नई दिल्ली,11 नवंबर (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भूटान पहुँचे। यह यात्रा 11 से 12 नवंबर तक चलेगी और इसे भारत-भूटान के गहरे और ऐतिहासिक संबंधों में एक नया अध्याय माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि यह दोनों देशों के बीच ऊर्जा,विकास और कूटनीतिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला साबित हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उस समय हो रही है,जब भूटान अपने चतुर्थ नरेश, महामहिम जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती मना रहा है। जिग्मे सिंग्ये वांगचुक को “ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस” (जीएनएच) सूचकांक का जनक माना जाता है—एक ऐसी अवधारणा,जिसने भूटान को विश्व पटल पर विशिष्ट पहचान दिलाई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रस्थान से पहले जारी बयान में कहा, “मैं 11-12 नवंबर तक भूटान साम्राज्य का दौरा करूँगा। महामहिम चतुर्थ नरेश की 70वीं जयंती के अवसर पर भूटान के लोगों के साथ शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात है।”
यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान भूटान में “वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है,जिसमें भारत से भगवान बुद्ध के पवित्र “पिपरहवा अवशेषों” की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। पिपरहवा,उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थल है,जहाँ से भगवान बुद्ध से संबंधित अवशेष प्राप्त हुए थे। इन अवशेषों को भूटान में प्रदर्शित किया जाना भारत और भूटान के बीच प्राचीन आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल को दोनों देशों की साझा विरासत और सभ्यतागत निकटता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि “भारत और भूटान के बीच संबंध केवल पड़ोसी देशों तक सीमित नहीं हैं,बल्कि ये हमारे साझा इतिहास,आध्यात्मिकता और परंपराओं में निहित हैं। भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ दोनों देशों की आत्मा में बसती हैं और यह कार्यक्रम उसी आध्यात्मिक बंधन को और मजबूत करेगा।”
यात्रा का एक और प्रमुख आकर्षण पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन होगा। यह 1020 मेगावाट की विशाल परियोजना भारत-भूटान ऊर्जा सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रही है। भारत ने इस परियोजना के निर्माण में वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। परियोजना से भूटान को न केवल राजस्व प्राप्त होगा,बल्कि यह भारत को स्वच्छ,हरित ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति भी सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना को “दोनों देशों के साझा विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का उदाहरण” बताया।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि वे महामहिम भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक,महामहिम चतुर्थ नरेश और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे से मुलाकात को लेकर उत्सुक हैं। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा हमारी मित्रता के बंधन को और गहरा करेगी और साझा प्रगति एवं समृद्धि की दिशा में हमारे प्रयासों को सशक्त बनाएगी।”
भारत और भूटान के संबंधों की जड़ें गहराई तक जुड़ी हुई हैं। दोनों देशों के बीच 1949 में औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए थे,लेकिन इन रिश्तों की नींव सदियों पुरानी है। धार्मिक,सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर दोनों देशों के बीच निरंतर सहयोग रहा है। भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक और विकास सहयोगी है। भारत ने भूटान के कई प्रमुख विकास परियोजनाओं — जैसे मांडेचू और कुरिचू हाइड्रो प्रोजेक्ट में सहयोग किया है। पुनात्सांगछू-II उसी श्रृंखला की एक और महत्वपूर्ण परियोजना है।
भूटान पहुँचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। पारंपरिक परिधान में सजे भूटानी नागरिकों ने भारत के प्रधानमंत्री का स्वागत फूलों और नारों से किया। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने खुद एयरपोर्ट पर पहुँचकर मोदी का स्वागत किया। यह दृश्य दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता और पारस्परिक सम्मान का प्रतीक था।
भूटान की राजधानी थिम्फू में प्रधानमंत्री मोदी विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे,जिनमें सांस्कृतिक समारोह,आध्यात्मिक सम्मेलन और द्विपक्षीय वार्ताएँ शामिल हैं। इन बैठकों में शिक्षा,डिजिटल सहयोग,स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत पहले से ही भूटान में कई डिजिटल परियोजनाओं जैसे “रूपे कार्ड” और “यूपीआई इंटीग्रेशन” को सफलतापूर्वक लागू कर चुका है और अब इस साझेदारी को और आगे बढ़ाने की दिशा में प्रयास जारी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “भूटान के लिए प्रस्थान,जहाँ मैं विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूँगा। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है,जब भूटान चतुर्थ नरेश का 70वां जन्मदिन मना रहा है। मैं भूटान नरेश,महामहिम चतुर्थ नरेश और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे के साथ वार्ता करूँगा। हमारी ऊर्जा साझेदारी को बढ़ावा देते हुए,पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया जाएगा। यह यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा भरेगी।”
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा “नेबरहुड फर्स्ट” नीति के तहत भारत की दक्षिण एशियाई कूटनीति को मजबूती देगी। भूटान,भारत का एकमात्र पड़ोसी देश है,जिसके साथ संबंध पूरी तरह सौहार्दपूर्ण और परस्पर सम्मान पर आधारित हैं। चीन के साथ भूटान की सीमा वार्ता के बीच भारत का यह सक्रिय सहयोग भूटान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संदेश देता है।
भूटान सरकार ने भी प्रधानमंत्री मोदी के आगमन को ऐतिहासिक बताया है। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कहा कि “भारत हमारे विकास का सबसे बड़ा सहयोगी है और प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा हमारे गहरे संबंधों को नई दिशा देगी।”
इस तरह प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल एक औपचारिक राजनयिक दौरा है,बल्कि यह भारत-भूटान की साझी संस्कृति,साझा विकास और साझा आध्यात्मिकता का उत्सव भी है। पुनात्सांगछू-II परियोजना के उद्घाटन से जहाँ ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलेंगी,वहीं भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी दोनों देशों की आत्माओं को जोड़ने वाला एक अद्वितीय क्षण बनेगी। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा वास्तव में भारत-भूटान मैत्री के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रही है।

