दिया है।
इस पूरी स्थिति ने ब्राज़ील की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। जहाँ लूला के समर्थक उनके रुख को देश की संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा करने वाला कदम बता रहे हैं,वहीं विरोधी दलों का मानना है कि अमेरिका से टकराव आर्थिक रूप से ब्राज़ील के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बावजूद इसके,लूला ने स्पष्ट कर दिया है कि ब्राज़ील की न्यायिक प्रक्रिया को लेकर बाहरी देशों के किसी भी बयान या दबाव को वह स्वीकार नहीं करेंगे।
आखिरकार,यह विवाद केवल ब्राज़ील और अमेरिका के बीच व्यापारिक या राजनीतिक रिश्तों का सवाल नहीं है,बल्कि यह एक लोकतांत्रिक देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता का भी मुद्दा है। लूला का यह रुख यह दर्शाता है कि ब्राज़ील अपने निर्णयों और न्यायिक प्रक्रियाओं में पूरी तरह से स्वतंत्र है और किसी भी अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।